सावधान कम उम्र के लोगों में भी हो रहा हैं गठिया: विशेषज्ञों से जाने क्यूँ बढ़ रहीं है युवाओ में ये बीमारी और क्या हैं इससे बचने के उपाय?
सावधान कम उम्र के लोगों में भी हो रहा हैं गठिया

हड्डियों की कमजोरी और गठिया जैसी समस्याएं पहले मुख्य रूप से उम्र बढ़ने का परिणाम मानी जाती थीं। हालांकि अब ये समस्याएं कम उम्र के लोगों में भी देखने को मिल रही हैं। खराब जीवनशैली, शारीरिक निष्क्रियता और अस्वास्थ्यकर आहार के कारण 30 साल से कम उम्र के लोग भी इन समस्याओं का सामना कर रहे हैं। गठिया के लक्षण पहले जहां बुजुर्गों में देखने को मिलते थे, वहीं अब युवा भी इससे प्रभावित हो रहे हैं।

कम उम्र में लक्षणों का पता चलना मुश्किल

एक रिपोर्ट के अनुसार, 30 वर्ष से अधिक आयु के 15% लोग ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित हैं। ऑस्टियोआर्थराइटिस गठिया का सबसे सामान्य रूप है और यह दुनियाभर में लाखों लोगों को प्रभावित करता है। ऑस्टियोआर्थराइटिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें हड्डियों के सिरों को सहारा देने वाली सुरक्षात्मक कार्टिलेज खराब हो जाती है। यह विकार मुख्यतः हाथों, घुटनों, कूल्हों और रीढ़ के जोड़ों को प्रभावित करता है।

20 से 30 वर्ष की आयु में ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षणों की पहचान करना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि ये लक्षण व्यस्त जीवनशैली और अन्य स्थितियों के साथ मिल सकते हैं। लेकिन लगातार जोड़ों में दर्द, अकड़न, लचीलेपन में कमी और घुटनों में समस्याएं इसके प्रमुख संकेत हो सकते हैं।

ऑस्टियोआर्थराइटिस की बढ़ती समस्या 

ऑस्टियोआर्थराइटिस तब होता है जब हड्डियों के सिरों को सहारा देने वाली सुरक्षात्मक कार्टिलेज खराब होने लगती है। यह विकार सबसे ज्यादा हाथों, घुटनों, कूल्हों और रीढ़ के जोड़ों को प्रभावित करता है। उम्र बढ़ने के साथ यह समस्या आम हो जाती है, लेकिन शारीरिक निष्क्रियता, ज्यादा बैठे रहने की आदत, और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली के कारण युवा भी इससे प्रभावित हो रहे हैं।

ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है

लेकिन जोड़ों को होने वाले नुकसान को ठीक नहीं किया जा सकता है। गठिया से बचाव के लिए विशेषज्ञों ने तीन प्रमुख उपाय सुझाए हैं:

नियमित व्यायाम करें: नियमित व्यायाम करना जोड़ों की समस्याओं से बचने के लिए महत्वपूर्ण है। हल्के व्यायाम सहनशक्ति बढ़ाने और जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत करने में मददगार होते हैं। पैदल चलना, साइकिल चलाना, या तैराकी जैसे व्यायाम जोड़ों के दर्द से बचाने और गठिया की समस्याओं को कम करने में सहायक होते हैं। शारीरिक रूप से सक्रिय रहने से गठिया का खतरा कम होता है। योग और स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज भी लाभकारी हो सकती हैं, क्योंकि ये भी मांसपेशियों की मजबूती को बढ़ाती हैं।

वजन नियंत्रित रखें: जॉन्स हॉप्किंस में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, वजन कम करने से घुटने की गठिया से बचा जा सकता है। वजन बढ़ने से जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे मांसपेशियों में अकड़न हो सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, शरीर का वजन नियंत्रित रखने से जोड़ों की समस्याओं से बचा जा सकता है। मोटापा और फैट टिशू कुछ ऐसे प्रोटीन का उत्पादन करते हैं जो जोड़ों में और उसके आसपास हानिकारक सूजन पैदा कर सकते हैं।

आहार में सुधार करें: कम उम्र से ही आहार का ध्यान रखकर जोड़ों की समस्याओं के खतरे को कम किया जा सकता है। एवोकाडो और सोयाबीन तेलों का मिश्रण यूरोप में घुटने और कूल्हे के ऑस्टियोआर्थराइटिस के इलाज में उपयोग किया जाता है। यह एंटी-इंफ्लेमेटरी के रूप में कार्य करता है और अध्ययनों से पता चला है कि इससे जोड़ों की क्षति को धीमा करने या रोकने में मदद मिल सकती है।

आहार में ओमेगा-3 फैटी एसिड : वाली चीजें जैसे फैटी मछली और नट्स को शामिल करके जोड़ों को स्वस्थ रखा जा सकता है। हरी सब्जियां, फल, और साबुत अनाज भी आहार का हिस्सा होने चाहिए।

इन उपायों को अपनाकर न सिर्फ गठिया और हड्डियों की समस्याओं से बचा जा सकता है, बल्कि संपूर्ण शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाया जा सकता है। सही आहार, नियमित व्यायाम, और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से इन समस्याओं का खतरा काफी हद तक कम किया जा सकता है।

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