नेशनल डॉक्टर्स डे-2024: मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं डॉक्टर्स, हर दो में से एक को है हिंसा का डर?
नेशनल डॉक्टर्स डे-2024

National Doctors Day-2024 : स्वास्थ्य, चिकित्सा को एक नोबल पेशा माना जाता है और चिकित्सकों को समाज में भगवान का दर्जा दिया जाता है।

 कोरोना महामारी और अन्य स्वास्थ्य संकटों में डॉक्टर्स ने समाज की रक्षा के लिए बढ़ चढ़कर एक ढाल की तरह कार्य किया है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हमें स्वस्थ रखने वाले डॉक्टर स्वयं कितने स्वस्थ हैं? 

यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अक्सर हम अपनी समस्याओं के आगे और कुछ नहीं देख पाते लेकिन यह भी जरूरी है कि अगर डॉक्टर स्वयं स्वस्थ नहीं हैं तो वे हमारे इलाज में कितने सक्षम होंगे?

स्वस्थ समाज में योगदान और राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले चिकित्सकों का आभार व्यक्त करने और उनके समर्पण और निस्वार्थ सेवा के लिए हर साल 1 जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है। इस मौके पर यह जानना जरूरी है कि हमारे डॉक्टर किस हालात में हमारा इलाज कर रहे हैं।

डॉक्टरों के प्रति संवेदनशील रहने की है जरूरत

मधुमेह रोग विशेषज्ञ, डॉ. वसीम गौहरी ने बताया कि डॉक्टरों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में जनता को जागरूक करना, उनके प्रयासों की सराहना करना और बेहतर संसाधनों और काम की अनुकूल स्थितियां सुनिश्चित करना आवश्यक है। भारत में चिकित्सा पद्धति और स्वास्थ्य देखभाल में सुधार के लिए कई दिग्गज नेताओं के प्रयासों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार और उन्नति के लिए यह जरूरी है कि डॉक्टरों को आवश्यक संसाधन, सुविधाएं और एक सुरक्षित कार्यस्थल मिले।

हालांकि, डॉक्टर्स के साथ अक्सर होने वाली मारपीट और दुर्व्यवहार की घटनाओं को रोकने, उनके व्यक्तिगत जीवन को स्पेस देने और उनके शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य को लेकर संवेदनशीलता बरतने की जरूरत है। डॉक्टर्स के प्रति हमारी संवेदनशीलता और समझदारी से न केवल उनके काम करने की परिस्थितियों में सुधार होगा, बल्कि वे अधिक स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकेंगे, जिससे अंततः मरीजों की देखभाल में भी सुधार होगा।

डॉक्टरों का महत्व समझे

डॉक्टर हमारे समाज के आधारभूत स्तंभों में से एक हैं। वे रोगों का निदान करते हैं, उपचार करते हैं और हमें स्वस्थ जीवन जीने के लिए मार्गदर्शन करते हैं। डॉक्टर न केवल बीमारियों का इलाज करते हैं बल्कि हमें बीमारियों से बचने के उपाय भी बताते हैं। वे जीवन और मृत्यु के बीच खड़े होकर हमारे जीवन की रक्षा करते हैं और हमें नई जिंदगी देते हैं। डॉक्टरों का कार्य बेहद चुनौतीपूर्ण होता है, जिसमें लंबी अध्ययन अवधि, गहन प्रशिक्षण और अत्यधिक समर्पण की आवश्यकता होती है।


मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं डॉक्टर

2023 में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के एक सर्वे में पाया गया कि हमलों और आपराधिक मुकदमों का डर, नींद की कमी, तनाव, सामाजिक परिवेश और रूढ़िवादिता के कारण देश में डॉक्टरों का एक बड़ा हिस्सा मानसिक रोगों का शिकार है। सर्वे के अनुसार, 82.7% डॉक्टर अपने पेशे में तनाव महसूस करते हैं।

