नई दिल्ली: नेशनल हेराल्ड घोटाले में ईडी की जांच तो 2015 में शुरू हो चुकी थी, पर इसके बावजूद पर्दे के पीछे मनी लॉन्ड्रिंग का खेल बदस्तूर जारी रहा! ईडी की ताज़ा चार्जशीट ने कांग्रेस से जुड़े यंग इंडिया और एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (एजीएल) के खिलाफ चौंकाने वाले आरोपों की पुष्टि की है।
18 करोड़ का ‘फर्जी चंदा’, जिसका कोई दाता ही नहीं!
2017-2018 के दौरान यंग इंडिया ने 18.1 करोड़ रुपये को “दान” के रूप में दिखा दिए। लेकिन जब ईडी ने गहराई से छानबीन की, तो चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई — ये चंदे फर्जी थे, क्योंकि देने वाला कोई व्यक्ति या संस्था अस्तित्व में ही नहीं थी! ये पैसे कथित रूप से आयकर विभाग की देनदारी चुकाने के लिए बैंक में जमा कराए गए।
किराया भी नकली, एग्रीमेंट भी फर्जी!
ईडी के अनुसार एजीएल ने 38.41 करोड़ रुपये का “अग्रिम किराया” दिखाया, लेकिन जांच में पता चला कि जिन संपत्तियों का किराया बताया गया, उनके तो रजिस्ट्रेशन ही नहीं थे! यानी कागज पर ही पूरा झांसा रचा गया।
‘नेताओं के कहने पर जमा हुए करोड़ों’: गवाहों का दावा
जांच में सामने आया कि कई संस्थाओं और व्यक्तियों ने कांग्रेस नेताओं के निर्देश पर यंग इंडिया और एजीएल को करोड़ों रुपये “विज्ञापन” या “अन्य कारणों” से दिए। इन पैसों का असल मकसद किसी बधाई संदेश या शुभकामना विज्ञापन से कहीं ज़्यादा गंभीर था — काले पैसे को सफेद बनाना!
विज्ञापन की आड़ में मिली करोड़ों की रकम?
2017-18 में एजीएल के खातों में 29.45 करोड़ रुपये विज्ञापन से आय के रूप में दर्ज हुए। जांच में पता चला कि इनमें से 15.86 करोड़ रुपये कांग्रेस से जुड़े संगठनों से आए थे, और बाकी 13.59 करोड़ रुपये अन्य संस्थाओं और व्यक्तियों से। जब इनसे पूछताछ की गई, तो अधिकतर ने कहा कि ये भुगतान कांग्रेस नेताओं के निर्देश पर हुआ।
इन विज्ञापनों में अधिकतर “जन्मदिन की बधाई”, “सांस्कृतिक श्रद्धांजलि” जैसे मामूली विषयों पर आधारित थे, जो कि प्रचार की बजाय रकम ट्रांसफर का जरिया थे।
सत्ता के साये में चल रहा था मनी मैनेजमेंट का गोरखधंधा?
ईडी की चार्जशीट में दर्ज है कि ये सारी रकम ऐसे समय पर इकट्ठी की गई जब आयकर विभाग ने एजीएल को 414 करोड़ का नोटिस भेजा था। यंग इंडिया, जो गांधी परिवार से जुड़ी संस्था मानी जाती है, उस वक्त एजीएल को नियंत्रित कर रही थी। यानी नियंत्रण भी वहीं, पैसों का प्रवाह भी वहीं, और हेराफेरी भी उसी खेमे में!
ED ने जोड़ा सीधा रिश्ता – यंग इंडिया = गांधी परिवार = मनी लॉन्ड्रिंग?
ईडी की चार्जशीट में साफ कहा गया है कि उस समय यंग इंडिया का संचालन सीधे गांधी परिवार के हाथों में था और उन्होंने इसका इस्तेमाल काली कमाई को सफेद करने के लिए किया।
क्या अब इस मामले में होगी गिरफ्तारी या फिर ये भी किसी 'पुराने मुद्दे' की तरह धूल फांकता रह जाएगा?
ईडी की चार्जशीट अब राजनीतिक गलियारों में गर्मी बढ़ा चुकी है… विपक्षी दल हमलावर हैं और कांग्रेस मौन है।
"नेशनल हेराल्ड घोटाले" की ये नई कड़ी दिखाती है कि घोटाले की कहानी खत्म नहीं हुई — बल्कि पर्दे के पीछे अब भी बहुत कुछ चल रहा था…