उदयपुर के जंगलों में आदमखोर तेंदुए का कहर: 5 साल की बच्ची समेत 9 लोगों की दर्दनाक मौत, 17 दिनों से लगातर चल रहा सर्च ऑपरेशन के बाद भी वन विभाग के हाथ खाली?
उदयपुर के जंगलों में आदमखोर तेंदुए का कहर

उदयपुर: उदयपुर के गोगुंदा इलाके में तेंदुए द्वारा किए गए हमले न केवल इलाके के लोगों के लिए एक बड़ा संकट बन चुके हैं, बल्कि पूरे राज्य में भय और चिंता का विषय बन गए हैं। तेंदुए ने अब तक 9 लोगों की जान ले ली है, और हर घटना ने लोगों को झकझोर कर रख दिया है। तेंदुए के हमले इतने खतरनाक और निर्मम थे कि पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टरों के लिए भी शवों की हालत देखकर स्थिति का वर्णन करना मुश्किल था।

हमलों में मारे गए लोगों में एक 5 साल की बच्ची से लेकर 65 साल के बुजुर्ग पुजारी तक शामिल थे। सभी मामलों में तेंदुए ने एक समान तरीके से हमला किया। तेंदुआ पीड़ित की गर्दन पर हमला करके उसकी जान लेता था और फिर शरीर के कुछ हिस्सों को खा जाता था। 5 साल की बच्ची का शव जब पोस्टमॉर्टम के लिए आया, तो उसके शरीर के अधिकतर अंग गायब थे। डॉक्टरों ने बताया कि शवों की हालत इतनी भयानक थी कि वे भी इसे देखकर स्तब्ध रह गए।

एक लेपर्ड को गाँववालों ने घेर कर मार गिराया

आज सुबह में एक बार फिर लेपर्ड का हमला हुआ है। हालांकि, इस बार ग्रामीणों ने किसान पर हमला कर भाग रहे लेपर्ड को घेरकर मार डाला। वन विभाग के अनुसार ये दावे से नहीं कहा जा सकता कि ये वो ही आदमखोर है जिसने गोगुंदा क्षेत्र में 9 लोगों का शिकार किया है। शुक्रवार सुबह 3 बजे हुई ये घटना गोगुंदा से करीब 20 किलोमीटर दूर सायरा थाना क्षेत्र की है।


जानवरों पर भी हो रहे हमले

तेंदुए ने सिर्फ इंसानों को ही नहीं, बल्कि जानवरों को
भी अपना शिकार बनाया है। तेंदुआ जंगल के आसपास के गांवों में घुसकर मवेशियों को मार डालता है। हाल ही में एक घटना में तेंदुए ने गोगुंदा के ढोल ग्राम पंचायत में एक गाय को मार डाला, जिससे गांववालों में भारी आक्रोश फैल गया।


किसकी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में क्या सामने आया…

हमला-1: 19 सितंबर को उंडीथल गांव के जंगल में बकरियां चराने गई कमला, पुत्री अंबालाल, का शिकार तेंदुए ने किया। गोगुंदा में डॉ. पिकेंश गुर्जर द्वारा पोस्टमॉर्टम किया गया, जिसमें पता चला कि बच्ची का हाथ चबाया गया था। उसके मुंह, पीठ और छाती को भी बुरी तरह नोचा गया था।

हमला-2: 19 सितंबर की शाम को उंडीथल गांव से 3 किमी दूर भेवड़िया गांव में तेंदुए ने खुमाराम, पुत्र हेमाराम गमेती, को मार दिया। डॉ. पुष्कर ने पोस्टमॉर्टम किया। रिपोर्ट में सामने आया कि गर्दन पर तेंदुए के दांतों के गहरे निशान थे और गर्दन को बुरी तरह से नोचा गया था, जिससे रक्त संचार रुक गया था।

हमला-3: 20 सितंबर को गोगुंदा के छाली पंचायत के उमरिया गांव में तेंदुए ने हमेरी भील (50), पत्नी नाना गमेती, का शिकार किया। डॉ. पिकेंश गुर्जर ने पोस्टमॉर्टम किया। रिपोर्ट में सामने आया कि तेंदुए ने उसकी गर्दन दबाई, जिससे उसकी मृत्यु हो गई।

हमला-4: 25 सितंबर को गोगुंदा की मजावद पंचायत के कुडाऊ गांव में 5 साल की बच्ची सूरज, पुत्री गमेर लाल गमेती, का तेंदुए ने शिकार किया। पोस्टमॉर्टम डॉ. दिनेश कुमार चांदा ने किया था। शव की हालत इतनी खराब थी कि शरीर के कई हिस्से गायब थे।

हमला-5: 28 सितंबर को गोगुंदा के बगडूंदा पंचायत के गुर्जरों का गुड़ा गांव में गटू बाई (55), पत्नी मोती लाल गुर्जर, को तेंदुए ने बुरी तरह से नोच डाला। उदयपुर के आरएनटी मेडिकल कॉलेज में डॉ. शैलेंद्र, डॉ. सुनील और डॉ. दिनेश कुमार चांदा ने पोस्टमॉर्टम किया। उनके शरीर का दाहिना हाथ गायब था और गर्दन पर तेंदुए के निशान थे।

