महिलाओं में बढ़ते ब्रेस्ट कैंसर पर एक नज़र: क्यूँ कम उम्र में ही महिलाओं को हो रहा ब्रेस्ट कैंसर? खुद को सुरक्षित रखने के लिए जानें विशेषज्ञों की राय...
महिलाओं में बढ़ते ब्रेस्ट कैंसर पर एक नज़र

स्वास्थ्य: दरअसल ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में आम प्रकार का एक कैंसर रूप है और भारत में भी इसके मामलों में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है।

 अगर स्तनों में किसी प्रकार की गांठ या असामान्य बदलाव दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि आमतौर पर रजोनिवृत्ति के बाद ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ता है लेकिन कम उम्र में भी इसके जोखिम को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

विशेषज्ञों की राय

येल मेडिसिन में रेडियोलॉजिस्ट और ब्रेस्ट इमेजिंग विशेषज्ञ डॉ. लीवा आंद्रेजेवा-राइट के अनुसार, 20 साल और इससे कम उम्र की महिलाओं में भी ब्रेस्ट कैंसर के मामले देखे जा रहे हैं। हालांकि ब्रेस्ट कैंसर का निदान आमतौर पर रजोनिवृत्ति के बाद की उम्र की महिलाओं में होता है, पर युवावस्था से ही सतर्क रहना जरूरी है। डॉ. लीवा का कहना है कि उन्होंने 20 साल की महिलाओं में भी ब्रेस्ट कैंसर का निदान किया है।

नियमित जांच की आवश्यकता

अमेरिकन कैंसर एसोसिएशन सभी महिलाओं को नियमित रूप से अपने स्तनों की खुद से जांच करने और मैमोग्राम स्क्रीनिंग कराने की सलाह देता है। अगर आपको लगता है कि आपकी उम्र ब्रेस्ट कैंसर के लिए बहुत कम है तो यह सोच बदलने की जरूरत है। विशेषज्ञों के अनुसार, 20-30 साल की उम्र में ब्रेस्ट कैंसर के मामले दुर्लभ हैं, लेकिन बदलती जीवनशैली और आहार के कारण अब इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।

40 से कम उम्र की महिलाओ के हजार से अधिक मामले आ रहे

रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार, सभी ब्रेस्ट कैंसर मामलों में से लगभग 11% मामले 45 वर्ष से कम आयु में रिपोर्ट किए जाते हैं। हर साल 40 वर्ष से कम आयु की 1,000 से अधिक महिलाओं की ब्रेस्ट कैंसर से मृत्यु हो जाती है। समय रहते अगर कैंसर का निदान हो जाए तो इसका उपचार संभव है और रोगी की जान बचाई जा सकती है।

डॉ. आंद्रेजेवा-राइट का कहना है कि किस उम्र से मैमोग्राम शुरू करना चाहिए, इस बारे में डॉक्टर से सलाह लें। स्तनों में किसी प्रकार का बदलाव या गांठ दिखने पर डॉक्टर को बताएं। समय पर क्लिनिकल जांच और इमेजिंग से कैंसर के खतरे का पता लगाया जा सकता है।

कम उम्र में बढ़ते कैंसर के कारण

ब्रेस्ट कैंसर तब होता है जब स्तनों में कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं। यह अक्सर डीएनए में परिवर्तन के कारण होता है। इसके सटीक कारण अभी स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन शोधकर्ताओं का मानना है कि हार्मोन, पर्यावरणीय कारक और आनुवंशिकी इसके जोखिम को बढ़ा सकते हैं। लगभग 5% से 10% ब्रेस्ट कैंसर वंशानुगत जीन उत्परिवर्तन से जुड़े होते हैं।

इसके अलावा, कुछ आदतें भी इसके खतरे को बढ़ा सकती हैं:

शारीरिक रूप से सक्रिय न रहना: नियमित व्यायाम न करने से मोटापा और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं, जिससे ब्रेस्ट कैंसर का खतरा भी बढ़ता है।

बच्चे को स्तनपान न कराना: स्तनपान कराने से हार्मोन के स्तर में संतुलन बना रहता है, जिससे ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम होता है।

शराब और धूम्रपान की आदत: शराब और धूम्रपान ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं।

रजोनिवृत्ति के बाद मोटापा या अधिक वजन होना: अधिक वजन या मोटापा हार्मोन के स्तर को प्रभावित कर सकता है, जिससे ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।

5 साल से अधिक समय तक हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी लेना: यह थेरेपी हार्मोन के स्तर को बढ़ाती है, जो ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को बढ़ा सकती है।

रात में देर से सोना: हार्मोन के स्तर में बदलाव के कारण ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।

इन सभी कारकों के बावजूद, नियमित जांच और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि समय रहते निदान और उपचार से ब्रेस्ट कैंसर को सफलतापूर्वक नियंत्रित किया जा सकता है। इसलिए, सभी महिलाओं को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए और किसी भी असामान्य बदलाव को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

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