दिल्ली: बांग्लादेश में इस्कॉन के दो प्रमुख मंदिरों में उपद्रवियों द्वारा आगजनी की घटना को अंजाम दिया है जिससे हिंदू समुदाय के भीतर भय और आक्रोश व्याप्त है। इस घटना की जानकारी इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा की। उन्होंने बताया कि शनिवार तड़के सुबह करीब तीन बजे ढाका जिले के धौर गांव स्थित श्रीश्री राधा कृष्ण मंदिर और श्रीश्री महाभाग्य लक्ष्मी नारायण मंदिर को उपद्रवियों ने निशाना बनाया। ये दोनों मंदिर इस्कॉन के हरे कृष्ण नामहट्ट केंद्र के अंतर्गत आते हैं।
आगजनी में मंदिर पूरी तरह नष्ट
राधारमण दास ने बताया कि आग लगाने के लिए पेट्रोल या किसी अन्य ज्वलनशील पदार्थ का इस्तेमाल किया गया। इस घटना में मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की मूर्तियां, धार्मिक ग्रंथ, पूजा सामग्री और अन्य सामान पूरी तरह जलकर नष्ट हो गए। हालांकि सौभाग्य से इस आगजनी में कोई व्यक्ति घायल नहीं हुआ।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार नहीं उठा रही कोई कदम
इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में इस्कॉन के 100 से भी अधिक धार्मिक केंद्र मौजूद हैं लेकिन इसके बावजूद वहां हिंदू समुदाय को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को बार-बार इस ओर ध्यान दिलाने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। उन्होंने मांग की कि सरकार इस गंभीर समस्या को प्राथमिकता के साथ हल करे।
भाजपा नेता ने की इस घटना की कड़ी निंदा
घटना की निंदा करते हुए भाजपा नेता और बंगाल के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने इसे "अक्षम्य अपराध" करार दिया। उन्होंने कहा कि दोषियों को तुरंत गिरफ्तार कर उन्हें सख्त सजा दी जानी चाहिए। साथ ही बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस और तत्काल कार्रवाई की मांग की।
बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे हमले अस्वीकार्य हैं और इसे तुरंत रोका जाना चाहिए। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वह इस मामले में हस्तक्षेप करे और बांग्लादेश पर दबाव बनाए। अधिकारी ने यह भी चेतावनी दी कि जब तक इस तरह की घटनाएं बंद नहीं होतीं तब तक उनका विरोध और आंदोलन जारी रहेगा।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने भी इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने बांग्लादेश सरकार से अपील की कि वह मानवाधिकारों की रक्षा करे और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा को रोके। भारतीय मूल के कई अमेरिकी नागरिकों ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की है। उन्होंने अगले दो दिनों में वाशिंगटन और शिकागो में विरोध प्रदर्शन और रैलियां आयोजित करने की योजना बनाई है। इन भारतीय-अमेरिकी संगठनों का कहना है कि बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति केवल एक क्षेत्रीय मुद्दा नहीं है बल्कि यह मानवता के खिलाफ अपराध है जिसे रोका जाना बेहद जरूरी है।
बांग्लादेशी घुसपैठियों पर कड़ी कार्रवाई
इस बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने जानकारी दी कि असम पुलिस ने छह बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार कर उन्हें पड़ोसी देश के अधिकारियों को सौंप दिया। पकड़े गए लोगों की पहचान मोहम्मद दीदारुल इस्लाम, संटू खान, इस्माइल हुसैन राहत, साकिब हुसैन, शाति अख्तर और मीम शेख के रूप में हुई है।
होटलों में बांग्लादेशी नागरिकों को नहीं ठहराने देंगे
असम की बराक घाटी के होटलों ने बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों का विरोध करते हुए बांग्लादेशी नागरिकों को अपने यहां ठहराने से इनकार कर दिया है। बराक घाटी होटल एवं रेस्तरां एसोसिएशन के अध्यक्ष बाबुल राय ने कहा कि जब तक हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार बंद नहीं होते तब तक वे बांग्लादेशी नागरिकों को ठहराने की अनुमति नहीं देंगे।उन्होंने कहा कि यह कदम केवल एक प्रतीकात्मक विरोध नहीं है बल्कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने का प्रयास है। बराक घाटी के तीनों जिले- कछार, श्रीभूमि (पूर्व में करीमगंज) और हैलाकांडी में होटल मालिकों ने इस फैसले का समर्थन किया है।
समाज के भीतर गहराता संकट
यह घटना न केवल बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की असुरक्षा को उजागर करती है बल्कि इस बात की भी याद दिलाती है कि धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए वैश्विक स्तर पर प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से बांग्लादेश पर दबाव बनाने की मांग बढ़ती जा रही है ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।