उत्तर प्रदेश के नोएडा में किसान अपनी मांगों को लेकर प्रशासन के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि इस आंदोलन की वजह क्या है? दरअसल किसानों के द्वारा किए जा रहे इस आंदोलन की एक बड़ी वजह हाई पावर कमेटी की रिपोर्ट से जुड़ी हुई है।
कमेटी में मंडलायुक्त तथा जिलाधिकारी समेत CEO भी थे सदस्य:
आपको बता दें कि नोएडा के किसानों की मांगें को पूरा करने के लिए एक हाइपावर कमेटी बनाई गई थी, जिसके द्वारा दी गई रिपोर्ट से सभी किसान असंतुष्ट है। दरअसल यह रिपोर्ट उत्तर प्रदेश राजस्व परिषद के अध्यक्ष की अध्यक्षता में बनाई गई थी।आपको बता दें कि इस कमेटी में मंडलायुक्त तथा जिलाधिकारी भी सदस्य थे। वहीं रिपोर्ट को बनाने से पहले लगभग 5 बार किसानों के साथ बैठक भी की गई थी। इसके साथ ही नोएडा, ग्रेटर नोएडा तथा यमुना विकास प्राधिकरण के CEO का भी सहयोग लिया गया था।
आखिर क्या कहती है समिति की रिपोर्ट:
दरअसल नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा के किसानों की कुछ प्रमुख मांगे हैं,
1)साल 1997 से लेकर अब तक सभी किसानों को 10 प्रतिशत विकसित लैंड दी जाए।
2) साल 1997 से लेकर साल 2002 के मध्य जमीन अधिग्रहण में कुल 64.7 प्रतिशत का अतिरिक्त मुआवजा सभी किसानों को दिया जाए।
3)5 प्रतिशत विकसित भूखंड पर व्यवसायिक गतिविधियों को मान्य किया जाए।
4)इसके अतिरिक्त नए किसान कानूनों को लागू किया जाए। जिसके अंतर्गत सर्किल रेट का 4 गुना मुआवजा तथा 20 प्रतिशत लैंड दी जाए।
लेकिन हाई पावर कमेटी के द्वारा सार्वजनिक की गई रिपोर्ट में इन सभी मांगों को ही खारिज कर दिया गया था अर्थात कमेटी के द्वारा किसानों की इन मांगी पर अपनी असहमति जताई थी।
किसानों ने किया दिल्ली कूच:
दरअसल इन तीनों मांग के खारिज होने के पश्चात संयुक्त किसान मोर्चा के द्वारा बैठक की गई तथा प्राधिकरण के अधिकारियों से भी बातचीत की गई। लेकिन यह वार्ता भी विफल रही। जिसके बाद किसानों के द्वारा दिल्ली कूच का ऐलान किया गया था। बता दें कि प्राधिकरण के अधिकारियों से बातचीत के पश्चात फिलहाल किसानों के द्वारा 7 दिनों का समय दिया गया है।
हाईपॉवर समिति की रिपोर्ट के अनुसार किसानों की मांगों पर यह लिया जाएगा एक्शन:
1)अधिग्रहित अथवा कब्जा प्राप्त भूमि पर अब तक अतिक्रमण दिखा कर लगभग 6070 किसानों के 5 प्रतिशत विकसित भूखंड को अधिकारियों के द्वारा रोक रखा गया था, उन्हें 2 महीने में नोएडा प्राधिकरण को लगाना होगा।
2)वहीं साल 2011 में जिन भी गांव में किसानों की आबादी निस्तारण की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है, उन सभी गांवों के किसानों के नाम आज तक खतौनी में नहीं चढ़ाए गए थे। इसलिए अब 2 माह में नोएडा के कुल 81 गांव में करीब 3839 किसानों की बैक लीज करके उनके नाम खतौनी में चढ़ाए जाएंगे।
3)आबादी निस्तारण के लिए पहले प्रति वयस्क का दायरा 450 मीटर था, लेकिन इसे बढ़ाकर अब 1 हज़ार वर्ग मीटर प्रति वयस्क कर दिया गया है।
4)किसानों की आबादी चयनित करके पेरीफेरल सड़क के माध्यम से आबादी को सुनिश्चित किया जाए। साथ ही सड़क का निर्माण 3 माह के भीतर ही पूरा किया जाए।
शासन को भेजी गई कमेटी की रिपोर्ट:
दरअसल कमेटी की तरफ से बनाई गई इस रिपोर्ट को शासन को भेजा जा चुका है, जिस पर अंतिम निर्णय वहीं से लिया जाएगा। ऐसे में किसानों द्वार यह स्पष्ट कहा गया है कि जब तक हमारी प्रमुख मांगे जैसे 10 प्रतिशत विकसित लैंड, 64.7 प्रतिशत की दर से किसानों को मुआवजा तथा नए भूमि अधिग्रहण कानून के मुताबिक बाजार दर का 4 गुना मुआवजा नहीं दिया जाएगा तब तक यह किसान आंदोलन जारी रहेगा।
संसद सत्र के कारण दिल्ली में किसानों को घुसने की नहीं थी इजाजत:
आपको बता दें कि दिल्ली पुलिस के द्वारा किसानों के दिल्ली में आने से रोकने हेतु यूपी को दिल्ली से जोड़ने वाले सभी मार्गों जैसे डीएनडी (DND) तथा कालिंदी कुंज समेत चिल्ला बॉर्डर एवं एनएच-24 पर बैरिकेड लगाकर लगभग रास्तों को बंद कर दिया गया था। वहीं सीमा पर पुलिस तथा आरएएफ (RAF) की भी तैनाती की गई थी।दरअसल पूर्वी दिल्ली पुलिस उपायुक्त अपूर्व गुप्ता द्वारा यह बताया गया है कि संसद सत्र चलने की वजह से किसानों को विरोध प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई थी। साथ ही हम यह भी सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी कानून-व्यवस्था की स्थिति को खराब नहीं कर पाए। नोएडा पुलिस के साथ दिल्ली पुलिस का समन्वय है। बता दें कि दिल्ली-यूपी के सभी छोटे तथा बड़े स्थानों पर काफी पुलिस बल तैनात किया गया है।