यूपी ब्रेकिंग:: सपा और कांग्रेस में बनी सहमति, एक बार फिर गठबंधन में लड़ेंगे चुनाव
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देश में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर अंततः सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन फाइनल हो गया है। सपा तथा कांग्रेस अब मिलकर आगामी लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। बताया जा रहा है की दोनों पार्टियों के बीच आज शाम तक सीट शेयरिंग का पूर्णतः ऐलान हो जाएगा। पूरे मामले की सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पुष्टि भी की है।

समझते हैं सीट बटवारे का पूरा मामला:

कांग्रेस तथा समाजवादी पार्टी के बीच सीट बंटवारे को लेकर काफी समय से खींचतान जारी था। विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. की अनेक बैठकों के दौरान भी अखिलेश यादव ने सीट बंटवारे का मुद्दा जोरदार तरीके से उठाया गया था। लेकिन सीट बंटवारा पर कोई सहमति नहीं बन पाने के बाद समाजवादी पार्टी के द्वारा अपने उम्मीदवारों का ऐलान शुरू कर दिया था। 
इसके बाद कांग्रेस तथा सपा के बीच विवाद गहरा गया। पिछले करीब दस दिनों में दोनों दलों के बीच तो तनाव काफी गहराया हुआ था। दोनों के बीच एक समय ऐसा भी आया, जब कांग्रेस तथा सपा की राहें बिल्कुल अलग होती दिखीं। लेकिन चुनाव के नजदीक आते आते विवाद में प्रियंका गांधी की एंट्री के बाद विवाद थमता नजर आया। खुद अखिलेश यादव ने भी दोनों दलों के बीच तनाव की बातों को अब पुराना कहा।इस संबंध में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि अब हमारे बीच कोई विवाद नहीं है। गठबंधन अवश्य होगा और जल्द ही सारी चीजें भी साफ हो जाएंगी। बाकी चीजें तो अब पुरानी हो गई हैं ,क्योंकि अंत भला तो सब भला।अखिलेश ने कहा की समाजवादी पार्टी की यह कोशिश रहेगी कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपने साथ जोड़ा जाए और समय आने पर लोगों को जिम्मेदारी भी दी जाएगी। इन सभी बातों के बाद ऐसा माना जा रहा है कि आज शाम को ही सीट बंटवारे का पूरा ऐलान हो सकता है। आज शाम 5 बजे संयुक्त प्रेस वार्ता होगी जिसमें दोनों पार्टियों के वरिष्ठ नेता भी शामिल होंगे।

इन तीन सीटों पर फंसा था पेच:

इंडिया गठबंधन को लेकर एक दिन पहले ही खबर आई थी कि सपा और कांग्रेस में अलायंस को लेकर अभी पेच फंसा हुआ है। इन दोनो में स्थानीय स्तर पर सीट शेयरिंग पर बात अभी तक नहीं बन पाई है। सूत्रों का कहना था कि समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव कांग्रेस को मुरादाबाद, बलिया तथा बिजनौर सीटें देने के लिए तैयार नहीं हैं। जबकि कांग्रेस पार्टी अपने प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के लिए बलिया सीट से दांव लगाना चाहती है, लेकिन बलिया को सपा का गढ़ माना जाता है।

अलायंस में कांग्रेस को मिलेंगी 17 सीटें:

सीट बटवारे पर सहमति बनने के बाद अब दोनों दलों की राज्य इकाइयों ने गठबंधन की घोषणा भी कर दी है। आपको बता दें कि यूपी में कुल 80 लोकसभा सीटें हैं। दोनों ही पार्टियों के बीच उपर्युक्त तीन सीटों पर दावेदारी को लेकर पेच फंस गया था। सूत्रों के मुताबिक दो-तीन सीटों को लेकर अभी भी बातचीत चल रही है।
सपा ने कांग्रेस को सीतापुर समेत करीब 17 सीटों का ऑफर दिया था जिसपर कांग्रेस अब राजी हो गई है। ऐसा माना जा रहा है की समाजवादी पार्टी अमरोहा की सीट अब कांग्रेस पार्टी के लिए छोड़ सकती है। तो वहीं कांग्रेस पार्टी अब हाथरस की बजाय सीतापुर सीट ले रही है।

कौन-कौन सी सीटें मिलीं कांग्रेस को:

अमेठी ,रायबरेली ,प्रयागराज ,वाराणसी ,महाराजगंज ,देवरिया ,बांसगांव ,सीतापुर ,अमरोहा ,बुलंदशहर ,गाजियाबाद ,कानपुर ,झांसी ,बाराबंकी ,फतेहपुर सीकरी ,सहारनपुर तथा मथुरा का नाम शामिल है।

सीट शेयरिंग के बाद न्याय यात्रा में शामिल होंगे अखिलेश यादव:

सूत्रों का अब तक यह भी कहना था कि चूंकि सीट बंटवारे पर दोनो दलों में सहमति नहीं बनी है, इसलिए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने राहुल गांधी के नेतृत्व में होने वाली भारत जोड़ो न्याय यात्रा में हिस्सा नहीं लिया है। 
इससे पहले अखिलेश यादव ने यह कहा था कि जब तक कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे को अंतिम रूप नहीं दिया जायेगा, तब तक वे इस न्याय यात्रा में हिस्सा नहीं लेंगे। 
उन्होंने कहा था की एक बार सीटों का बंटवारा तय हो जाए तो अपने आप समाजवादी पार्टी कांग्रेस की इस न्याय यात्रा में शामिल हो जाएगी। चूंकि अब दोनो में सीटों को लेकर सहमति बनती नजर आ रही है तो ऐसा माना जा रहा है की अब अखिलेश यादव कांग्रेस गठबन्धन की भारत जोड़ो न्याय यात्रा का हिस्सा भी बन सकते हैं।आपको बता दें कि साल  2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी द्वारा मुरादाबाद सीट पर जीत हासिल की गई थी। तो वहीं मुरादाबाद में मेयर के चुनाव में कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही थी तथा मामूली अंतर से हार गई थी। यूपी में समाजवादी पार्टी अब तक कुल तीन लिस्ट जारी कर 32 उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है। पहली सूची 30 जनवरी को जारी हुई थी। इसमें 16 उम्मीदवारों का ऐलान किया था। जबकि दूसरी सूची में 11 और उम्मीदवारों की घोषणा की थी। इस लिस्ट में मुख्तार अंसारी के भाई तथा बसपा सांसद अफजाल अंसारी का नाम भी शामिल है। वहीं तीसरी सूची में 5 उम्मीदवारों के नाम थे। जिसमे बदायूं से शिवपाल यादव को उम्मीदवार बनाया गया है।

प्रियंका गांधी के हस्तक्षेप से बनी बात:

ऐसा बताया जा रहा है कि पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने अखिलेश यादव से फोन पर बात की है, जिसके बाद ही दोनों दलों के बीच गतिरोध टूटा तथा सीट बंटवारे पर लगभग सहमति बन गई है। ऐसा माना जा रहा है कि प्रियंका ने इस बात की पुष्टि की है कि दोनों के बीच सीट की संख्या को लेकर कोई विवाद नहीं था, बल्कि विवाद इस बात को लेकर था कि कांग्रेस को कौन-कौन सी सीट दी जा रही हैं। सपा हमें अब कुछ ऐसी सीट देने पर सहमत हो गई है जिसपर हम लड़ना चाहते थे।

प्रियंका और अखिलेश की बात चीत के बाद कांग्रेस ने मुरादाबाद सीट की मांग छोड़ दी है। लेकिन कांग्रेस ने 2 बदलावों की मांग की, जिसमे हाथरस में समाजवादी की वापसी के बजाय सीतापुर की सीट मांगी और श्रावस्ती को लेकर बुलंदशहर या मथुरा छोड़ने पर भी सहमति बन गई है। वाराणसी की सीट पर हालांकि सपा ने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है किंतु कांग्रेस ने सपा से उम्मीदवार वापस लेने का अनुरोध किया है।

उन्होंने बताया कि "सपा नेतृत्व की ओर से वाराणसी, कानपुर, सीतापुर, अमरोहा, झांसी, फतेहपुर सीकरी तथा कुछ अन्य सीट कांग्रेस को दिए जाने पर भी सहमति जताई गई है। यद्यपि कांग्रेस श्रावस्ती लोकसभा सीट चाहती है, लेकिन उस पर अभी सहमति नहीं बनी है।" 
ऐसा बताया जा रहा है की बलिया लोकसभा सीट को लेकर भी अभी स्पष्टता नहीं बनी है। पार्टी पूर्वांचल की बलिया लोकसभा सीट से उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अजय राय के लिए चाहती है। 

एक बार फिर अलायंस में आए सपा-कांग्रेस:

आपको बताते चलें कि वर्ष 2017 में जब चुनाव हुए, तब यूपी की सत्ता में सपा थी तथा चुनाव के वक्त सपा और कांग्रेस में अलायंस हुआ था। उस समय के चुनाव प्रचार में गठबंधन ने नारा दिया था कि 'यूपी को ये साथ पसंद है।' तब दोनों ही दलों के नेताओ 'यूपी के दो लड़के' साथ आने का संदेश देते हुए नजर आए थे। किंतु कोई बड़ा करनामा करने में नाकाम रह गए थे। अब एक बार फिर दोनों ही पार्टियों के बीच अलायंस फाइनल हो गया है।

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