अब लेपर्ड ने पूजारी का किया शिकार, इलाके में फैली दहशत: 11 दिन में 7 लोगों की मौत, किसी का सिर तो किसी का हाथ था गायब?
अब लेपर्ड ने पूजारी का किया शिकार, इलाके में फैली दहशत

उदयपुर: उदयपुर में लेपर्ड का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है, जहां पिछले 11 दिनों में 7 लोगों की जान ले ली गई है। सबसे हालिया घटना रविवार रात की है, जब गोगुंदा इलाके में एक मंदिर के पुजारी को लेपर्ड ने अपना शिकार बना लिया। इस घटना ने पूरे इलाके में भय का माहौल बना दिया है। लेपर्ड ने पुजारी का एक हाथ, गर्दन और छाती का हिस्सा खा लिया और उसे मंदिर से लगभग 150 मीटर दूर जंगल में घसीटते हुए ले गया, जहां उसका शव मिला। इस घटना से पहले भी लेपर्ड के हमलों में 6 लोगों की जान जा चुकी थी, जिससे पूरे उदयपुर क्षेत्र में दहशत फैली हुई है।

पुजारी का एक हाथ, गर्दन और छाती का हिस्सा था गायब

राठौड़ों का गुड़ा गांव के हनुमान मंदिर में पुजारी विष्णु गिरी (65) रोज की तरह पूजा-अर्चना कर रहे थे। सोमवार की सुबह जब गांव के लोग पानी भरने के लिए मंदिर के पास पहुंचे, तो वहां खून के निशान दिखाई दिए। पहले तो किसी को अंदाजा नहीं था कि यह किसका खून हो सकता है, लेकिन जब पुजारी गायब मिले, तो लोगों ने उनकी तलाश शुरू की। कुछ ही देर में मंदिर से 150 मीटर दूर जंगल में पुजारी का शव क्षत-विक्षत हालत में मिला। लेपर्ड ने उनका एक हाथ खा लिया था, साथ ही गर्दन और छाती के हिस्से को भी चीर डाला था। इस भयावह घटना की खबर मिलते ही पुलिस और वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची।


वन विभाग ने चार लेपर्ड को पकड़ा

इस बढ़ते खतरे को देखते हुए वन विभाग ने कई प्रयास किए हैं। पिछले दिनों में 4 लेपर्ड पकड़े जा चुके हैं, जिन्हें उदयपुर के बायोलॉजिकल पार्क में रखा गया है। वन विभाग ने इनके शरीर से सैंपल लेकर जांच के लिए देहरादून स्थित लैब में भेजे हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इन हमलों में कौन सा लेपर्ड शामिल है। सैंपल की रिपोर्ट आने के बाद ही यह तय किया जा सकेगा कि इन पकड़े गए लेपर्ड को कहीं और शिफ्ट करना है या वहीं रखा जाएगा। वन विभाग और प्रशासन इस पूरे मामले को गंभीरता से ले रहे हैं और लेपर्ड के हमलों पर अंकुश लगाने के लिए नए उपायों पर विचार कर रहे हैं।


जंगलों में छोड़े जाएंगे हिरण

वन विभाग ने इकोसिस्टम को ठीक करने के लिए एक योजना भी बनाई है। इस योजना के तहत गोगुंदा और झाड़ोल के जंगलों में हिरण, सांभर और खरगोश जैसे जानवरों को छोड़ा जाएगा ताकि लेपर्ड को प्राकृतिक शिकार उपलब्ध हो और इंसानों पर उनके हमले कम हों। इसके अलावा, प्रशासन ने यह भी फैसला किया है कि गांवों में लोगों को जागरूक किया जाएगा कि वे अकेले जंगलों में न जाएं, खासकर मवेशी चराने या चारा लेने के लिए। वन विभाग ने एक विशेष वैन चलाई है, जो गांव-गांव जाकर लोगों से सतर्कता बरतने की अपील कर रही है।

रिटायर्ड सहायक वन संरक्षक ने बताया हमलों का मुख्य कारण

इस पूरे मामले पर रिटायर्ड सहायक वन संरक्षक सतीश शर्मा का कहना है कि पिछले कुछ सालों में उदयपुर जिले में लेपर्ड के हमले बढ़े हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि जंगलों में लेपर्ड के प्राकृतिक शिकार जैसे मोर, जंगली मुर्गे, तीतर, बंदर, लंगूर, हिरण, सांभर और नीलगाय की संख्या में कमी आई है। जंगलों में भोजन की कमी के कारण लेपर्ड भोजन की तलाश में इंसानी बस्तियों तक पहुंच रहे हैं, जिससे इंसान और लेपर्ड के बीच टकराव बढ़ गया है।

समस्या से निपटने के लिए लॉन्ग टर्म एक्शन प्लान पर हो रहा काम

प्रशासन इस समस्या से निपटने के लिए लॉन्ग टर्म एक्शन प्लान पर भी काम कर रहा है। इसके तहत जंगलों में हिरण और सांभर जैसे जानवरों को छोड़ा जाएगा ताकि लेपर्ड को प्राकृतिक भोजन मिल सके। इसके अलावा, लेपर्ड की मूवमेंट पर नजर रखने के लिए ड्रोन और रेडियो कॉलर जैसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। पकड़े गए लेपर्ड के शरीर में रेडियो कॉलर लगाए जाएंगे ताकि उनकी गतिविधियों को मॉनिटर किया जा सके। ड्रोन की क्षमता बढ़ाने और रोबोटिक रेंजर प्रणाली विकसित करने पर भी विचार किया जा रहा है।

उदयपुर के गावों पर लेपर्ड का हमला

1- 19 सितंबर सुबह 8 बजे उंडीथल गांव की रहने वाली कमला का हाथ, मुंह खाया हुआ शव झाड़ियों में मिला।

2- 19 सितंबर शाम 6:30 बजे भेवड़िया गांव के खुमाराम गमेती को लेपर्ड ने अपना शिकार बनाया।

3- 20 सितंबर सुबह 11 मलारिया खुर्द गांव की महिला पर हमला किया। उसने भागकर अपनी जान बचाई।

4- 20 सितंबर शाम 6:30 बजे उमरिया गांव की हमेरी भील को शिकार बनाया।

5- 25 सितंबर शाम 7 बजे मजावद ग्राम पंचायत के कुडाऊ गांव की भील बस्ती की 5 साल की बच्ची को लेपर्ड ने मार डाला।

6- 26 सितंबर दोपहर 3 बजे झाड़ोल के सरणा फला में 50 साल के शंकर को लेपर्ड ने मार डाला।

7- 28 सितंबर को रात सवा 9 बजे गुर्जरों का गुड़ा गांव की 55 साल की गटू बाई का शव घर से 300 मीटर दूर पहाड़ी पर मिला।

8- 30 सितंबर को उदयपुर में राठौड़ों का गुड़ा गांव में पुजारी विष्णु पुरी (65) को मंदिर से घसीटकर 150 मीटर दूर ले गया।


राजस्थान में लेपर्ड की संख्या में हुई बढ़ोत्तरी

राजस्थान में लेपर्ड की संख्या में पिछले कुछ वर्षों में वृद्धि हुई है। 2017 में जहां लेपर्ड की संख्या 507 थी, वहीं 2024 में यह बढ़कर 925 हो गई है। हालांकि, यह संख्या बढ़ने के साथ ही इंसान और लेपर्ड के बीच संघर्ष के मामले भी बढ़े हैं। प्रशासन और वन विभाग दोनों इस समस्या को सुलझाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं, ताकि इन हमलों को रोका जा सके और इंसानों की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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