लखनऊ: योगी सरकार में मंत्री और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के पति आशीष पटेल ने इस्तीफा देने की धमकी दी है। उनका आरोप है कि उनके खिलाफ साजिश रचकर उन्हें बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों की सीबीआई जांच कराई जाए। आशीष पटेल ने यह भी कहा कि यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आदेश होगा तो वे बिना किसी देरी के मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे।
क्या है मामला?
मामला प्राविधिक शिक्षा विभाग से जुड़ा है। आरोप है कि आशीष पटेल ने पॉलिटेक्निक कॉलेजों में विभागाध्यक्ष पद के लिए सीधी भर्ती न करके कार्यरत लेक्चरर्स को प्रमोशन देकर यह पद सौंपे है। इस प्रक्रिया से आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को विभागाध्यक्ष बनने का मौका नहीं मिला। अगर सीधी भर्ती होती तो पिछड़े और अनुसूचित वर्ग को आरक्षण का लाभ मिलता। लेकिन 177 लेक्चरर्स को प्रमोशन देकर आरक्षित वर्ग के अधिकारों का हनन हुआ।
भाजपा विधायक मीनाक्षी सिंह ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर शिकायत की है। उन्होंने विभाग में हर साल लगभग 50 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितताओं का भी आरोप लगाया और इसकी जांच की मांग की है।
मंत्री ने अपनी सफाई में X पर किए पोस्ट
मामले पर सफाई देते हुए आशीष पटेल ने देर रात X पर तीन पोस्ट किए। उन्होंने लिखा कि उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं ताकि उनकी "राजनीतिक हत्या" की जा सके। उन्होंने कहा,
पहला पोस्ट: "सभी जानते हैं कि मुझे बदनाम करने के पीछे कौन है। लेकिन मैं इन मिथ्या आरोपों से डरने वाला नहीं हूं।"
दूसरा पोस्ट: "अपना दल (एस) वंचितों के अधिकारों की लड़ाई लड़ता रहेगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए का मजबूत हिस्सा बना रहेगा।"
तीसरा पोस्ट: "मीडिया और सोशल मीडिया पर मेरे खिलाफ साजिश रचकर तथ्यहीन आरोप लगाए जा रहे हैं। लेकिन वंचित वर्ग के अधिकारों के लिए मैं हमेशा खड़ा रहूंगा।"
OSD ने भी दिया इस्तीफा
सूत्रों के मुताबिक, इस विवाद के बीच मंत्री आशीष पटेल के ओएसडी (विशेष कार्याधिकारी) ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि इस्तीफे की वजह स्पष्ट नहीं की गई है।
क्या अपना दल और योगी सरकार में होगी टकराव
अपना दल (एस) और योगी सरकार के बीच संबंधों में लंबे समय से खटास है। यह खटास लोकसभा चुनाव 2024 के बाद और बढ़ गई है। जानकारों का मानना है कि इस विवाद की शुरुआत 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण से जुड़ी समस्याओं से हुई थी।
1. शिक्षक भर्ती में आरक्षण का मुद्दा
बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा 69,000 सहायक अध्यापकों की भर्ती में अनुसूचित जाति (SC) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को आरक्षण का लाभ नहीं दिए जाने का मुद्दा अपना दल (एस) ने जोरशोर से उठाया था। हालांकि योगी सरकार का दावा है कि भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण के सभी नियमों का पालन किया गया।
2. मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर नाराजगी
अनुप्रिया पटेल ने 27 जून को मुख्यमंत्री योगी को पत्र लिखकर सरकारी भर्तियों में आरक्षण नियमों का पालन न होने की शिकायत की थी। उनका आरोप था कि योग्य उम्मीदवार न मिलने के नाम पर आरक्षित वर्ग के पद सामान्य वर्ग को दिए जा रहे हैं।
*3. विभागीय विवाद”
आशीष पटेल और उनके विभाग के प्रमुख सचिव एम. देवराज के बीच भी विवाद हुआ था। पटेल ने विभाग में तबादलों को लेकर आपत्ति जताई थी और यह मामला मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंचा। इसके चलते पूरे सत्र में विभाग में कोई भी तबादला नहीं हुआ।
4. आरक्षण का मंच से उठाया मुद्दा
अपना दल (एस) के संस्थापक सोनेलाल पटेल की जयंती के अवसर पर अनुप्रिया पटेल ने सरकारी भर्तियों में आरक्षण के मुद्दे को फिर से उठाया। उन्होंने कहा कि आरक्षित वर्गों को उनके अधिकार मिलने चाहिए और लोकतंत्र में "ईवीएम से पैदा होने वाले राजा" इस जिम्मेदारी को निभाने में विफल हो रहे हैं।
5. टोल टैक्स का मुद्दा
अनुप्रिया ने वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग पर अहरौरा टोल प्लाजा को लेकर भी सवाल खड़े किए। उनका कहना था कि एनएचएआई के नियमों के अनुसार दो टोल बूथों के बीच कम से कम 40 किलोमीटर की दूरी होनी चाहिए। लेकिन यहां 20 किलोमीटर के अंतराल पर दो टोल प्लाजा लगाए गए हैं जिससे वाहन चालकों पर अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ रहा है।
अपना दल की कमजोरियां और मजबूती
कमजोरियां
1. अपना दल (एस) अब तक सभी चुनाव भाजपा के साथ गठबंधन में ही जीता है। पार्टी ने कभी अकेले चुनाव लड़कर सफलता हासिल नहीं की।
2. पार्टी की मुखिया अनुप्रिया पटेल का अपनी मां और अपना दल (कमेरावादी) की प्रमुख कृष्णा पटेल से विवाद है। भाजपा इस पारिवारिक विवाद का राजनीतिक लाभ उठा सकती है।
3. लोकसभा चुनाव 2024 में पार्टी का प्रदर्शन कमजोर रहा। अनुप्रिया पटेल ने मिर्जापुर सीट तो जीती, लेकिन रॉबर्ट्सगंज से उनकी प्रत्याशी रिंकी कोल हार गईं।
मजबूतियां
1. अपना दल (एस) का प्रभाव खासतौर पर उत्तर प्रदेश के कुर्मी समुदाय में है। यह समुदाय राज्य की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
2. एनडीए गठबंधन का हिस्सा होने के कारण पार्टी को भाजपा के साथ राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है।
3. वंचित और पिछड़े वर्ग के अधिकारों की बात उठाने वाली पार्टी के रूप में अपनी छवि मजबूत की है।
मंत्रीआशीष पटेल के खिलाफ आरोप और इस्तीफे की धमकी ने योगी सरकार और अपना दल (एस) के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। हालांकि इस विवाद का असर एनडीए गठबंधन पर कितना पड़ेगा यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा। अपने मजबूत जनाधार के बावजूद अपना दल (एस) के लिए भाजपा के साथ गठबंधन बनाए रखना राजनीतिक रूप से अनिवार्य लगता है। वहीं योगी सरकार के लिए भी यह चुनौती है कि वह अपने सहयोगी दलों के साथ बेहतर सामंजस्य बनाए रखे।