465 सब-इंस्पेक्टरों की नौकरी पर संकट: हाईकोर्ट ने सामाजिक और आर्थिक आधार पर अंक देने के लिए सरकार से माँगा जवाब?
465 सब-इंस्पेक्टरों की नौकरी पर संकट

हरियाणा में 400 पुरुष और 65 महिला सब-इंस्पेक्टरों की नियुक्ति का परिणाम सामाजिक और आर्थिक आधार पर अंक देने को लेकर विवादों में आ गया है। इस मुद्दे पर चुनौती देने वाली याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार और अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस याचिका के चलते अब चयनित 465 एसआई की नौकरी खतरे में पड़ गई है।

सामाजिक और आर्थिक आधार पर दिए गए अंक

प्रदीप शर्मा और अन्य याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट को बताया कि हरियाणा पुलिस में 400 पुरुष और 65 महिला सब-इंस्पेक्टरों के पद के लिए 2021 में आवेदन किए गए थे। याचिकाकर्ताओं ने इस भर्ती प्रक्रिया में भाग लिया और दस्तावेजों की जांच के लिए भी बुलाए गए,

लेकिन अंतिम चयन सूची में उनका नाम शामिल नहीं था। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि लिखित परीक्षा में उनसे कम अंक पाने वाले उम्मीदवारों को सामाजिक और आर्थिक आधार पर अतिरिक्त अंक दिए गए, जिससे वे चयन सूची में स्थान पाने में सफल रहे और उन्हें नियुक्ति मिल गई।


याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इन अतिरिक्त अंकों का लाभ एक प्रकार का आरक्षण है। सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी मामले में स्पष्ट किया था कि आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता।

इसके अतिरिक्त, याचिकाकर्ताओं ने बताया कि हाल ही में ग्रुप सी और डी की भर्तियों में सीईटी (सामान्य पात्रता परीक्षा) के तहत भी हाईकोर्ट ने इन अंकों के लाभ को असंवैधानिक करार दिया है। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि अगर इन अंकों को हटाकर मेरिट सूची जारी की जाती है, तो वे चयन सूची में अपनी जगह बना सकते हैं।

नई सूची तैयार करने की माँग

याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट से अपील की है कि भर्ती के परिणाम को रद्द किया जाए और बिना इन अंकों के लाभ दिए नई चयन सूची तैयार की जाए। उनका कहना है कि यह प्रक्रिया न्यायसंगत और पारदर्शी होनी चाहिए। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की दलीलों को सुनने के बाद हरियाणा सरकार और अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।


यह मामला अब न्यायिक प्रक्रिया में है और इसके परिणामस्वरूप हरियाणा पुलिस में नियुक्त 465 सब-इंस्पेक्टरों की नौकरी पर संकट आ गया है। अगर अदालत याचिकाकर्ताओं के पक्ष में निर्णय देती है, तो इन नियुक्तियों को रद्द किया जा सकता है

और नई मेरिट सूची तैयार की जा सकती है, जिससे याचिकाकर्ताओं को अवसर मिल सकेगा। इस मामले की अगली सुनवाई की तिथि अभी निर्धारित नहीं की गई है, लेकिन यह मामला हरियाणा के पुलिस भर्ती प्रणाली में महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।