ग्रेटर नोएडा: उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में सुपरटेक की कई अलग-अलग परियोजनाओं को मिलाकर देखें तो उनमें करीब 9 हजार करोड़ रुपयों के फंड में गड़बड़ी की आशंका जताई गई है। जिसके बाद खरीदारों के द्वारा EOW (आर्थिक अपराध शाखा) से जांच की मांग भी की गई है।
आपको बता दें कि सुपरटेक की कई परियोजनाओं में गड़बड़ी के बाद खरीदार ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) के विशेष आयुक्त से मिले तथा वित्तीय घोटाले की संभावनाओं के बारे में भी बताया।
सुपरटेक की कई परियोजनाएं अभी भी अधूरी:
दरअसल सुपरटेक की अभी भी कई परियोजनाएं हैं जो अधूरी पड़ी हुई हैं। हालांकि इसके लिए सभी खरीदार के द्वारा अपने फ्लैट की तकरीबन 95 प्रतिशत राशि भी सुपरटेक को दी जा चुकी है। बता दें कि वर्ष 2010 में सुपरटेक की परियोजनाएं शुरू की गई थी, जिनमें से अभी तक कई परियोजनाएं पूरी नहीं हो सकी हैं।
इन परियोजनाओं के खरीददारों ने जताई वित्तीय अनियमितता की आशंका:
दरअसल सुपरटेक लिमिटेड के 9 प्रोजेक्ट जिसमें नोएडा के नार्थ आई, रोमानो, ईकोसिटी तथा केपटाउन, स्पोर्ट्स विलेज, ग्रेटर नोएडा के इकोविलेज 1, 2, 3, यमुना एक्सप्रेसवे के अपकंट्री तथा गुरुग्राम के हिलटाउन शामिल हैं।
इनके हजारों खरीदारों के सभी प्रतिनिधि आर्थिक अपराध शाखा यानि EOW के विशेष आयुक्त शरद अग्रवाल से पुलिस मुख्यालय में मिले तथा सुपरटेक की संबंधित कंपनियों में बड़े पैमाने पर हो रहे वित्तीय अनियमितताओं के बारे में भी बताया।
परियोजनाओं में 9000 करोड़ रुपये की राशि बेमेल:
खरीदार आयोग रस्तोगी के द्वारा यह बताया गया है कि IRP के द्वारा प्रस्तावित समाधान प्रस्ताव में सुपरटेक लिमिटेड की सभी परियोजनाओं में कुल 9000 करोड़ रुपये की राशि बेमेल पाई गई है।
हालांकि इस राशि का कहां पर उपयोग किया गया तथा यह राशि कैसे खर्च हुई है? आइआरपी की तरफ से अपनी रिपोर्ट में इस बात के बारे में कुछ भी कही पर दर्शाया नहीं गया है।
सुपरटेक के खिलाफ दर्ज हैं 13 FIR:
वहीं विशेष आयुक्त के द्वारा खरीदारों को यह बताया गया है कि सुपरटेक के खिलाफ कुल 13 FIR भी हैं। उनमें से 8 मामले संबंधित अदालतों में वर्तमान में विचाराधीन हैं। वहीं अन्य में विवेचना की जा रही है।
उन्होंने आगे यह भी कहा की खरीदार के सभी प्रतिनिधि अगले सप्ताह तक ही सभी FIR तथा सभी अदालती मामलों की संदर्भ संख्या भी प्राप्त कर सकते हैं।
खरीददार कई वर्षों से अपने हक के लिए लड़ रहे हैं लड़ाई:
दरअसल सुपरटेक के द्वारा साल 2010 में कई परियोजनाएं शुरू हुईं थी। उनमें से कई अभी तक अधूरी पड़ी हैं। NCR में सुपरटेक लिमिटेड के हजारों घर खरीदार पिछले 10 साल से अपने घरों का इंतजार करते हुए दर दर भटक रहे हैं।
वहीं यह सभी खरीदार राष्ट्रीय उपभोक्ता मंच रेटा, NCLAT तथा सुप्रीम कोर्ट आर्थिक अपराध शाखा एवं पटियाला हाउस कोर्ट में पिछले 5 साल से अपने अधिकारों के लिए भी लड़ रहे हैं।
वहीं खरीदार अब EOW (आर्थिक अपराध शाखा), ED (प्रवर्तन निदेशालय), NCLAT तथा सुप्रीम कोर्ट मामलों में हजारों घर खरीददारों का प्रतिनिधित्व करने के लिए रूपरेखा भी तैयार करेंगे।