यूपीपीएससी के लिए एक महीने में 2 बड़ी परीक्षाएं कराना बड़ी चुनौती: विद्यार्थी 2 दिन में आयोजन का कर रहे हैं विरोध, जानें कारण?
यूपीपीएससी के लिए एक महीने में 2 बड़ी परीक्षाएं कराना बड़ी चुनौती

प्रयागराज: परीक्षा केंद्रों की अनुपलब्धता की वजह से UPPSC यानी उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग 27 अक्तूबर की तारीख को प्रस्तावित PCS प्रारंभिक परीक्षा-2024 को टालने की पूरी तैयारी कर चुका है। बता दें कि यह परीक्षा अब 7 एवं 8 दिसंबर को कराने की तैयारी हो रही है, जिस पर निर्णय भी इसी हफ्ते ही लिया जा सकता है।

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को होगी नई चुनौती:

यदि PCS प्रारंभिक परीक्षा टलती है तो अप्स अर्थात उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के सामने एक नई चुनौती भी होगी। दरअसल आयोग के कैलेंडर में 22 दिसंबर की तारीख को समीक्षा अधिकारी (RO)/सहायक समीक्षा अधिकारी (ARO) प्रारंभिक परीक्षा-2023 प्रस्तावित है, जिसके लिए करीब 1076004 अभ्यर्थी पंजीकृत हैं। 

वहीं, पीसीए प्रारंभिक परीक्षा-2024 के लिए भी लगभग 576154 अभ्यर्थियों के द्वारा आवेदन किए गए हैं। ऐसे में यदि दोनों परीक्षाएं दिसंबर में भी प्रस्तावित हो जाती हैं तो कुल 14 दिनों के अंतर में आयोग के लिए इन दोनों प्रमुख परीक्षाओं का आयोजन कराना बड़ी चुनौती होगा। 

आयोग के द्वारा आरओ/एआरओ की प्रारंभिक परीक्षा की योजना में भी बदलाव किया गया है। ऐसे में यह परीक्षा भी कम से कम 2 दिनों में पूरी कराई जा सकेगी। इसके अतिरिक्त अभ्यर्थी दोनों ही परीक्षाओं की तैयारियां अलग-अलग तरीके से करते हैं।

विद्यार्थियों पर पड़ेगा परीक्षा संबंधी तैयारियों का असर:

दरअसल ज्यादातर अभ्यर्थी ऐसे ही हैं, जिन्होंने PCS के साथ आरओ/एआरओ परीक्षा हेतु भी आवेदन किए हैं। अगर इन 14 दिनों के अंतर में ही दोनों परीक्षाएं कराई जाती हैं तो इससे इन सभी अभ्यर्थियों की परीक्षा संबंधी तैयारियों पर भी काफी असर पड़ेगा। 

वहीं आयोग के सूत्रों का यह कहना है कि पीसीएस (PCS) प्रारंभिक परीक्षा अगर 7 एवं 8 दिसंबर को कराई जाती है तो फिर 22 दिसंबर को प्रस्तावित आरओ तथा एआरओ परीक्षा टालनी पड़ सकती है।

2 दिन में परीक्षा कराने का हो रहा विरोध:

एक तरह जहां आयोग केंद्रों की अनुपलब्धता के कारण से प्रदेश की सबसे प्रतिष्ठित PCS परीक्षा 2 दिन कराने की तैयारी है, तो वहीं दूसरी ओर अभ्यर्थी लगातार इसका विरोध कर रहे हैं। 

दरअसल अभ्यर्थियों का यह कहना है कि PCS की प्रारंभिक परीक्षा में वस्तुनिष्ठ प्रकार के सवाल ही पूछे जाते हैं तथा प्रत्येक सही सवाल पर उसके लिए निर्धारित किए गए पूरे अंक मिलते हैं। वहीं यदि अलग-अलग दिनों में पेपरों में अलग-अलग सवाल पूछे जाएंगे तथा प्रश्नपत्रों के स्तर में भी काफी अंतर होगा। 

ऐसे में परीक्षा देने वाले सभी अभ्यर्थियों का एक समान मूल्यांकन नहीं किया जा सकेगा। उनका पूछना है कि आखिर ऐसा कौन सा फार्मूला है कि जिसके माध्यम से आयोग इन सभी अभ्यर्थियों का एक समान तरीके से मूल्यांकन कर सकता है?

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