कृष्ण नगरी के रूप में पूरी दुनिया में विख्यात उत्तर प्रदेश के मथुरा, वृंदावन में पर्यटन के लिए असीम संभावनाएं मौजूद हैं। बता दें कि हर साल लाखों लोग यहां पर धार्मिक तथा आध्यात्मिक यात्रा के लिए पहुंचते हैं।
इस पर्यटन से करोड़ों रुपये का राजस्व भी मिलता है। वहीं अब मथुरा में पर्यटन की संभावनाओं का फायदा उठाने के लिए यमुना प्राधिकरण के द्वारा एक हेरिटेज सिटी परियोजना तैयार की गई है।
पर्यटन के लिए आरक्षित क्षेत्र को किया दोगुना:
आपको बता दें कि इस हेरिटेज सिटी परियोजना में पर्यटन गतिविधि का सबसे मुख्य केंद्र होगा। इसलिए ही प्राधिकरण के द्वारा अपने फेज 2 के मास्टर प्लान 2031 को संशोधित किया गया है।
दरअसल इस संशोधन के पश्चात उसमें पर्यटन के लिए आरक्षित क्षेत्र को 2 गुना से भी अधिक कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त औद्योगिक श्रेणी के क्षेत्रफल में भी तकरीबन 50 प्रतिशत की कटौती की गई है।
मथुरा में सेवा सेक्टर का नहीं हो पाया है कुछ खास विकास:
दरअसल मथुरा जिले में अभी तक पर्यटन के लिए प्राचीन मंदिरों के अतिरिक्त पौराणिक महत्व से जुड़ी हुई धरोहर ही मौजूद हैं। इसलिए दुनिया भर से मथुरा आने वाले सभी पर्यटक मंदिरों तथा पौराणिक धरोहरों के दर्शन करने के पश्चात लौट जाते हैं, इसलिए ही अब तक मथुरा जिले में सेवा सेक्टर का कुछ खास विकास नहीं हो पाया है।
करीब 753 एकड़ में विकसित होगी हेरिटेज सिटी:
बता दें कि इन खामियों को दूर करते हुए सभी पर्यटकों को अधिक से अधिक वक्त तक मथुरा क्षेत्र में रोकने के लिए ही हेरिटेज सिटी परियोजना तैयार की गई है। NH 44 से लेकर बांके बिहारी मंदिर तक करीब 14 किमी लंबा मार्ग बनाकर तकरीबन 753 एकड़ में हेरिटेज सिटी का विकास किया जाएगा।
इसके अतिरिक्त वहां आने वाले सभी पर्यटकों को धार्मिक के अलावा आध्यात्मिक, प्राकृतिक चिकित्सा, योग तथा स्थानीय उत्पाद की खरीदारी के समेत ठहरने के लिए भी विश्व स्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
पर्यटन को केंद्र में रखकर ही प्राधिकरण ने बनाई है यह परियोजना:
बता दें कि पर्यटन को केंद्र में रखकर ही प्राधिकरण के द्वारा यह परियोजना बनाई गई की है। प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) डा. अरुणवीर सिंह का यह कहना है कि मथुरा में पर्यटन उद्योग के लिए अभी भी असीम संभावनाएं मौजूद हैं, लेकिन उनका सही तरह से दोहन नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि रोजगार सृजन के लिए यह एक अच्छा जरिया बन सकता है। उन्होंने कहा कि इसलिए ही राया अर्बन सेंटर के नियोजन में पर्यटन को ही मुख्य केंद्र में रखा गया है। उद्योग के सापेक्ष पर्यटन क्षेत्र को प्राथमिकता दी गई है।
उन्होंने आगे कहा कि इस प्राथमिकता की वजह से ही मथुरा जिला पर्यटकों हेतु केंद्र बिंदु बन सकेगा। यदि वहां पर पर्यटक अधिक से अधिक समय के लिए ठहरेंगे, तो इसका डायरेक्ट फायदा राजस्व बढ़ाने में भी मिलेगा।
रिवर फ्रंट भी पर्यटन क्षेत्र के विस्तार का है हिस्सा:
दरअसल फेज 2 के संशोधित मास्टर प्लान में पर्यटन क्षेत्र से संबंधित संरचनात्मक ढांचे को विकसित करने के लिए ही आरक्षित क्षेत्र की बढ़ाया गया है। बता दें कि पूर्व में पर्यटन हेतु आरक्षित क्षेत्र 731.3 हे. था। जो अर्बन सेंटर के कुल क्षेत्रफल का करीब 7.8 प्रतिशत था।
वहीं अब इसे बढ़ाकर लगभग 1520.51 हे. किया गया है, जो अब कुल क्षेत्रफल का करीब 13 प्रतशित हो गया है। इसके अतिरिक्त रिवर फ्रंट भी इस पर्यटन क्षेत्र के विस्तार का ही हिस्सा है। इसे भी बढ़कर 109.7 प्रतिशत से 505.65 हेक्टेयर किया गया है।
इसके अतिरिक्त बात करे तो उद्योग के लिए आरक्षित क्षेत्रफल में पहले से कटौती की गई है। जिसे अब 1882.7 हे. के सापेक्ष करीब 853.46 हे. किया गया है। वहीं मिश्रित भूमि उपयोग 238.3 हेक्टेयर से बढ़ाकर करीब 301.44 हे. किया गया है। जो पूर्व के सापेक्ष .09 प्रतशित अधिक हो गया है।
संशोधन के पूर्व राया अर्बन सेंटर:
फेज दो मास्टर प्लान 2031
श्रेणी आरक्षित क्षेत्रफल कुल क्षेत्र का प्रतिशत
1)पर्यटन विकास:- 731.3 हे. 7.8
2)रिवर फ्रंट:- 109.7 हे. 1.2
3)उद्योग:- 1882.7 हे. 20.1
4)मिश्रित भू उपयोग:- 238.3 हे. 2.5
संशोधन के पश्चात:
श्रेणी आरक्षित क्षेत्रफल कुल क्षेत्र का प्रतिशत
1)पर्यटन विकास:- 1520.51 हे. 13
2)रिवर फ्रंट:- 505.65 हे. 4.34
3)उद्योग:- 853.46 हे. 7.32
4)मिश्रित भू उपयोग:- 301.44 हे. 2.59