नोएडा में वायबिलिटी गैप फंड (वीजीएफ) मॉडल के तहत इलेक्ट्रिक बसों का संचालन शुरू करने की योजना बनाई गई है। इस मॉडल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि न तो बसों के संचालन में प्राधिकरण को आर्थिक घाटा हो और न ही बस ऑपरेटिंग कंपनी को नुकसान उठाना पड़े। नोएडा प्राधिकरण के सीईओ लोकेश एम ने बताया कि वायबिलिटी गैप फंडिंग का मतलब वित्तीय अंतर को भरना है जिससे परियोजना को सुचारू रूप से चलाया जा सके।
उदाहरण के तौर पर यदि एक बस दिन में 200 किमी चलती है और इसका खर्च 1000 रुपये आता है, लेकिन टिकटों की बिक्री से केवल 700 रुपये की आय होती है तो 300 रुपये का घाटा प्राधिकरण द्वारा पूरा किया जाएगा।
एसपीवी का गठन
इस परियोजना के लिए विशेष प्रयोजन वाहन (Special Purpose Vehicle, SPV) का गठन पहले ही किया जा चुका है। इसमें तीनों प्राधिकरण (नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना विकास प्राधिकरण) की हिस्सेदारी तय की जाएगी। यह प्रस्ताव बोर्ड के माध्यम से शासन को भेजा जाएगा। सीईओ ने बताया कि इसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। जनवरी के अंत तक कंपनी चयन के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी। उस कंपनी का चयन किया जाएगा जो सबसे कम वायबिलिटी गैप फंड (वीजीएफ) की मांग करेगी। गौरतलब है कि नोएडा प्राधिकरण वर्तमान में एनएमआरसी को सालाना 120 करोड़ रुपये वीजीएफ के रूप में देता है।
बस रूट और ई-बसों की संख्या
सीईओ ने जानकारी दी कि नोएडा में सबसे अधिक 13 रूट होंगे। इसके बाद ग्रेटर नोएडा में 5 रूट और यमुना विकास प्राधिकरण क्षेत्र में 2 रूट होंगे। सबसे लंबा रूट नोएडा से जेवर तक हो सकता है। इन सभी रूटों की वायबिलिटी स्टडी पहले ही पूरी हो चुकी है। इन रूटों को मेट्रो नेटवर्क से जोड़ा जाएगा ताकि मेट्रो और बसों के बीच यात्री आसानी से आवागमन कर सकें। यह कदम लोगों की यात्रा को और भी सुविधाजनक बनाएगा। इस योजना के तहत कुल 500 ई-बसों का संचालन किया जाएगा।
एयरपोर्ट से पहले शुरू होगी बस सेवा
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर 17 अप्रैल को पहली कॉमर्शियल फ्लाइट उड़ान भरेगी। इससे पहले फरवरी में ही बस सेवा शुरू करने की तैयारी है। सीईओ ने स्पष्ट किया कि इसमें किसी प्रकार की देरी नहीं होगी। प्रक्रिया फाइनल होते ही कंपनी के चयन के लिए टेंडर जारी किया जाएगा। यह कदम इसलिए उठाया जा रहा है ताकि एयरपोर्ट शुरू होने से पहले ही स्थानीय परिवहन की सुविधा लोगों को उपलब्ध हो सके।
पीएम ई-बस योजना से जुड़ने का प्रयास
नोएडा प्राधिकरण इस परियोजना को प्रधानमंत्री ई-बस सेवा योजना से जोड़ने की कोशिश कर रहा है। इस योजना से जुड़ने पर प्राधिकरण को केंद्र सरकार से सब्सिडी के रूप में रिबेट मिलेगा जिससे वीजीएफ का भार कम हो जाएगा। प्रधानमंत्री ई-बस सेवा योजना में केंद्र सरकार द्वारा वायबिलिटी गैप फंड का बड़ा हिस्सा वहन किया जाता है। अधिकारियों के बीच इस मुद्दे पर चर्चा चल रही है और योजना को जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा।
ई-बस चलाने के लाभ
प्रदूषण नियंत्रण: इलेक्ट्रिक बसों के संचालन से वायु प्रदूषण में कमी आएगी।
सुविधा: मेट्रो और बस नेटवर्क को जोड़ने से यात्रियों को सुगम परिवहन मिलेगा।
आर्थिक मजबूती: वीजीएफ मॉडल के तहत प्राधिकरण और कंपनियों को नुकसान नहीं होगा।
पर्यावरण संरक्षण: ई-बसें पर्यावरण के अनुकूल होंगी और कार्बन उत्सर्जन में कमी लाएंगी।
स्थानीय परिवहन: एयरपोर्ट शुरू होने से पहले बस सेवा शुरू होने से यात्रियों को बड़ी सुविधा मिलेगी।
नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना क्षेत्र में यह कदम परिवहन के क्षेत्र में बड़ा सुधार साबित हो सकता है।