दवा माफियों का जानलेवा खेल: एक्सपायरी दवाओं पर नई तारीखे प्रिंट करके बेची जा रही दवाएं, पकड़ा गया 55 लाख का बड़ा स्टॉक
दवा माफियों का जानलेवा खेल

मेरठ: उत्तर प्रदेश में दवा माफिया द्वारा एक्सपायरी दवाओं की मैन्युफैक्चरिंग डेट बदलकर उन्हें दोबारा बेचने का खुलासा हुआ है। मेरठ के सरधना इलाके में यह बड़ा रैकेट सामने आया, जब ड्रग डिपार्टमेंट ने छापेमारी की। इस रैकेट में माफिया पुराने रैपर पर नई तारीखें छापकर एक्सपायरी दवाओं को बेचने का काम कर रहे हैं। इसके लिए इलेक्ट्रॉनिक प्रिंटिंग मशीनों का इस्तेमाल हो रहा है। 5 नवंबर को सरधना थाने से महज 2 किलोमीटर दूर स्थित एक घर में छापा मारकर लगभग 55 लाख रुपए की एक्सपायरी दवाओं का बड़ा स्टॉक जब्त किया गया है। यह घर बाहर से एक साधारण किराना स्टोर जैसा दिखता है, जिससे किसी को कभी शक नहीं हुआ।

घर में चल रहा था एक्सपायरी दवाई को नई करके बेचने का काम

यह मकान तीन हिस्सों में बंटा हुआ है, जिनका स्वामित्व मोबीन, मेहताब और कामिल के पास है। कामिल के बेटे नाजिम ने एक कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक प्रिंटिंग मशीन लगाकर इस अवैध कारोबार को अंजाम दिया। दवाओं की मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट को केमिकल, जैसे नेल पॉलिश रिमूवर और थिनर, से मिटाया जाता था। इसके बाद कंप्यूटर से नई तारीखें प्रिंट कर दी जाती थीं। नाजिम, जो पहले शिमला में पेंटिंग का काम करता था, पिछले 8 साल से यहां रह रहा है। आसपास के लोगों ने उसे अक्सर बैग में सामान लाते-ले जाते देखा था, लेकिन उसकी गतिविधियों पर किसी ने शक नहीं किया।

गांव के डॉक्टर्स के पास की जाती थी सप्लाई

ड्रग इंस्पेक्टर पीयूष शर्मा के अनुसार, बाजार में तीन प्रकार की दवाएं बिकती हैं: ब्रांडेड, कंपनी की जेनेरिक, और सामान्य जेनेरिक। जब ब्रांडेड दवाएं एक्सपायर हो जाती हैं, तो कंपनियां उन्हें वापस लेती हैं, लेकिन जेनेरिक दवाओं को वापस नहीं लिया जाता। दवा माफिया इसी बात का फायदा उठाते हैं और वेस्ट मैनेजमेंट कंपनियों से संपर्क कर एक्सपायरी दवाओं को अपने कब्जे में लेते हैं। इसके बाद इन दवाओं को नई तारीख के साथ पैक करके गांवों के छोटे डॉक्टरों और मेडिकल स्टोर्स तक सप्लाई किया जाता है। अधिकारियों को संदेह है कि इन दवाओं की सप्लाई शहर के केमिस्ट स्टोर्स तक भी होती है।


पुलिस को मिली 30 कंपनियों की दवाईयां

इस मामले में दो एफआईआर दर्ज की गई हैं, जिसमें मुख्य आरोपी नाजिम, उसके पिता कामिल, ताऊ मोबीन और चाचा मेहताब के नाम शामिल हैं। हालांकि, अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। पुलिस ने एक डायरी भी बरामद की है, जिसमें कई संदिग्ध नाम दर्ज हैं। ड्रग इंस्पेक्टर पीयूष शर्मा ने बताया कि छापे में 30 कंपनियों की दवाएं मिली हैं। इन कंपनियों को पत्र भेजकर यह जानकारी मांगी गई है कि दवाओं को किन राज्यों और स्टोर्स पर बेचा गया।

एक्सपायरी दवाओं के घातक प्रभाव

वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. तनुराज सिरोही ने एक्सपायरी दवाओं के खतरनाक प्रभावों के बारे में जानकारी दी। उनका कहना है कि इन दवाओं के सेवन से मरीजों को गंभीर नुकसान हो सकता है। दवाएं बेअसर हो सकती हैं, जिससे बीमारी और बढ़ सकती है। इम्यूनिटी कमजोर होने के कारण अन्य बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। इसके अलावा, कुछ दवाओं में रासायनिक परिवर्तन होने से साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, जो जानलेवा साबित हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर डायबिटीज का मरीज एक्सपायरी दवा का सेवन करता है, तो उसका शुगर लेवल अनियंत्रित हो सकता है, जिससे मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर जैसी गंभीर स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

और कहां-कहां हुई सप्लाई?

ड्रग डिपार्टमेंट इस मामले की गहराई से जांच कर रहा है। अब यह जानना महत्वपूर्ण हो गया है कि इन दवाओं की सप्लाई कहां-कहां हुई है और इसमें कौन-कौन शामिल हैं। यह रैकेट न केवल स्वास्थ्य के लिए खतरा है, बल्कि दवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करने में बड़ी चूक की ओर भी इशारा करता है।

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