संभल की जामा मस्जिद मामले में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: सुनवाई पर रोक, चार हफ्तों में सभी पक्षों से मांगा जवाब
संभल की जामा मस्जिद मामले में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

प्रयागराज: संभल की जामा मस्जिद के विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला अदालत में चल रही सुनवाई पर रोक लगाते हुए सभी पक्षों को चार हफ्तों में जवाब देने का निर्देश दिया है। मस्जिद इंतजामिया कमेटी द्वारा सर्वे के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अगले आदेश तक किसी भी तरह की कार्रवाई पर रोक लगा दी है।

मुस्लिम पक्ष को मिली अस्थायी राहत

हाईकोर्ट ने कहा है कि सभी पक्षों द्वारा जवाब दाखिल करने के बाद मस्जिद कमेटी को दो हफ्तों के भीतर प्रत्युत्तर दाखिल करना होगा। मामले की अगली सुनवाई 25 फरवरी को होगी। इस फैसले से मुस्लिम पक्ष को तत्कालिक राहत मिली है।

मस्जिद कमेटी ने सर्वे रोकने के लिए दाखिल की थी याचिका

4 जनवरी को मस्जिद इंतजामिया कमेटी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी जिसमें उन्होंने सर्वे की प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की थी। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि जिला अदालत में चल रहे मुकदमे की पोषणीयता (सुनवाई योग्य होने) पर सवाल है और इसे खारिज किया जाना चाहिए।

हिंदू पक्ष का दावा और याचिका

हिंदू पक्ष का कहना है कि संभल की जामा मस्जिद की जगह पर पहले एक मंदिर था जिसे बाबर ने 1529 में ध्वस्त कर मस्जिद में तब्दील कर दिया था। इस दावे को लेकर नवंबर में आठ लोगों ने अदालत में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हरिशंकर जैन और उनके बेटे विष्णुशंकर जैन भी शामिल हैं। इन दोनों ने काशी, मथुरा और ताजमहल जैसे मामलों में भी याचिकाएं दाखिल की हैं।

हिंदू पक्ष ने अपनी याचिका में 95 पेज का तर्क प्रस्तुत किया है जिसमें बाबरनामा, आइन-ए-अकबरी और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की 150 साल पुरानी रिपोर्ट को आधार बनाया गया है।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाईकोर्ट पहुंचा मामला

इससे पहले मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी जिसमें उन्होंने सर्वे प्रक्रिया और जिला अदालत के आदेश को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने का निर्देश दिया था और हाईकोर्ट से जल्द सुनवाई करने को कहा था।

हाईकोर्ट और संभल अदालत के फैसलों में तालमेल

संभल जिला अदालत ने 5 मार्च तक मामले की सुनवाई स्थगित कर दी थी। इसी दिन कुछ घंटे बाद हाईकोर्ट ने अपनी सुनवाई के दौरान जिला अदालत की प्रक्रिया पर रोक लगाने का आदेश दिया। अब हाईकोर्ट में मामला लंबित रहने तक जिला अदालत में कोई कार्यवाही नहीं होगी।

हिंदू पक्ष का दावा: मंदिर से मस्जिद में तब्दील हुई जगह

हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद की जगह पर पहले श्रीहरिहर मंदिर था। 1529 में बाबर ने इसे तुड़वाकर मस्जिद बनवा दिया। यह मामला अब धार्मिक और ऐतिहासिक तर्कों के आधार पर कानूनी विवाद का रूप ले चुका है।

मुस्लिम पक्ष की याचिका के मुख्य बिंदु

मुस्लिम पक्ष ने अपनी याचिका में एडवोकेट कमिश्नर द्वारा किए जा रहे सर्वे की प्रक्रिया और रिपोर्ट को सार्वजनिक करने पर आपत्ति जताई है। उन्होंने दीवानी अदालत में जारी आदेशों को भी चुनौती दी है और उन्हें रद्द करने की मांग की है।

अगली सुनवाई की तारीख तय

25 फरवरी को हाईकोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई करेगा। इस दौरान दोनों पक्ष अपने-अपने जवाब और प्रत्युत्तर दाखिल करेंगे। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि हाईकोर्ट इस विवादित मामले में आगे क्या रुख अपनाता है।

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