उत्तर प्रदेश के नोएडा में आश्रम के नाम पर एक किसान की जमीन पर अवैध रुप से कब्जा करने का एक मामला सामने आया है। दरअसल किसान सुखप्रीत सिंह के द्वारा यह आरोप लगाया गया है कि उन्होंने ब्रह्माकुमारी आश्रम के लिए सोरखा गांव में 1000 गज जमीन दी गई थी।
किंतु अवैध रूप से 2200 गज जमीन पर एक आश्रम का निर्माण कर लिया गया है। बता दें कि ब्रह्माकुमारी आश्रम के द्वारा एक लेटर जारी करके यह कहा गया है कि हमारा कब्जा करने वालों से कोई भी लेना देना नहीं है। वहीं अवैध निर्माण पर ब्रह्मकुमारी आश्रम का बैनर भी लगा हुआ है।
पीड़ित के द्वारा प्रशासन से लगाई गई न्याय की गुहार:
दरअसल पीड़ित सुखप्रीत सिंह के द्वारा जिला प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई गई है। सुखप्रीत सिंह ने यह कहा कि यदि उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलकर भी शिकायत करेंगे।
वैन सुखप्रीत सिंह ने यह भी बताया कि सोरखा गांव में श्रीकांत भीमसेन, ऋचा गर्ग तथा ममता के द्वारा मिलकर आश्रम के नाम पर ही उसकी जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया है। इसलिए जिला प्रशासन जल्द ही जांच करके कड़ी कार्रवाई करे। इसके साथ ही तत्काल रूप से मेरी जमीन पर अवैध कब्जा भी हटवाया जाए।
ब्रह्मकुमारी के द्वारा जारी किया गया बयान:
बता दें कि ब्रह्मकुमारी की तरफ से जारी एक लेटर में यह कहा गया है कि ‘मुझे प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, जिसे अब “संस्था” भी कहा जाता है, के द्वारा दिनांक 27.07.2024 को प्राधिकरण पत्र, संदर्भ संख्या BK/SV/24/277 के अंतर्गत ग्राम सोरखा, नोएडा में संपत्ति के अधिग्रहण के बारे में संस्था तथा उसके सहयोगियों के नाम के गलत तरीके से संयोजन के संबंध में स्पष्टीकरण, पत्र, नोटिस तथा शुद्धिपत्र जारी करने हेतु अधिकृत किया गया है।
रिचा गर्ग के द्वारा खरीदी गई है निजी संपत्ति:
सूचन के अनुसार यह संज्ञान में आया है कि B. K. रिचा गर्ग (केंद्र प्रभारी डी-116, सेक्टर 48 ) के द्वारा कथित तौर पर प्रजापिता ब्रहाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय तथा उसके सहयोगियों की शिक्षाओं को प्रदान करने तथा प्रचार करने के लिए ही ग्राम सोरखा में एक संपत्ति अर्जित की गई है।
वहीं दूसरी ओर हमारी जानकारी में यह भी आया है कि रिचा के द्वारा अर्जित संपत्ति फिलहाल विवादित है। इस संपत्ति की खरीद को वर्तमान में संस्था से जोड़ा जा रहा है। साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि इस संपत्ति को संस्था की सहमति तथा मंजूरी से खरीदा अथवा अधिग्रहित किया गया है।
ऐसे में इन सभी भ्रामक दावों को तत्काल रूप से समाप्त करने के लिए संस्था को निम्नलिखित शर्तों में वर्तमान रुपए स्पष्टीकरण अथवा सूचना जारी करने के लिए विवश होना पड़ा है.
जानते हैं क्या जारी की गई है सूचना:
1)यह जन साधारण के संज्ञान में तत्काल रूप से लाया जाता है कि उक्त संपत्ति B. K. रिचा के द्वारा संस्था तथा इसके पदाधिकारियों की सहमति एवं मंजूरी के बिना ही अधिग्रहित की गई है।
साथ ही जन साधारण के संज्ञान में यह भी लाया जाता है कि राजस्व रिकॉर्ड में इस संस्था का नाम नहीं है तथा उक्त संपत्ति B. K. रिचा के द्वारा व्यक्तिगत स्वयं की क्षमता में ही खरीदी गई है।
2) वहीं यह भी स्पष्ट किया जाता है कि संस्था के सभी नियमों के अनुसार ही संस्था की शिक्षा को आगे बढ़ाने के प्रबल उद्देश्य से किसी भी संपत्ति के अधिग्रहण से पूर्व संस्था तथा उसके पदाधिकारियों से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य है।
वहीं इसके अतिरिक्त अधिग्रहित संपत्ति को संस्था अथवा उसके सहयोगियों के नाम पर पंजीकृत भी होना चाहिए।
3)साथ ही स्पष्ट रूप से यह भी बताया जाता है कि B. K. रिचा के द्वारा गांव सोरखा में संपत्ति उस संस्था की पूर्व स्वीकृति तथा किसी भी सहमति के बिना ही अधिग्रहित की गई है।
वहीं अधिग्रहित संपत्ति के संबंध में भी किसी प्रकार के लेन- देन/मामलों अथवा गतिविधियों से स्वयं को अलग किया जाता है। यह संस्था तथा उसके सहयोगियों की जानकारी, सहमति एवं समर्थन के बिना ही किया गया है।