देशभर के विभिन्न विभागों से जुड़े 1,681 डॉक्टरों पर किए गए इस सर्वेक्षण में 46.3% डॉक्टरों ने हिंसा के डर को तनाव का मुख्य कारण बताया, जबकि 13.7% ने आपराधिक मुकदमे की आशंका जताई। अपने मरीजों को हर रात 6-8 घंटे की नींद की सलाह देने वाले डॉक्टर खुद पर्याप्त नींद नहीं ले पाते हैं। काम के दबाव के चलते स्वस्थ आहार तो दूर, कई डॉक्टरों को दिन का भोजन भी सही से नहीं मिल पाता।

डॉक्टरों के मानसिक स्वास्थ्य पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। काम के अत्यधिक दबाव, लंबी शिफ्टों और अनियमित समय सारिणी के कारण वे मानसिक और शारीरिक रूप से थकान महसूस करते हैं। कई डॉक्टर तनाव, अवसाद और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। ऐसे में डॉक्टरों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना बेहद आवश्यक है ताकि वे स्वयं स्वस्थ रहकर दूसरों की सेवा कर सकें।


ब्रह्मा नहीं हैं डॉक्टर

डॉक्टर्स सॉफ्ट टारगेट होते हैं। कभी किसी डॉक्टर को पीट दिया, कभी किसी को धमकी दे दी, तो कभी किसी को आत्महत्या करने पर विवश कर दिया। क्या हम सड़क टूटने के कारण होने वाली दुर्घटना के लिए ठेकेदार को जिम्मेदार मानते हुए भी उसके साथ ऐसा करते हैं? नहीं। लोगों को यह समझना होगा कि डॉक्टर की भी एक सीमा है। वे ब्रह्मा नहीं हैं, जो नियति बदल दें। वैसे नियति तो ब्रह्मदेव भी नहीं बदल सकते थे, वे बस उपाय निकाल देते थे।


क्या अधिक पैसा जान बचाने की गारंटी है?

वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत ने बताया कि कई चीजें बदलने की जरूरत है। जैसे हम डॉक्टर्स को भगवान मानते हैं और उनसे 'रिटर्न ऑन इनवेस्टमेंट' की अपेक्षा रखते हैं। मतलब अगर हम महंगे अस्पताल में इलाज कराने जाते हैं, तो मान लेते हैं कि मरीज को ठीक होना ही चाहिए। लेकिन क्या अधिक पैसा जान बचाने की गारंटी है?


कोविड-19 के दौरान डॉक्टरों की भूमिका को नहीं भूलना चाहिए

हाल के समय में, विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान, डॉक्टरों ने अपनी साहसिकता और कर्तव्यनिष्ठा का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर लाखों लोगों की जान बचाई। महामारी के कठिन समय में डॉक्टरों ने अपने परिवार से दूर रहकर, लगातार काम करके और मानसिक व शारीरिक थकान को सहते हुए हमारे समाज की सेवा की है। उनकी इस सेवा और बलिदान को हम कभी नहीं भुला सकते।


डॉक्टरों का करे सम्मान 

डॉक्टरों के प्रति हमारी अपेक्षाएं और व्यवहार बदलने की जरूरत है। हमें यह समझना होगा कि डॉक्टर भी इंसान हैं और उनकी भी अपनी सीमाएं हैं। हमें उनके साथ सहानुभूति और सम्मान के साथ पेश आना चाहिए और उनकी स्थिति को समझने की कोशिश करनी चाहिए। यह जरूरी है कि हम डॉक्टरों की सराहना करें और उनकी कठिनाइयों को समझें ताकि वे बेहतर तरीके से अपना काम कर सकें और हमें बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर सकें।

नेशनल डॉक्टर्स डे एक महत्वपूर्ण अवसर है जब हम उन चिकित्सकों का आभार व्यक्त कर सकते हैं जो हमारे स्वास्थ्य की रक्षा के लिए अपने जीवन को समर्पित करते हैं। यह दिन हमें यह समझने का अवसर देता है कि डॉक्टर किस प्रकार की मानसिक और शारीरिक चुनौतियों का सामना करते हैं। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि डॉक्टरों को एक सुरक्षित और सहायक कार्य वातावरण मिले ताकि वे अपने कार्य को बेहतर तरीके से कर सकें।

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