UPPCL के द्वारा लोगों के हित में एक बहुत बड़ा फैसला लिया गया है। दरअसल यदि आपके परिसर के आसपास अर्थात 250 मीटर के दायरे में कोई भी बिजली का पोल नहीं है, तब भी आपको कनेक्शन हेतु अब भागदौड़ करनी नहीं पड़ेगी।
दरअसल पावर कारपोरेशन प्रबंधन अब पोल से करीब 250 मीटर तक की दूरी के लिए एस्टीमेट बनवाने वाले झंझट को खत्म कर रहा है। ऐसे में अब घर बैठे बैठे ऑनलाइन आवेदन के साथ तय धनराशि जमा करने पर ही आपको कनेक्शन मिल जाएगा।
40 मीटर से दूर कनेक्शन के लिए बनवाना पड़ता था एस्टीमेट:
दरअसल अभी पोल तक 40 मीटर तक की दूरी वाले कनेक्शन के मामले मे ही कोई एस्टीमेट बनवाने की आवश्यकता नहीं होती है। इसके लिए सिर्फ तय धनराशि जमा करने पर ही आपको कनेक्शन मिल जाता है।
लेकिन 40 मीटर से अधिक दूरी वाले कनेक्शन के लिए आपको एस्टीमेट बनवाना पड़ता है। इसमें कई बार मनमाने तरीके से एस्टीमेट बनाकर कनेक्शन चाहने वाले लोगों का उत्पीड़न भी किया जाता है।
प्रस्ताव को हरी झंडी मिलते ही बिजली कंपनियां करेंगी लागू:
ऐसे में अब कारपोरेशन प्रबंधन के द्वारा पोल से 250 मीटर तक की दूरी में कुल 150 किलोवाट के कनेक्शन के लिए कोई एस्टीमेट बनाने का झंझट ही खत्म करने का फैसला लिया गया है।
UPPCL के द्वारा इस संबंध में विद्युत नियामक आयोग को प्रस्ताव भेजा दिया गया है। वहीं भेजे गए प्रस्ताव को जैसे ही हरी झंडी मिलती है, उसके तुरंत बाद बिजली कंपनियां भी उसे लागू कर देंगी।
प्रस्तावित व्यवस्था के लागू होने पर खर्च में आयेगी कमी:
दरअसल प्रस्तावित व्यवस्था में 40 मीटर तक वाले दायरे में कनेक्शन चाहने वालों का खर्चा अवश्य लगभग 2 गुना तक बढ़ रहा है, लेकिन उससे अधिक दूरी के लिए कनेक्शन वाले मामले में यह खर्चा घटेगा।
मसलन, 2 किलोवाट के 100 मीटर तक के घरेलू कनेक्शन हेतु अभी 21,422 रुपये जमा करने पड़ रहे हैं, लेकिन प्रस्तावित व्यवस्था लागू होने के बाद सिर्फ 2522 रुपये ही जमा करने होंगे।
इसी तरह 5 से 10 किलोवाट के कनेक्शन के लिए भी लाइन चार्ज 39,157 से लेकर 2,08,657 के बजाय सिर्फ 14,957 से लेकर 24,957 रुपये ही देना होगा। ऐसे में करीब 1,83,700 रुपये तक की बचत हो सकेगी।
एस्टीमेट के नाम पर किया जा रहा उत्पीड़न होगा बंद:
वहीं कारपोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष गोयल का यह कहना है कि अब तक 40 मीटर से ज्यादा दूरी के कनेक्शनों वाले मामले में ऐसी शिकायतें लगातार मिल रही थी कि एस्टीमेट के नाम पर उनका उत्पीड़न किया जा रहा है। वहीं अब प्रस्तावित व्यवस्था में किसी भी तरह के उत्पीड़न की कोई भी गुंजाइश नहीं रह जाएगी।