अब Diabetes के खतरे का पहले से ही लग जाएगा पता: ICMR ने MDRF के सहयोग से बनाया देश का सबसे पहला डायबिटीज बायोबैंक! जानें पूरी खबर विस्तार से
अब Diabetes के खतरे का पहले से ही लग जाएगा पता

स्वास्थ्य: अब डायबिटीज के होने वाले खतरे का पहले ही पता लग सकेगा। इससे इस डायबिटीज बीमारी की रोकथाम करने के साथ ही इसके इलाज में भी काफी मदद मिलेगी। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन (MDRF) के सहयोग से एमडीआरएफ चेन्नई में भारत देश का सबसे पहला डायबिटीज बायोबैंक स्थापित किया है। यह बायोबैंक एक ऐसे समय में स्थापित किया गया है जब देश में छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक डायबिटीज के शिकार बन रहे हैं।

लगभग 11 करोड़ लोग हैं पीड़ित

इसके बारे में अगर एक अनुमान के मुताबिक देखा जाए तो भारत में लगभग 11 करोड़ से अधिक लोग इससे पीड़ित हैं, जबकि तकरीबन 13 करोड़ से ज्यादा लोगों को डायबिटीज होने की आशंका बताई जाती है। डायबिटीज की वजह से दिल की बीमारियों का भी खतरा काफी रहता है। एमडीआरएफ के अध्यक्ष डॉ. वी. मोहन का कहना है कि, "बायोबैंक डायबिटीज के कारणों, साथ ही भारतीयों को चपेट में लेने वाले अलग अलग प्रकार के डायबिटीज और इससे संबंधित विकारों पर शोध करने में बहुत मदद करेगा। इस बायोबैंक में दो तरह के अध्ययनों से संबंधित रक्त के नमूने हैं। इनमें साल 2008 से लेकर साल 2020 तक कई चरणों में सभी राज्यों और साथ ही केंद्र शासित प्रदेशों में आयोजित ICMR इंडिया डायबिटीज और साथ में रजिस्ट्री आफ पीपल विद डायबिटीज इन इंडिया एट ए यंग एज एट द आनसेट भी शामिल किया गया है।"

इसके अलावा डॉ. मोहन ने कहा कि युवाओं में टाइप 1, टाइप 2 और साथ में गर्भकालीन डायबिटीज जैसे अलग अलग प्रकार के डायबिटीज के रक्त के बहुत सारे नमूने भविष्य के अध्ययन और होने वाले अनुसंधान के लिए संग्रहीत किए गए हैं। इस बायोबैंक को स्थापित करने की प्रक्रिया लगभग दो साल पहले से शुरू हुई थी। पिछले ही सप्ताह इंडियन जर्नल आफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित हुए एक लेख में बायोबैंक का विवरण और इसके अलावा इसे स्थापित करने के तमाम उद्देश्यों को विस्तार के साथ बताया गया था। संसार के विभिन्न बायोबैंक में से सबसे प्रसिद्ध एक ब्रिटेन का बायोबैंक है। इसमें तकरीबन पांच पांच लाख लोगों की आनुवंशिक, जीवन शैली और साथ ही स्वास्थ्य संबंधी जानकारी वाला बायोमेडिकल डाटा मौजूद  है।

अब और आसान होगी नए बायोमार्कर की पहचान

इस बायोबैंक के स्थापित होने से डायबिटीज को लेकर होने वाले शोध और नए बायोमार्कर की पहचान कर पाना बहुत आसान होगा। यह समय के साथ साथ डायबिटीज के बढ़ने और साथ ही इसकी जटिलताओं को ट्रैक करने के लिए अध्ययन में भी काफी मददगार साबित होगा, जिससे एक बेहतर प्रबंधन और इसके लिए रोकथाम की रणनीतियां बन सकेंगी। अनुसंधान को ज्यादा बढ़ावा देकर बायोबैंकइस  बीमारी के बारे में हमारी समझ को और ज्यादा बेहतर बनाएगा जो कि इस बीमारी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में अपना काफी योगदान दे सकता है।

देश में लगभग 31.5 करोड़ लोग हैं हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित

वहीं पर ICMR इंडिया डायबिटीज के द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि भारत में हर एक राज्य के 1.2 लाख लोगों का डाटा है। और अध्ययन से पता चला है कि देश में हाई ब्लड प्रेशर से तकरीबन 31.5 करोड़ लोग, पेट के मोटापे से लगभग 35.1 करोड़ लोग प्रभावित हैं। इस अध्ययन ने यह भी संकेत दिया है कि इस डायबिटीज का खतरा कम विकसित राज्यों में काफी ज्यादा बढ़ रहा है। लगभग 10 प्रतिशत से भी कम भारतीय लोग शारीरिक गतिविधियों के द्वारा शरीर को फिट रखने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। वहीं पर केवल 43.2 प्रतिशत लोगों ने ही डायबिटीज के बारे में सुना है।

वहीं डायबिटीज को लेकर जागरूकता फैलाने पर भी काफी जोर दिया गया है। "रजिस्ट्री आफ पीपल विद डायबिटीज इन इंडिया एट ए यंग एज एट द आनसेट" इस अध्ययन में पूरे देशभर के आठ क्षेत्रीय कैंसर केंद्रों (आरसीसी) से जुड़े हुए पूरे 205 केंद्रों से पूरे 5,546 प्रतिभागी जिसमें (49.5 प्रतिशत पुरुष, 50.5 प्रतिशत महिलाएं) शामिल हुए। इस अध्ययन में टाइप 1 और साथ ही टाइप 2 डायबिटीज सामान्य तौर पर काफी अधिक पाए गए। यह अध्ययन साल 2006 में शुरू किया गया था और अभी तक भी यह जारी है।

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