संभल जामा मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट कोर्ट में नहीं की गई पेश! : जानें क्या रही मुख्य वजह, अब अगली सुनवाई 8 जनवरी को होगी और...?
संभल जामा मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट कोर्ट में नहीं की गई पेश!

संभल: संभल की शाही जामा मस्जिद मामले में शुक्रवार को चंदौसी कोर्ट में सर्वे रिपोर्ट पेश नहीं की जा सकी। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 8 जनवरी 2024 को निर्धारित की है। बताया जा रहा है कि हाल ही में भड़की हिंसा के कारण सर्वे रिपोर्ट को समय पर तैयार करना संभव नहीं हो पाया।

अब मस्जिद में नहीं होगा सर्वे

मस्जिद की ओर से वकील शकील अहमद वसीम ने कहा कि उन्होंने अदालत से मस्जिद से जुड़े दस्तावेजों की प्रतियां उपलब्ध कराने की अपील की है। जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। उन्होंने यह भी बताया कि सर्वे टीम ने अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए अतिरिक्त समय मांगा है। वसीम ने स्पष्ट किया कि अब मस्जिद में कोई और सर्वेक्षण नहीं होगा। क्योंकि अदालत ने इसके लिए अनुमति नहीं दी है।

यह मामला उस समय अधिक गंभीर हो गया जब हरिहर मंदिर के दावे के बाद जामा मस्जिद में दूसरे चरण का सर्वे किया गया। इस दौरान भारी तनाव उत्पन्न हुआ और हिंसा भड़क उठी। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने हालात को नियंत्रित करने की कोशिश की लेकिन पथराव और झड़पें शुरू हो गईं। इस हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई और कई पुलिसकर्मी और अधिकारी घायल हो गए।

हिंसा के बाद से क्षेत्र में तनावपूर्ण शांति बनी हुई है। स्थानीय प्रशासन ने स्थिति को संभालने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए हैं। जुमे की नमाज को देखते हुए पुलिस ने विशेष सतर्कता बरतने के आदेश दिए हैं।


संभल में किए गए सुरक्षा के विशेष इंतजाम

संभल को 55 सेक्टरों में बांटा गया है। प्रत्येक सेक्टर में एक सेक्टर मजिस्ट्रेट और पुलिस अधिकारी तैनात किए गए हैं। इन सभी सेक्टरों में कुल 300 स्थानों पर सीसीटीवी और वीडियो कैमरे लगाए गए हैं, ताकि हर गतिविधि पर नजर रखी जा सके। ड्रोन कैमरों से भी निगरानी की जा रही है।

मस्जिद में लगाए मेटल डिटेक्टर

जामा मस्जिद के तीन मुख्य प्रवेश द्वारों पर मेटल डिटेक्टर लगाए गए हैं। मस्जिद में प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति की पहचान की जा रही है। बिना पहचान पत्र के किसी को भी प्रवेश की अनुमति नहीं है। जिस स्थान पर हिंसा हुई थी वहां कड़ी सुरक्षा व्यवस्था लागू की गई है। फ्लैग मार्च के जरिए इलाके में पुलिस का लगातार गश्त करना जारी है।

डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया और एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने चंदौसी और संभल के विभिन्न क्षेत्रों का निरीक्षण किया है। उन्होंने चौधरी सराय चौराहे से लेकर जामा मस्जिद तक सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की है।

मस्जिद के आसपास लगाए गए 20 CCTV कैमरे

जामा मस्जिद पर बाहरी लोगों को जुमे की नमाज से रोकने के लिए मुस्लिम समाज के करीब 30 वॉलंटियर तैनात किए गए हैं। प्रशासन ने पहले ही अपील की है कि लोग आज की नमाज अपने अपने इलाके
की मस्जिदों में पढ़ें। पुलिस प्रशासन ने जामा मस्जिद के आसपास 20 लोकेशन पर नए CCTV कैमरे लगवाए गए हैं।

''बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक”

स्थिति को नियंत्रित रखने के लिए जिला प्रशासन ने 1 दिसंबर तक बाहरी व्यक्तियों के जिले में प्रवेश पर रोक लगा दी है। डीएम राजेंद्र पैंसिया ने स्पष्ट किया कि किसी भी बाहरी व्यक्ति, सामाजिक संगठन या जनप्रतिनिधि को जिले में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। 

हिंसा की जांच के लिए आयोग का गठन

हिंसा की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज देवेंद्र कुमार अरोड़ा की अध्यक्षता में यह आयोग मामले की जांच करेगा। आयोग में रिटायर्ड आईएएस अधिकारी अमित मोहन प्रसाद और पूर्व डीजीपी अरविंद कुमार जैन को भी शामिल किया गया है। आयोग को दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है।

आयोग चार मुख्य बिंदुओं पर करेगा जांच

1. हिंसा अचानक हुई थी या पहले से सुनियोजित थी।

2. जिला प्रशासन और पुलिस ने हिंसा के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए क्या कदम उठाए।

3. हिंसा के कारणों की गहन पड़ताल।

4. भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए उपाय सुझाना।


हाईकोर्ट से SIT जांच की मांग

संभल हिंसा के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है। इसमें हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में विशेष जांच टीम (SIT) से मामले की जांच कराने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि पुलिस ने हिंसा के दौरान बर्बरता की थी। जिसकी निष्पक्ष जांच आवश्यक है।

याचिकाकर्ताओं ने पुलिस फायरिंग और हिंसा में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की है। साथ ही मामले की व्यापक जांच सीबीआई से कराने की अपील की गई है। याचिका में कहा गया है कि सर्वे के दौरान और उसके बाद की घटनाओं की तह तक जाने के लिए एक निष्पक्ष जांच जरूरी है।

19 नवंबर को हुआ था पहला सर्वे

हिंदू पक्ष ने 19 नवंबर को संभल सिविल कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस याचिका में बाबरनामा, आइन-ए-अकबरी, और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की 150 साल पुरानी रिपोर्ट को आधार बनाया गया। कोर्ट ने उसी दिन मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया था और कमिश्नर की टीम ने तत्काल सर्वे किया था। इस रिपोर्ट को एक सप्ताह के भीतर सौंपने का निर्देश दिया गया था। लेकिन अब तक यह रिपोर्ट पेश नहीं हो सकी है

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