हरिद्वार: 'हर हर गंगे' की गूंज, साधुओं का अलौकिक समागम और करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का महासंगम हरिद्वार महाकुंभ 2027 के लिये उत्तराखंड सरकार ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। यह सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर का वो महायज्ञ होगा, जिसे दुनिया टकटकी लगाकर देखेगी।
मुख्य सचिव ने दिया निर्देश:
राज्य के मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने इस महायोजना की कमान संभालते हुए सभी विभागों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं: "अभी से एक्शन प्लान तैयार करें, क्योंकि यह आयोजन उत्तराखंड के इतिहास का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन होगा।" बर्द्धन ने कहा कि कुंभ सिर्फ तीर्थ नहीं, बल्कि उत्तराखंड की प्रतिष्ठा, सुरक्षा और पर्यटन का सबसे बड़ा इम्तिहान होगा।
कैसा होगा 2027 का महाकुंभ?
सूत्रों के मुताबिक इस बार महाकुंभ को टेक्नोलॉजी से लेस और इन्फ्रास्ट्रक्चर की दृष्टि से अभूतपूर्व बनाया जाएगा। कुंभ के दौरान करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ को मैनेज करने के लिए AI-बेस्ड ट्रैफिक सिस्टम, ड्रोन सर्विलांस, डिजिटल हेल्प डेस्क, स्मार्ट टेंट सिटी, और ऐप-आधारित सूचना तंत्र जैसे इनोवेशन शामिल किए जाएंगे।
2021 से सबक, 2027 में कोई चूक नहीं
2021 में कोरोना महामारी के साए में सिमटा कुंभ इस बार पूरी भव्यता के साथ होगा। शासन को अंदेशा है कि इस बार 10 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पहुंच सकते हैं। यही वजह है कि प्रशासन 2 साल पहले ही पूरी ताकत झोंकने जा रहा है।
कुंभ को मिलेगा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच
राज्य सरकार केंद्र के साथ मिलकर इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमोट करने की योजना बना रही है। धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ, यह आयोजन उत्तराखंड को वैश्विक अध्यात्म और योग राजधानी के तौर पर स्थापित करने का अवसर बनेगा।
क्या-क्या होगा प्लान में शामिल?
हाईटेक टेंट सिटी और स्थायी शौचालय
हेलीकॉप्टर सर्विस और इमरजेंसी एयर एंबुलेंस
घाटों की रीडिजाइनिंग और सीसीटीवी निगरानी
नदियों की सफाई और कूड़ा प्रबंधन के लिए आधुनिक सिस्टम
बड़ी संख्या में मेडिकल टीम और मोबाइल हॉस्पिटल
"2027 का महाकुंभ सिर्फ आस्था का पर्व नहीं, बल्कि भारत की प्रशासनिक तैयारी, तकनीक और सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन होगा।"