दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में बुधवार को वायु प्रदूषण का स्तर बेहद खराब दर्ज किया गया है। यहाँ हवा में धूल और जहरीली गैसों की मात्रा में वृद्धि पायी गयी है। जिससे दिल्ली का AQI 349 तक पहुंच गया है, जो "बहुत खराब" श्रेणी में आता है। इस प्रदूषण के कारण लोगों को आंखों में जलन, गले में खराश और सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। कई लोगों ने दिवाली से पहले ही इस तरह के गंभीर प्रदूषण के स्तर पर चिंता जताई है, क्योंकि दीपावली के दौरान आतिशबाजी के कारण प्रदूषण और अधिक बढ़ जाता है।
दिल्ली बना देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर
बीते मंगलवार को दिल्ली देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर बन गया, और AQI के मामले में सिर्फ सोनीपत ही इससे आगे रहा। दिल्ली के कई इलाकों जैसे आनंद विहार, जहांगीरपुरी, नरेला और मुंडका में प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया है। उदाहरण के लिए, आनंद विहार में AQI 414 तक पहुंच गया, जो "गंभीर" श्रेणी में आता है। ऐसे हालात को देखते हुए दिल्ली सरकार ने कई आपातकालीन कदम उठाए हैं।
दिल्ली सरकार ने उठाए आपातकालीन कदम
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने अधिकारियों के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक की, जिसमें प्रदूषण से निपटने के लिए तुरंत उपाय करने के निर्देश दिए गए। सरकार ने दिल्ली में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) का दूसरा चरण लागू कर दिया है। इसके तहत कई सख्त कदम उठाए जा रहे हैं, जैसे हॉटस्पॉट क्षेत्रों में पानी का छिड़काव, धूल को नियंत्रित करने के लिए डस्ट सप्रेसेंट का उपयोग, और सड़कों पर ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए ट्रैफिक पुलिस की तैनाती बढ़ाना।
सार्वजनिक परिवहन के उपयोग पर जोर
सड़क पर यातायात को नियंत्रित करने और प्रदूषण को कम करने के लिए दिल्ली में डीटीसी (दिल्ली परिवहन निगम) और मेट्रो की सेवाओं की फ्रीक्वेंसी बढ़ाई जा रही है। मेट्रो ने अपने 40 फेरे बढ़ा दिए हैं, और डीटीसी ने भी अपनी बस सेवाओं में सुधार किया है। इसके साथ ही निजी वाहनों के उपयोग को कम करने के लिए वाहन पार्किंग शुल्क में वृद्धि के निर्देश दिए गए हैं, ताकि लोग सार्वजनिक परिवहन का अधिक उपयोग करें।
दिल्ली से बाहर की बसों के लिए नए आदेश
दिल्ली सरकार ने पड़ोसी राज्यों से अपील की है कि जब तक प्रदूषण का स्तर अधिक है, वे अपनी डीजल बसों की जगह सीएनजी या इलेक्ट्रिक बसों का उपयोग करें, ताकि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके। यह आदेश खासकर उन राज्यों के लिए है, जिनकी बसें दिल्ली में प्रवेश करती हैं। इसके साथ ही दिल्ली सरकार ने सभी सरकारी और निजी एजेंसियों को निर्देश दिए हैं कि सर्दियों में खुले में बायोमास जलाने से बचने के लिए सुरक्षा कर्मचारियों को इलेक्ट्रिक हीटर उपलब्ध कराएं।
निर्माण स्थलों को दिए गए नए निर्देश
निर्माण स्थलों पर भी कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग) को आदेश दिया गया है कि वह निर्माण स्थलों पर एंटी-स्मॉग गन लगाए, ताकि वहां उठने वाली धूल को नियंत्रित किया जा सके। इसके अलावा, एमसीडी (दिल्ली नगर निगम) के 6200 सफाई कर्मचारी सड़कों की सफाई के लिए लगाए गए हैं।
डॉक्टरों की सलाह
वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए डॉक्टरों ने लोगों को सुबह और शाम के समय बाहर जाने से बचने की सलाह दी है, क्योंकि इस समय वायु में प्रदूषण का स्तर अधिक होता है। खासकर अस्थमा, दिल की बीमारी, एचआईवी, मधुमेह और कैंसर के मरीजों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। इन लोगों को अनावश्यक बाहर न निकलने और अगर निकलना जरूरी हो, तो मास्क पहनने की सलाह दी गई है। डॉक्टरों ने यह भी कहा कि बाहर से घर लौटने के बाद लोग अपनी आंखें और चेहरा धोएं, ताकि प्रदूषण के कणों से बचा जा सके।
प्रदूषण से बचने के लिए सरकार के अन्य उपाय
सरकार ने भीड़भाड़ वाले इलाकों में 1800 ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की तैनाती की है, ताकि वहां यातायात सुचारू रहे और ट्रैफिक जाम से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण को रोका जा सके। साथ ही सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए मेट्रो और सीएनजी/इलेक्ट्रिक बसों की फ्रीक्वेंसी बढ़ाई जा रही है।
अंततः स्थिति बेहद गंभीर
प्रदूषण के इस बढ़ते स्तर ने दिल्ली को एक गैस चैंबर की तरह बना दिया है। हवा में मौजूद प्रदूषण कणों की मात्रा बढ़ने से लोगों को सांस लेने में कठिनाई हो रही है। डॉक्टरों ने बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है, और घर से बाहर निकलने पर मास्क का उपयोग करने पर जोर दिया है। सरकार के प्रयासों के बावजूद, स्थिति चिंताजनक बनी हुई है, और आने वाले दिनों में दिवाली के कारण प्रदूषण के स्तर में और वृद्धि की आशंका है।