तिरुपति प्रसादम विवाद: राममंदिर प्राण प्रतिष्ठा में तिरुपति से आए 3 टन लड्डू मे चर्बी के मिलावट से भड़के संत और रामभक्त?
तिरुपति प्रसादम विवाद

धर्म और आस्था: तिरुपति के श्री वेंकटेश्वर मंदिर के प्रसादम लड्डू में गाय की चर्बी और मछली के तेल के उपयोग की खबर ने अयोध्या सहित पूरे धार्मिक जगत में हड़कंप मचा दिया है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान तिरुपति से आए तीन टन लड्डू, जो भक्तों में प्रसाद के रूप में बांटे गए थे, अब विवाद का केंद्र बन गए हैं। जैसे ही यह जानकारी सामने आई कि इन लड्डुओं में मांसाहारी पदार्थ मिलाए गए थे, संत और भक्तों में आक्रोश फैल गया। यह मामला न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से संवेदनशील है, बल्कि करोड़ों हिंदुओं की आस्था पर भी गंभीर चोट है।


भक्तों की भावनाओं के साथ हुआ खिलवाड़

अयोध्या के संतों और भक्तों का मानना है कि तिरुपति मंदिर का प्रसाद, जिसे अत्यंत पवित्र माना जाता है, में इस प्रकार की मिलावट से पूरे देश के भक्तों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ हुआ है। संतों का यह भी कहना है कि यह मिलावट कब से चल रही है, इसका कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है, लेकिन यह धार्मिक विश्वास का खुला उल्लंघन है। जो भी संस्था या ट्रस्ट इस घोर अनियमितता में शामिल है, उसके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी किसी घटना की पुनरावृत्ति न हो सके।

मामले की उच्चस्तरीय जांच की माँग

रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्र दास ने भी इस पर गहरा दुख जताया है। उन्होंने कहा कि अयोध्या के वैष्णव परंपरा से जुड़े संत और भक्त तो प्याज और लहसुन तक का सेवन नहीं करते, ऐसे में प्रसाद में पशुओं की चर्बी मिलना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। यह हिंदू धर्म की गहरी धार्मिक भावनाओं का अपमान है। उन्होंने मांग की कि इस गंभीर मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए और दोषियों को कठोर दंड दिया जाना चाहिए, ताकि आस्था से खिलवाड़ करने वालों को सबक मिले।

इसी बीच, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान तिरुपति के लड्डू उनके द्वारा नहीं बांटे गए थे। उन्होंने यह भी बताया कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान बड़ी संख्या में भक्तों ने भेंट स्वरूप कई चीजें दी थीं, जिनमें से कुछ प्रसाद के रूप में वितरित की गईं। चंपत राय ने कहा कि यह मामला तिरुपति से जुड़ा हुआ है और इस पर उनके द्वारा कुछ कहना उचित नहीं होगा।

घी की आपूर्ति करने वाली कंपनी का दावा?

उधर, तिरुपति बालाजी मंदिर को घी की आपूर्ति करने वाली कंपनी एआर डेयरी ने दावा किया है कि उनके द्वारा आपूर्ति किए गए घी की गुणवत्ता प्रमाणित की गई थी। तमिलनाडु स्थित इस फर्म ने स्पष्ट किया कि उन्होंने जून और जुलाई के महीनों में ही तिरुपति मंदिर को घी की आपूर्ति की थी और इस घी की गुणवत्ता को विधिवत मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला से प्रमाणित किया गया था। कंपनी ने यह भी कहा कि अब वे तिरुपति मंदिर को घी की आपूर्ति नहीं कर रहे हैं।

इस पूरे विवाद ने न केवल तिरुपति बालाजी मंदिर की साख को सवालों के घेरे में ला दिया है, बल्कि इसे आस्था और परंपरा से जुड़े कई मुद्दों पर बहस को भी जन्म दे दिया है।

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