6 साल की लड़ाई में 4 अफसर सस्पेंड फिर भी नहीं मिला न्याय! : लखीमपुर का जमीन पैमाईश मामला, वीडियो हुई थी वायरल और 1 IAS और 3 PCS पर गिरी थी गाज और...?
6 साल की लड़ाई में 4 अफसर सस्पेंड फिर भी नहीं मिला न्याय!

लखीमपुर खीरी: लखीमपुर खीरी में 2 बीघा जमीन की पैमाइश के लिए 6 साल से संघर्ष कर रहे रिटायर्ड मास्टर और आरएसएस कार्यकर्ता विश्वेश्वर दयाल की समस्या अभी भी बनी हुई है। राज्य सरकार ने इस मामले में एक आईएएस और तीन पीसीएस अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। लेकिन बावजूद इसके जमीन का सीमांकन नहीं हो सका है। आइए विस्तार से जानते हैं पूरे मामले की पृष्ठभूमि, घटनाएं और प्रशासनिक कार्रवाई।

विश्वेश्वर दयाल की छह साल की लड़ाई

नकहा ब्लॉक के निवासी और आरएसएस के ब्लॉक स्तर के कार्यकर्ता रिटायर्ड मास्टर विश्वेश्वर दयाल ने 2019 में उपजिलाधिकारी के पास अपनी 11 बीघा जमीन में से 2 बीघा पर कब्जा खत्म कराने के लिए वाद दायर किया। प्रशासन ने एक बार उनकी भूमि की मेड़बंदी कर दी थी लेकिन कुछ दिन बाद विपक्षियों ने इसे तोड़ दिया।

इस पर विश्वेश्वर ने भाजपा विधायक योगेश वर्मा से शिकायत की। विधायक ने स्थिति को गंभीरता से लिया और बार-बार एसडीएम से मिलने का प्रयास किया। 

अधिकारियों का घूस लेते वीडियो हुआ वायरल

अधिकारियों और लेखपालों पर घूस लेने का भी आरोप लगा जिसके सबूत के रूप में एक वीडियो वायरल हुआ। वीडियो वायरल होने के बाद राज्य सरकार हरकत में आई और नियुक्ति विभाग ने मामले की जांच के आदेश दिए। जिलाधिकारी से छह साल के दौरान हुई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी गई। इसके आधार पर आईएएस घनश्याम सिंह और पीसीएस अधिकारियों अरुण कुमार सिंह, विधेश सिंह, और रेनू को निलंबित कर दिया गया।

सरकार ने लखीमपुर खीरी डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल और पूर्व जिलाधिकारी महेंद्र बहादुर सिंह से भी यह पूछते हुए स्पष्टीकरण मांगा कि इतने लंबे समय तक पैमाइश के मामले को क्यों नहीं सुलझाया गया।


विश्वेश्वर दयाल ने सुनाई आपबीती

विश्वेश्वर दयाल बताते हैं कि उनकी जमीन गाटा संख्या 432 पर विवाद है। जिसका अनुमानित मूल्य 50 लाख रुपये से अधिक है। उन्होंने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया और कहा कि छह वर्षों से वह केवल न्याय की उम्मीद में भटकते रहे है। दिसंबर 2019 में जब उन्होंने वाद दायर किया था तब कार्रवाई में बार-बार देरी हुई और मामला अतिरिक्त उपजिलाधिकारी कोर्ट में स्थानांतरित हो गया।

2023 में उनके पक्ष में आदेश हुआ था लेकिन इसके बावजूद विपक्षी पक्ष ने फिर से मेड़बंदी तोड़ दी और गन्ने की फसल जोत दी। विश्वेश्वर ने जब इसकी शिकायत पुलिस चौकी रामापुर में की तो उन्हें यह कहकर टरका दिया गया कि यह मामला राजस्व विभाग से जुड़ा है।

मार्च 2024 में पुलिस में शिकायत करने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने जिलाधिकारी से लेकर एसडीएम तक शिकायतें कीं लेकिन सब व्यर्थ गया। थक-हारकर उन्होंने भाजपा विधायक योगेश वर्मा से दोबारा संपर्क किया।

विधायक ने दिया विश्वेश्वर का साथ

24 अक्टूबर 2024 को विधायक योगेश वर्मा ने विश्वेश्वर को स्कूटी पर बैठाकर एसडीएम अश्वनी सिंह के कार्यालय पहुंचाया। वहां उन्होंने अधिकारियों से सख्त लहजे में बात की और घूस की रकम वापस करने की बात भी उठाई। यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो गई जिसके बाद सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए अधिकारियों को निलंबित कर दिया।

हालांकि इस कार्रवाई के बाद भी राजस्व टीम ने केवल रास्ता खुलवाने का काम किया। विश्वेश्वर का कहना है कि उन्हें केवल अपनी जमीन का सीमांकन चाहिए। निचले स्तर के कर्मचारी जैसे पुलिसकर्मी, लेखपाल और कानूनगो उनकी समस्या को लगातार नजरअंदाज कर रहे हैं।


विपक्षी पक्ष की दलील

विश्वेश्वर के विपक्षियों में से एक शीला देवी (जो आशा बहू हैं) और उनके पति राजकुमार (शिक्षामित्र) के अलावा श्रवण कुमार और उनका बेटा शोभित शामिल हैं। शोभित ने बताया कि जब पहली बार पिलर लगाए गए तो उन्हें पता चला कि पैमाइश हो रही है। उन्होंने राजस्व कर्मियों पर सही तरीके से नपाई न करने का आरोप लगाया।

विपक्षियों ने भी अदालत से स्टे प्राप्त कर लिया और पिलर उखाड़ दिए। उनका कहना है कि वे चाहते हैं कि पूरी जमीन का नक्शे के हिसाब से सीमांकन हो और प्रशासन की मौजूदगी में सही व्यक्ति को जमीन दी जाए।


विधायक योगेश वर्मा का बयान

विधायक योगेश वर्मा ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कोई शिकायत नहीं की थी। वायरल वीडियो का संज्ञान लेते हुए नियुक्ति विभाग ने स्वतः कार्रवाई की। उन्होंने कहा कि यह सरकार का स्पष्ट संदेश है कि किसी भी किसान या पीड़ित व्यक्ति के कार्य में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

निलंबित अफसरों का पक्ष

निलंबित उपजिलाधिकारी रेनू ने बताया कि उन्होंने 31 दिसंबर 2021 को पदभार संभाला था। शादी और चुनावी व्यस्तताओं के कारण उन्हें फाइलें देखने में देरी हुई। 

PCS अफसर अरुण कुमार ने कहा कि दिसंबर 2019 में मामला उनके पास आया और हमने तुरंत राजस्व टीम को कार्रवाई के निर्देश दिए। लॉकडाउन के कारण कार्रवाई में बाधा आई लेकिन उन्होंने पूरी प्रक्रिया के तहत कार्य किया।

इस पूरे प्रकरण से साफ है कि प्रशासनिक स्तर पर लापरवाही और राजस्व विभाग की धीमी कार्यप्रणाली के कारण विश्वेश्वर दयाल को अभी तक न्याय नहीं मिल सका है। अब देखना है कि आगे प्रशासन कब तक इस विवाद का समाधान करता है।

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