ताजमहल में जलाभिषेक और पूजा की मांग को लेकर योगी यूथ ब्रिगेड द्वारा दायर याचिका पर चल रही सुनवाई में एक अहम मोड़ आया है। याचिका में ताजमहल को 'तेजोमहालय' के रूप में प्रस्तुत करते हुए सावन के महीने में वहां जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक और पूजा-अर्चना करने की अनुमति मांगी गई थी। इस मामले में एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) ने याचिका खारिज करने की अपील की थी।
हिन्दू संगठनों ने ताजमहल को 'तेजोमहालय' बताया
हिंदू संगठनों का दावा है कि ताजमहल एक प्राचीन शिव मंदिर, 'तेजोमहालय' है, और वे वहां हिंदू धार्मिक पूजा की अनुमति चाहते हैं। उनका कहना है कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद उनका अगला लक्ष्य तेजोमहालय को पुनः प्राप्त करना है।
एएसआई की याचिका खारिज
एएसआई ने अदालत में यह दलील दी थी कि उनके अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल, जो इस मामले में प्रतिवादी हैं, एक सरकारी अधिकारी हैं, जिन पर मुकदमा नहीं चल सकता। इस आधार पर एएसआई ने इस याचिका को खारिज करने की अपील की थी।
वादी के वकील की दलील
वादी पक्ष के वकील ने धारा 80 सीपीसी का हवाला देते हुए तर्क दिया कि सरकारी अधिकारी पर भी मुकदमा चलाया जा सकता है, यदि सही कानूनी प्रक्रिया अपनाई गई हो। वादी पक्ष ने अदालत से यह भी अनुरोध किया कि यूनियन ऑफ इंडिया (भारत सरकार) को इस मामले में प्रतिवादी बनाया जाए।
अदालत ने दिया आदेश
लंबी बहस के बाद लघुवाद न्यायालय ने एएसआई की याचिका को खारिज कर दिया और आदेश दिया कि यूनियन ऑफ इंडिया को भी इस मामले में पक्षकार बनाया जाए। इससे मामले की गंभीरता बढ़ गई है, क्योंकि अब केंद्र सरकार भी इसमें कानूनी पक्ष के रूप में शामिल हो गई है। अगली सुनवाई 24 सितंबर को होगी।
अगली सुनवाई 24 सितंबर को
अब यह मामला ताजमहल की ऐतिहासिक और धार्मिक पहचान से जुड़ गया है और अगली सुनवाई 24 सितंबर को होगी, जहां इस मुद्दे पर और भी गहन बहस की उम्मीद है।