नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव-2025 की तारीखों की घोषणा चुनाव आयोग के द्वारा कर दी गई है। दरअसल 5 फरवरी को वोटिंग होगी तो वहीं 8 फरवरी को परिणाम सामने आ जाएंगे। इस बार का चुनाव बिल्कुल त्रिकोणीय चुनाव होने वाला है। वहीं चुनावी घोषणा के बाद आम आदमी पार्टी, भाजपा तथा कांग्रेस पार्टी के द्वारा इसका स्वागत करते हुए अपनी अपनी जीत का दावा भी किया गया है।
आपको बता दें कि पिछले कई महीनों से सभी पार्टियां अपनी जीत को लेकर तैयारी भी कर रही थीं। वहीं अब चुनावी रण में उतरने का भी लगभग समय आ ही गया है। दिल्ली चुनाव का मुख्य मुकाबला इन्हीं तीनों पार्टियों के बीच में होने वाला है।
मजबूत पक्ष के साथ हर पार्टी का है कमजोर पक्ष:
दरअसल चुनावी मैदान में उतरने वाली इन सभी पार्टियों का अपना अपना मजबूत पक्ष है। जिसके आधार पर ही वह इस विधानसभा चुनाव में अपनी अपनी जीत का दावा भी कर रही हैं।
लेकिन मजबूती के साथ साथ इन सभी पार्टियों के सामने कई चुनौतियां भी मौजुद हैं। जो इन पार्टियों की अपनी कमजोरी भी है। अतः दिल्ली की सत्ता तक पहुंचने के लिए इन सभी पार्टियों को अपनी कमजोरियों की पहचान करके उसे जल्द से जल्द दूर करना होगा।
आइए जानते हैं इन तीनों पार्टियों के मजबूत और कमजोर पक्ष क्या हैं:
आम आदमी पार्टी (AAP):-
मजबूत पक्ष
1)दिल्ली सरकार की उपलब्धियों तथा मुफ्त पानी, बिजली समेत महिलाओं के लिए निःशुल्क बस यात्रा को प्रचारित करना।
2)इसके साथ साथ दिल्ली की महिलाओं को सम्मान योजना तथा 60 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों के निश्शुल्क उपचार हेतु “संजीवनी योजना” सहित अन्य कई लोकलुभावन घोषणाएं की गई है। जिसके माध्यम से पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल मतदाताओं को अपनी पार्टी से जोड़ने का प्रयास किया है।
3)पार्टी के पास अरविंद केजरीवाल के जैसा लोकप्रिय नेता मौजूद है। भाजपा तथा कांग्रेस के भी कई अनुभवी एवं जनाधार वाले नेता अब आप में ही शामिल हो गए हैं। इनमें से कई को तो पार्टी का टिकट दिया गया है। नगर निगम चुनाव में जीत के बाद वार्ड स्तर पर कार्यकर्ताओं की टीम भी तैयार की गई है।
3)इसके अतिरिक्त झुग्गी बस्तियों, अनाधिकृत कॉलोनियों तथा मुस्लिमों के बीच में पार्टी की काफी मजबूत पकड़ भी है। साथ ही महिलाओं के बीच भी आम आदमी पार्टी की अच्छी खासी लोकप्रियता है।
कमजोर पक्ष
1)आम आदमी पार्टी की सरकार पर भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लगे हैं। जिस वजह से पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल समेत कई बड़े नेता भी जेल जा चुके हैं।
2)वहीं मुख्यमंत्री आवास वाले विवाद से लेकर आबकारी घोटाले तथा भ्रष्टाचार के अन्य कई मामलों को विपक्ष के द्वारा प्रमुखता से उठाया जा रहा है।
3)पिछले 10 सालों से सत्ता में रहने की वजह से कई स्थानों पर विधायकों तथा सरकार के प्रति नाराजगी भी दिखी है।
4)वहीं चुनाव से पहले पार्टी के कई पदिग्गज नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है। वहीं टिकट कटने की वजह से कई विधायकों तथा उनके कार्यकर्ताओं में नाराजगी से भीतरघात का डर भी है।
5)दूषित पेयजल, वायु प्रदूषण तथा यमुना की सफाई सहित अन्य कई समस्याओं को लेकर आम आदमी पार्टी को विरोधी पार्टियों के द्वारा कटघरे में खड़ा किया जा रहा है। साथ ही दिल्ली सरकार के द्वारा किए गए वादे भी पूरे नहीं करने का आरोप लगाए गया है।
भारतीय जनता पार्टी (BJP):-
मजबूत पक्ष
1)दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी का एक मजबूत संगठन है। इनके पास बूथ स्तरीय कार्यकर्ताओं की एक बड़ी टीम है। वहीं प्रत्येक बूथ पर 3 समर्पित कार्यकर्ताओं (त्रिदेव) की एक टीम काम कर रही है। जबकि दूसरे राज्यों के भी अनुभवी नेताओं को प्रत्येक विधानसभा में विस्तारक के रूप में तैनात किया गया है।
2)पार्टी पिछले कई महीनों से अपनी रणनीति तैयार करके लगातार काम कर रही है। सबसे अधिक जोर तो बूथ प्रबंधन पर ही दिया गया है।
