काशी विश्वनाथ धाम में अस्थायी गेट लगाए जाने को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है। मुस्लिम समुदाय, खासकर मसाजिद कमेटी और अंजुमन इंतेजामिया कमेटी ने इस कदम का जोरदार विरोध करते हुए धरना शुरू कर दिया। विवाद की जड़ यह है कि प्रशासन द्वारा गेट नंबर चार के पास अस्थायी गेट का निर्माण बिना किसी पूर्व जानकारी और सहमति के किया जा रहा था।
नए निर्माण के लिए सहमति नहीं ली गयी?
यह विवाद तब शुरू हुआ जब मजदूरों ने अस्थायी गेट का निर्माण कार्य शुरू किया। यह खबर मिलते ही मसाजिद कमेटी के पदाधिकारी मौके पर पहुंचे और विरोध जताया। उन्होंने इस कार्य को तत्काल रुकवाने की मांग की। अधिकारियों ने मुस्लिम समुदाय को समझाने का प्रयास किया, लेकिन मसाजिद कमेटी और अंजुमन इंतेजामिया कमेटी के सदस्यों ने साफ शब्दों में कहा कि किसी भी नए निर्माण के लिए उनकी सहमति आवश्यक है।
धरने पर बैठे कमेटी के सदस्य
घटना की गंभीरता को देखते हुए मंदिर प्रशासन और पुलिस के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे। लेकिन स्थिति तब और भी गंभीर हो गई जब मसाजिद कमेटी और इंतेजामिया कमेटी के पदाधिकारी अस्थायी गेट के पास धरने पर बैठ गए। उन्होंने यह मांग की कि निर्माण कार्य को तुरंत रोका जाए और वहां से सभी सामग्री हटाई जाए। अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि गेट और निर्माण सामग्री को हटा दिया जाएगा, जिसके बाद धरना समाप्त हुआ। हालांकि, मसाजिद कमेटी और इंतेजामिया कमेटी के पदाधिकारी अभी भी ज्ञानवापी परिसर में मौजूद हैं, जिससे स्थिति की गंभीरता का पता चलता है।
शहर ए मुफ्ती का बयान
शहर ए मुफ्ती डॉ. अब्दुल बातिन नोमानी ने इस मामले पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि ज्ञानवापी क्षेत्र में कोई भी नया काम मसाजिद कमेटी, अंजुमन इंतेजामिया और मंदिर न्यास की सहमति के बिना नहीं किया जा सकता। उन्होंने आरोप लगाया कि मंदिर प्रशासन ने बिना किसी जानकारी के गेट लगाने का काम शुरू किया, जो कि नियमों के खिलाफ है और इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
सुरक्षा के लिहाज से आवश्यक था गेट?
प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि यह गेट सुरक्षा की दृष्टि से लगाया जा रहा था। उन्होंने यह भी कहा कि सुरक्षा के लिहाज से यह गेट आवश्यक था, लेकिन मसाजिद कमेटी और इंतेजामिया कमेटी के विरोध को देखते हुए उन्होंने आश्वासन दिया कि अस्थायी गेट और निर्माण सामग्री को हटा दिया जाएगा। शहर ए मुफ्ती ने स्पष्ट किया कि जब तक यह गेट नहीं हटाया जाएगा, वे विरोध जारी रखेंगे और मस्जिद में डटे रहेंगे। उन्होंने इसे मस्जिद के लिए खतरा बताते हुए प्रशासन पर मनमाने ढंग से कार्य करने का आरोप लगाया।
इस पूरे प्रकरण ने काशी विश्वनाथ धाम और ज्ञानवापी परिसर के धार्मिक सौहार्द और प्रशासनिक संतुलन को चुनौती दी है। यह मामला इस बात का भी संकेत है कि धार्मिक स्थलों के आसपास किसी भी तरह के निर्माण कार्य में सभी संबंधित पक्षों की सहमति और संवेदनशीलता का ध्यान रखना आवश्यक है। फिलहाल, यह देखना होगा कि आगे की कार्यवाही किस दिशा में की जाती है और प्रशासनिक अधिकारी किस प्रकार इस विवाद को सुलझाते हैं।