क्यों हजारों की संख्या में लामबंद हैं छात्र जानें पूरी खबर: प्रयागराज की सड़कों पर छात्रों का निरंतर प्रदर्शन जारी, ये हैं प्रमुख मांगे वही अखिलेश यादव...
क्यों हजारों की संख्या में लामबंद हैं छात्र जानें पूरी खबर

प्रयागराज: दरअसल उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) के सामने RO/ARO और PCS परीक्षा को एक ही पाली में कराने की मांग को लेकर लगभग 20 हजार छात्रों का प्रदर्शन लगातार दूसरे दिन भी जारी रहा। मंगलवार को प्रदर्शनकारियों ने अनोखे अंदाज में थाली बजाकर अपना विरोध जताया।

छात्रों ने किया थाली बजाकर किया प्रदर्शन

आज छात्रों ने अनोखे अंदाज में थाली बजाकर विरोध प्रदर्शन किया जताया और इसके साथ ही बैरिकेडिंग पर चढ़कर नारेबाजी भी की। प्रदर्शनकारियों ने आयोग के मुख्य गेट पर कालिख से "लूट सेवा आयोग" लिख दिया और आयोग के अध्यक्ष संजय श्रीनेत की प्रतीकात्मक शव यात्रा भी निकाली। यह सब होते हुए पुलिस सिर्फ मूकदर्शक बनी रही।छात्रों के प्रदर्शन में शामिल होने प्रयागराज जा रहे पूर्व IPS अधिकारी और आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। इस घटना के बाद सियासी हलचल बढ़ गई। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रियाएं दीं।

छात्रों को डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का मिला समर्थन

डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने छात्रों की मांगों को गंभीरता से सुनने और जल्द समाधान निकालने की अपील की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि छात्रों का कीमती समय आंदोलन में बर्बाद न हो और उन्हें परीक्षा की तैयारी पर ध्यान केंद्रित करने का मौका मिले।

अखिलेश यादव ने सीएम को बोला छात्र विरोधी

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि प्रदेश में "योगी बनाम प्रतियोगी छात्र" जैसा माहौल बन गया है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार नौकरी देना ही नहीं चाह रही है। अखिलेश ने सवाल किया कि क्या सरकार अब छात्रों के हॉस्टल और लॉज पर भी बुलडोजर चलवाएगी। उन्होंने भाजपा सरकार पर युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया।

आयोग की बैठक में नहीं निकला कोई नतीजा

सोमवार देर रात कमिश्नर, डीएम और आयोग के बीच हुई बैठक का कोई नतीजा नहीं निकला। इसके बाद आयोग ने रात 10:18 बजे एक बयान जारी किया। सात बिंदुओं में दिए गए इस बयान में कहा गया कि छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए परीक्षा दो पालियों में कराने का फैसला लिया गया है। आयोग ने कुछ लोगों पर छात्रों को भ्रमित करने का आरोप भी लगाया।

क्यों हो रहा है प्रदर्शन?


1. परीक्षा प्रक्रिया में अचानक बदलाव

छात्रों का कहना है कि परीक्षा प्रक्रिया में बिना पूर्व सूचना के मनमाना बदलाव किया गया है। PCS के विज्ञापन में परीक्षा को दो पालियों में कराने और नॉर्मलाइजेशन का कोई उल्लेख नहीं था। छात्रों का तर्क है कि खेल के नियम बीच में नहीं बदले जा सकते, और आयोग ने यहां पूरा खेल ही बदल दिया है।

2. पारदर्शिता का अभाव

छात्रों ने आयोग पर पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया। प्रारंभिक परीक्षा में अभ्यर्थियों को उनका स्कोरकार्ड नहीं दिया जाता और न ही आयोग फाइनल आंसर की जारी करता है। छात्रों को न तो उनका रॉ स्कोर पता चलता है और न ही विवादित प्रश्नों की जानकारी मिलती है, जिससे पूरी प्रक्रिया आयोग के नियंत्रण में रहती है।

3. आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल

छात्रों ने यह भी कहा कि UPPSC पहले से ही गंभीर आरोपों का सामना कर रहा है। आयोग पर रिकॉर्ड न रखने, गलत प्रश्न बनाने, और समय पर अंक पत्र जारी न करने जैसे मामलों में हाईकोर्ट से फटकार लग चुकी है। आयोग की सीबीआई जांच भी चल रही है, जिससे नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया पर संदेह पैदा होता है।

4. नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया अनुचित

छात्रों का कहना है कि नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया PCS और समीक्षा अधिकारी जैसी परीक्षाओं के लिए उपयुक्त नहीं है। यह प्रक्रिया उन परीक्षाओं के लिए है, जहां पदों की संख्या बहुत अधिक होती है, जैसे IIT और UGC NET। PCS में पदों की संख्या अपेक्षाकृत कम होती है, और नॉर्मलाइजेशन के कारण कई योग्य अभ्यर्थी बाहर हो सकते हैं। छात्रों ने यह भी कहा कि यूपीएससी जैसी प्रतिष्ठित संस्था ने कभी नॉर्मलाइजेशन को लागू नहीं किया।

5. सरकार की नीतियों के खिलाफ

छात्रों ने यह भी कहा कि दो शिफ्ट में परीक्षा कराना सरकार की नीतियों के खिलाफ है। सरकार द्वारा जारी SOP में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि PCS जैसी विशिष्ट परीक्षा एक ही पाली में कराई जानी चाहिए। ऐसे में परीक्षा के नियमों में बदलाव नीतिगत असंगति दर्शाता है।


क्या है छात्रों की प्रमुख मांगें

1. परीक्षा पहले की तरह एक ही पाली में कराई जाए।


2. उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में परीक्षा केंद्र बनाए जाएं।


3. नॉर्मलाइजेशन जैसी विवादास्पद प्रक्रिया को समाप्त किया जाए।


4. उत्तर भारत के किसी अन्य लोक सेवा आयोग में नॉर्मलाइजेशन लागू नहीं है, इसलिए इसे UPPSC में भी लागू नहीं किया जाना चाहिए।


5. परीक्षा के नियमों में बदलाव सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है, इसलिए परीक्षा प्रक्रिया को कानूनी विवाद से बचाने के लिए नियमों को पूर्ववत रखा जाए।


प्रशासन का पक्ष

UPPSC और प्रशासन का कहना है कि परीक्षा की शुचिता बनाए रखने और छात्रों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए यह निर्णय लिया गया है। आयोग ने दूर-दराज के परीक्षा केंद्रों में गड़बड़ियों का हवाला देते हुए कहा कि परीक्षाएं केवल विश्वसनीय केंद्रों पर कराई जाएंगी। इसके अलावा, सरकार और आयोग ने प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी और छात्र हित में बताया है।

जैमर लगाने की वजह से स्ट्रीट लाइट हुई बंद

लोक सेवा आयोग के सामने सुबह से देर रात तक हो रहे छात्रों के प्रदर्शन से प्रशासन घबरा गया है। इसे देखते हुए लोक सेवा आयोग और उससे जुड़े सिविल लाइंस क्षेत्र की स्ट्रीट लाइटें बंद कर दी गई हैं। चारों ओर अंधेरा छा गया है। अंधेरे के बावजूद सैकड़ों छात्राएं भी आंदोलन में शामिल हैं। वीडियो वायरल न हो सके, इसके लिए आयोग के आसपास पहले से जेल जैसे जैमर लगाए गए थे। अब स्ट्रीट लाइट बंद होने से छात्र अंधेरे में विरोध करने को मजबूर हैं, जिससे वे नाराज हैं।

प्रदर्शन स्थल पर कड़ी सुरक्षा

प्रदर्शन से घबराए प्रशासन ने आयोग के आसपास की स्ट्रीट लाइटें बंद कर दीं। पहले ही क्षेत्र में जैमर लगा दिया गया था ताकि वीडियो वायरल न हो सके। स्ट्रीट लाइट बंद करने से छात्रों में आक्रोश है, और वे अंधेरे में भी प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं।

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