भेड़ियों की बढ़ती दहशत से मची अफरातरी: क्या गांव वालो से बदला ले रहे है भेड़िए? जानें पूरा सच...
भेड़ियों की बढ़ती दहशत से मची अफरातरी

उत्तर प्रदेश के बहराइच में आदमखोर भेड़िए ने लोगों की रातों की नींद हराम कर दी है। 

अब तक आदमखोर भेडिये के हमले में 9 बच्चों समेत 10 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई लोग घायल बताए जा रहे हैं। प्रशासन लगातार बचे हुए दो भेड़ियों को पकड़ने के लिए प्रयास कर रहा है।

आखिर क्यों भेड़िए हुए आदमखोर? 

रामूआपुर बहराइच में बड़ी मात्रा में गन्ने की खेती की जाती है। मीडिया की टीम ने जब गांव वालों से बात किया तो जानकारी मिली कि इन्हीं गन्ने के खेतों में भेड़िए मांद बनाकर रहा करते थे, लेकिन जब से इन मांदो में पानी भरा है, तब से भेड़िए यहां से गायब दिखाई दे रहे हैं। गर्मी या ठंड के मौसम में इस क्षेत्र में भेड़िए की कोई समस्या नहीं होती है, लेकिन जैसे ही बारिश में भेड़ियों का घर तबाह होता है तो यह भेड़िए आक्रामक हो जाते हैं। 

गांव वालों की माने तो इन मांदो में भेड़िए के बच्चे थे, लेकिन कुछ महीनो से जब सिंचाई के कारण इसमें पानी भर गया तो बच्चे निकल कर भाग गए। हालांकि कुछ दिनों बाद भेड़िए यहां फिर से दिखाई देने लगे थे, लेकिन घाघरा नदी में आई बाढ़ के बाद भेड़ियों को यहां से भागना पड़ा। गांव वालों का मानना है कि भेड़ियों का घर तबाह करने के बाद से ही भेड़िए आदमखोर हो गए हैं।

वन विभाग ने भी दिए अपने तर्क 

बहराइच में ऑपरेशन भेड़िया का नेतृत्व कर रहे उत्तर प्रदेश वन निगम के महाप्रबंधक संजय पाठक के अनुसार कोई भी जानवर स्वत: ही आदमखोर नहीं बन जाता, बल्कि उसके पीछे कुछ कारण जिम्मेदार होते हैं। भेड़िए के हैबिटेट का नुकसान होना उनके आदमखोर बनने का एक प्रमुख कारण है।

प्रशासन ने बढ़ाई चौकसी 

वन विभाग ने इन इलाकों को 3 सेक्टर एवं एक रिजर्व सेक्टर में विभाजित किया है और प्रत्येक सेक्टर के प्रभारी नियुक्त किए हैं। इन प्रभारियों का दायित्व है कि ये योजना बनाएं और भेड़िए को पकड़े। इस कार्य के लिए 200 से अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। साथ ही 18 शार्प शूटर और 62 वनकर्मी भी तैनात किए गए हैं। इन शुटरों को सख्त हिदायत दी गई है कि भेड़िया जैसे ही दिखाई दे, उसे तुरंत मार गिराया जाए।

गांव वालों को दिए गए निर्देश

प्रशासन ने गांव वालों को हिदायत दी है कि वह अपने बच्चों को सुरक्षित रखें। रात में घरों के गेट लगा लेने के बाद ही सोए। गन्ने के खेत के आसपास के घरों को विशेष रूप से सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। इन घरों के निवासियों को स्कूल में ठहराया जा रहा है, जहां जवान तैनात किए गए हैं। 

पहले भी भेड़िए ने मचाया था आतंक 

भेड़िए का आतंक उत्तर प्रदेश के लिए कोई नई बात नहीं है। 1996 में प्रतापगढ़, सुल्तानपुर एवं जौनपुर के सई नदी से सटे क्षेत्रों में भी भेड़िए का आतंक देखा गया था। इस कालखंड के दौरान भेड़िए ने लगभग 22 बच्चों को मार डाला था और 35 लोगों को घायल किया था। भेड़िए का यह आतंक करीब 8 महीने तक मौजूद था। ऐसी ही घटना प्रदेश के कई अन्य क्षेत्रों में भी समय-समय पर दिखाई देती रहती है।

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