हमला-6: 30 सितंबर को उदयपुर के बड़गांव थाना क्षेत्र की मदार पंचायत के राठौड़ों का गुड़ा गांव, जो गोगुंदा के जंगलों से सटा हुआ है, में 65 साल के पुजारी विष्णु को तेंदुए ने मार दिया। पोस्टमॉर्टम के दौरान पाया गया कि उनका बायां फेफड़ा और हार्ट का हिस्सा गायब था, और छाती पूरी तरह से खुली हुई थी। पोस्टमॉर्टम डॉ. जितेंद्र गोगुंदा जयपाल ने किया था।

हमला-7: 1 अक्टूबर को राठौड़ों का गुड़ा गांव से सटे गोगुंदा के विजयावड़ी पंचायत के केलवो का खेड़ा गांव में तेंदुआ कमला कुंवर (55) के घर के आंगन में आ गया और महिला को उठाकर ले गया। पोस्टमॉर्टम में सामने आया कि तेंदुए ने उसकी गर्दन तोड़ दी और गहरे घाव से अत्यधिक रक्तस्राव होने से उसकी मृत्यु हो गई। पोस्टमॉर्टम डॉ. पिकेंश गुर्जर ने किया था।

तेंदुए के आदमखोर बनने का कारण

वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि तेंदुआ स्वभाव से इंसानों से दूर रहता है और सामान्य परिस्थितियों में उन पर हमला नहीं करता। लेकिन हाल के वर्षों में जंगलों में बढ़ते मानवीय हस्तक्षेप, वनों की कटाई और इंसानी बस्तियों के बढ़ने से तेंदुए का प्राकृतिक आवास सिमट गया है। तेंदुए के लिए भोजन की कमी होने लगी है, जिससे वह मजबूर होकर इंसानों पर हमला कर रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि शहरीकरण और जंगलों के पास होटलों और रेस्टोरेंट्स के निर्माण ने भी तेंदुए को मानव बस्तियों की ओर खींचा है। होटलों से निकलने वाले मांसाहारी भोजन की गंध तेंदुए को लुभाती है, और वह भोजन की तलाश में बस्तियों की तरफ आने लगता है।तेंदुआ शिकार के समय बड़ी ही कुशलता से अपने शिकार को पकड़ता है। वह पहले पीड़ित की गर्दन को मजबूती से अपने जबड़े में दबोचता है और फिर उसे जंगल की तरफ ले जाता है। तेंदुआ आमतौर पर अपने शिकार को पेड़ों पर टांगकर खाता है और जो मांस बचता है, उसे बाद में खाने के लिए छोड़ देता है।

24 सितंबर से चल रहा है सर्च ऑपरेशन

तेंदुए के लगातार हो रहे हमलों से स्थानीय लोगों में भय का माहौल बन गया है। तेंदुए की आदमखोरी की पुष्टि होने के बाद, वन विभाग ने एक बड़े सर्च ऑपरेशन की शुरुआत की। 24 सितंबर को शुरू हुए इस ऑपरेशन में अब तक सेना, वन विभाग और शूटरों की टीमें मिलकर तेंदुए की तलाश कर रही हैं। सर्च ऑपरेशन को 17 दिन से ज्यादा हो चुके हैं, और इसमें राजस्थान के विभिन्न जिलों की टीमों के साथ ही हैदराबाद से भी शूटर बुलाए गए हैं।

तेंदुए की खोज के लिए ड्रोन और नाइट विजन दूरबीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। साथ ही, इलाके में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं ताकि तेंदुए की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। इसके अलावा, जंगल में गश्त भी बढ़ा दी गई है और जगह-जगह जाल बिछाए गए हैं। अब तक 12 शूटर तैनात किए जा चुके हैं, जो तेंदुए को ट्रैंकुलाइज (बेहोश ) करने की कोशिश कर रहे हैं।

इस सर्च ऑपरेशन में सेना भी शामिल है, जो वन विभाग की टीमों के साथ मिलकर तेंदुए को पकड़ने के प्रयास में जुटी हुई है। अब तक तेंदुए को पकड़ने में सफलता नहीं मिली है, जिससे लोगों में बेचैनी बढ़ रही है। गांव के लोग डर के कारण रात के समय घरों से बाहर निकलने से कतरा रहे हैं।

ग्रामीणों में भय और आक्रोश

गोगुंदा के इलाके में बसे गांव घने जंगलों और पहाड़ियों से घिरे हुए हैं, जिससे तेंदुए का शिकार करना आसान हो गया है। इन गांवों की सड़कों पर रात के समय रोशनी का अभाव है, जिससे लोग शाम ढलते ही घरों में कैद हो जाते हैं। ग्रामीणों का जीवन तेंदुए के हमलों के कारण पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। वे अब जंगलों और सड़कों पर अकेले जाने से घबराते हैं।

तेंदुए के लगातार हो रहे हमलों के बावजूद अब तक उसे पकड़ा नहीं जा सका है, जिससे ग्रामीणों में आक्रोश फैल रहा है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही तेंदुए को नहीं पकड़ा गया तो वे धरना देंगे। गांवों में मवेशियों पर भी तेंदुए के हमले बढ़ रहे हैं, जिससे ग्रामीणों की आजीविका पर भी असर पड़ रहा है।