3)झुग्गी बस्तियों तथा अनुसूचित जाति के बीच में पिछले 4 महीनों से जाकर कार्यकर्ता जनसंपर्क अभियान भी चला रहे है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपनी रैली कर चुके हैं।
4) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की ने जन कल्याणकारी योजनाओं तथा दिल्ली के विकास में योगदान के प्रचार पर लगातार एवं विशेष जोर दिया है। साथ ही लाभार्थियों से संपर्क करके उन्हें अपने पक्ष में लाने की पूरी कोशिश की जा रही है।
5)कुछ दिनों पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा राजधानी दिल्ली में करीब 17 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन तथा शिलान्यास किया गया है।
कमजोर पक्ष
1)दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के पास मतदाताओं को अपनी तरफ आकर्षित करने हेतु अरविंद केजरीवाल जैसा कोई लोकप्रिय नेता मौजूद नहीं है। इसको लेकर आम आदमी पार्टी के नेता भाजपा को घेरते रहते हैं। साथ ही उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदार का नाम बताने की भी चुनौती देते रहते हैं।
2) भारतीय जनता पार्टी पिछले करीब 26 सालों से दिल्ली की सत्ता से बिल्कुल दूर है। वहीं अब नगर निगम की सत्ता भी भाजपा के हाथ से निकल गई है। इस वजह से पार्टी के कार्यकर्ताओं में काफी निराशा का भाव है।
3)साथ ही भारतीय जनता पार्टी अपने प्रत्याशियों की घोषणा में भी दूसरी पार्टियों से पिछड़ रही है। अभी तक बीजेपी ने सिर्फ 29 प्रत्याशियों की ही घोषणा की है। इसका असर भी चुनाव प्रचार पर पड़ रहा है।
4) आम आदमी पार्टी की तुलना में जमीनी स्तर पर भाजपा का चुनावी प्रचार भी काफी कम दिख रहा है। वहीं प्रत्याशियों की घोषणा में देरी होने के कारण गुटबाजी बढ़ने का भी खतरा लगातार बढ़ता रहा है।
कांग्रेस पार्टी (Congress):-
मजबूत पक्ष
1) कांग्रेस पार्टी के पास चुनाव प्रबंधन करने का एक लंबा तथा अच्छा खास अनुभव मौजूद है। साथ ही लंबे वक्त तक पार्टी दिल्ली की सत्ता में भी रही है। वहीं पार्टी का मजबूत संगठन भी है तथा ब्लाक स्तर तक पार्टी के द्वारा अपने पदाधिकारी तैनात किए गए हैं।
2)पार्टी के कार्यकर्ताओं के द्वारा लगातार केंद्र सरकार तथा दिल्ली सरकार की विभिन्न नीतियों के खिलाफ मजबूती के साथ अपना विरोध दर्ज कराया गया है। वहीं इस बार कांग्रेस पार्टी पहले की तुलना में अधिक आक्रामक तरीके से चुनावी मैदान में उतरी है।
3)मतदाताओं को दिखाने के लिए पार्टी के पास दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के कार्यकाल में हुए विकास कार्य भी उपलब्ध हैं। कांग्रेस पार्टी इसी को आधार बना कर दिल्ली की जनता से उनका समर्थन मांगती रही है।
3)कांग्रेस शासित सभी राज्यों के लोकलुभावन निर्णयों को अब दिल्ली में भी लागू करने का वादा पार्टी के नेताओं के द्वारा किया गया है। जैसे महिलाओं को 2,500 रुपये देना तथा प्रत्येक नागरिक को 25 लाख स्वास्थ्य बीमा देने का वादा किया गया है।
कमजोर पक्ष
1)दिल्ली में कांग्रेस पार्टी के पास ऐसा कोई भी लोकप्रिय नेता नहीं है जिसे वह आगे करके जनता को अपने साथ में जोड़ सके। दरअसल पिछले कुछ महीनों में कई पुराने नेता कांग्रेस पार्टी छोड़ भी चुके हैं। जिस वजह से पार्टी पहले से काफी कमजोर हुई है।
2)झुग्गी बस्ती तथा अनाधिकृत कॉलोनी में कांग्रेस पार्टी का काफी मजबूत वोट बैंक था। लेकिन अब वहां की स्थिति भी बदल गई है। कांग्रेस पार्टी का जनाधार निरंतर गिरता जा रहा है।
3)इसके अतिरिक्त पार्टी के वोट बैंक में गिरावट आने से पिछले 2 विधानसभा चुनाव में पार्टी को दिल्ली में 1 भी सीट नसीब नहीं हो सकी है। इस वजह से भी दिल्ली में पार्टी के कार्यकर्ताओं में काफी निराशा है। अतः उनमें उर्जा का संचार करके उन्हें चुनाव प्रचार में लगाने की भी चुनौती पार्टी में है।
4)इसी प्रकार अपने पुराने वोट बैंक को वापस पाने के लिए पार्टी को एक अच्छी और बेहतर विशेष रणनीति बनानी होगी, जो कि फिलहाल दिखाई नहीं दे रही है।
5)अंततः कांग्रेस पार्टी को अपने टिकट वितरण में पुराने तथा समर्पित नेताओं समेत कार्यकर्ताओं की अनदेखी भी पार्टी पर भारी पड़ती हुई दिखाई दे रही है। इससे पार्टी के भीतर तथा कई जगहों पर असंतोष की स्थिति भी दिखाई दे रही है।