आखिरकार न्यू नोएडा के मास्टर प्लान 2041 को शासन से मिली मंजूरी: लगभग 209 वर्ग किमी में बसेगा नया शहर, 4 चरण में काम होगा पूरा वही 6 लाख की आबादी...
आखिरकार न्यू नोएडा के मास्टर प्लान 2041 को शासन से मिली मंजूरी

उत्तर प्रदेश शासन के द्वारा DNGIR यानि दादरी नोएडा गाजियाबाद इन्वेस्टमेंट रीजन न्यू नोएडा के मास्टर प्लान,2041 को मंजूरी दे दी गई है। दरअसल इस प्लान में कुल 19 आपत्तियां आई थी। जिनका संशोधन भी किया गया है। आपको बता दें कि न्यू नोएडा 209.11 वर्ग किमी में अर्थात 20 हजार 911.29 हेक्टेयर में बसाया जाएगा। 

इसके लिए कुल 80 गांवों की जमीन को अधिग्रहीत किया जायेगा। जिसे नोटीफाइ भी किया जा चुका है। इस मास्टर प्लान को कुल 4 फेज में पूरा किया जाएगा। दरअसल न्यू नोएडा मास्टर प्लान को प्राधिकरण तथा SPA यानि स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्ट के द्वारा बनाया गया है। यह शहर वेस्ट यूपी का ग्रोथ इंजन बनेगा।

सितंबर 2023 में इस मास्टर प्लान पर आपत्तियां मांगी गई:

प्राधिकरण के CEO सतीश पाल के द्वारा बताया गया है कि न्यू नोएडा के मास्टर प्लान -2041 को प्राधिकरण की 210वीं बोर्ड बैठक में रखा गया था। जिसके बाद सितंबर साल 2023 में इस मास्टर प्लान पर सभी से आपत्तियां मांगी गई। जिसके पश्चात ही 12 जनवरी 2024 को अप्रूवल के लिए इसे शासन को भेज दिया गया था। आज वहां से भी इसे मंजूरी मिल गई।

न्यू नोएडा का काम 4 फेज में किया जाएगा पूरा:

1)उन्होंने बताया कि न्यू नोएडा का काम कुल 4 फेज में पूरा किया जाएगा। दरअसल पहले फेज में साल 2023 से 27 तक इसके कुल 3165 हेक्टेयर को विकसित किया जाएगा। 

2)इसी प्रकार दूसरे फेज में साल 2027 से लेकर 2032 तक कुल 3798 हेक्टेयर एरिया का विकास किया जाएगा। 

3)इसके बाद तीसरे फेज में साल 2032 से 2037 तक करीब 5908 हेक्टेयर एरिया को विकसित किया जाएगा।

4)चौथे और अंतिम फेज में साल 2037 से लेकर 2041 तक लगभग 8230 हेक्टेयर जमीन को विकसित करने का प्लान बनाया गया है। इसके लिए जमीन की अधिग्रहण नीति क्या होगी। इसके लिए भी शासन स्तर पर जल्द ही गाइड लाइन जारी की जाएगी।

209 वर्ग किमी में होगी करीब 6 लाख की आबादी:

CEO ने बताया कि 209 वर्ग किलो मीटर में न्यू नोएडा को बसाया जाना प्रस्तावित है। डीएनजीआईआर (DNGIR) मास्टर प्लान 2041 में करीब 40 प्रतिशत एरिया का उपयोग औद्योगिक रूप से, 13 प्रतिशत भूमि का उपयोग आवासीय तथा 18 प्रतिशत एरिया का प्रावधान ग्रीन एरिया एवं रीक्रिएशनल एक्टिविटी के लिए किया गया है। 

आपको बता दें कि डीएनजीआईआर (DNGIR) को गौतमबुद्ध नगर जिले के कुल 20 गांव तथा बुलंदशहर के कुल 60 गांवों को मिलाकर बनाया गया है। इस प्रकार कुल 80 गांवों को मिलाकर यह प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। आपको बता दें कि इस शहर की आबादी तकरीबन 6 लाख के आसपास होगी।

आइए जानते हैं कि मास्टर प्लान के अनुसार आखिर क्या किया गया है लैंड ब्रेकअप:

लैंड यूज                हेक्टेयर 

रेजिडेंशियल :-  2810.54 हेक्टेयर
कॉमर्शियल :-  849.97 हेक्टेयर 
पीएसपी इंस्टीट्यूशनल :-  1739.93 हेक्टेयर
फैसिलिटी / यूटिलिटी :-  195.97 हेक्टेयर
इंडस्ट्री :-  8420 हेक्टेयर
ग्रीन पार्क :-  1792.26 हेक्टेयर
ग्रीन बेल्ट एंड बफर :-  1432.73 हेक्टेयर
 रिक्रेशनल :-  530.22 हेक्टेयर
वाटर बॉडी :-  122.77 हेक्टेयर
ट्रैफिक और ट्रांसपोर्टेशन :-  2963.61 हेक्टेयर

वेस्ट यूपी का बनेगा ग्रोथ इंजन:

दरअसल ऐसा बताया गया है कि डीएनजीआईआर वेस्ट यूपी का ग्रोथ इंजन बनेगा। करीब 209 वर्गमीटर के इस नए शहर में लगभग 8420.92 हेक्टेयर में इंडस्ट्री को भी
बसाया जाएगा। 

इसमें यूपी सीड को करीब 1370.10 हेक्टेयर में तथा इसके अतिरिक्त इंडस्ट्रियल एरिया को 6885.59 हेक्टेयर में तथा मिक्स इंडस्ट्री को लगभग 165.22 हेक्टेयर में बसाया जाएगा। इस नए शहर में करीब 6 लाख लोग रहेंगे। जिसके पहले फेज में तकरीबन 3 लाख को रोजगार मिलेगा।

भूमि अधिग्रहण के लिए 1 हजार करोड़ का रिजर्व:

प्राधिकरण के द्वारा 213 वीं बोर्ड बैठक में बताया गया कि करीब 1 हजार करोड़ रुपए भूमि अधिग्रहण के लिए रिजर्व किए गए है। जिनका पूरे वित्त वर्ष में प्रयोग नहीं हो सका। यह पैसा यहां पर पहले फेज में भूमि अधिग्रहण के लिए रिजर्व किया गया है। 

वहीं भी अधिग्रहण आबादी नियमावली 2013 अर्थात आपसी सहमति के आधार पर अथवा लैंड पूल के माध्यम से की जाएगी। इसके लिए भी शासन की तरफ से जल्द ही गाइड लाइन जारी की जाएगी।

आइए जानते हैं कि क्या है लैंड पूल नीति:

1)आपको बता दें कि लैंड पूल नीति के अंतर्गत भू-स्वामी को 5 साल तक अथवा विकसित भूखंड के प्राप्त होने तक क्षतिपूर्ति के आधार पर मुआवजा मासिक रूप से करीब 5000 रुपए प्रति एकड़ होगा।

2)वहीं योजना के अन्तर्गत पूलिंग में दी गई भूमि का करीब 25 प्रतिशत भू-स्वामी को ही आवंटित की जाएगी। दरअसल विकसित भूमि की कुल 80 प्रतिशत भूमि औद्योगिक उपयोग के लिए होगी, जो कम से कम 450 वर्गमीटर की होगा। 

3)इसके अतिरिक्त 12 प्रतिशत उपयोग आवासीय काम के लिए होगी, जो कम से कम 172 वर्ग मीटर की होगी।

4)इसी प्रकार 8 प्रतिशत भूमि उपयोग व्यवसाय के लिए रखी जायेगी, जो कम से कम 48 वर्ग मीटर की होगा।

5)बता दें कि जहां पर भी न्यूनतम आकार की भूमि से कम भूमि भू-स्वामी को आवंटित होगी वहां पर उन मामलों में भू-स्वामी के द्वारा अतिरिक्त भूमि प्राधिकरण के मानकों के अनुसार खरीदी भी जा सकेगी।

6)भू-स्वामियों को लाटरी के माध्यम से विकसित भूखंड आवंटित किए जाएंगे।

7)लैंड पूल नीति में बाई-बैक का कोई प्रावधान नहीं होगा।

8)वहीं आवंटित भूमि पर मास्टर प्लान तथा बिल्डिंग बॉयलॉज समेत स्वीकृत जोनल प्लान लीज डीड की ही सारी शर्तें मान्य होंगी। 

9)भू-स्वामी के लिए कोई भी स्टांप ड्यूटी देय नहीं होगी। लेकिन प्राधिकरण को भूमि का पंजीकरण शुल्क देना होगा।

10)विकसित भूखंडों पर जल आपूर्ति समेत जल निकासी, सीवरेज, बिजली तथा कचरा निष्पादन का भी प्रावधान किया जाएगा।

11)इन सभी भूखंडों के रखरखाव की भी जिम्मेदारी प्राधिकरण की ही होगी।

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