संभल: संभल की जामा मस्जिद में कोर्ट के आदेश पर हो रहे सर्वे के दौरान अचानक हालात इतने बिगड़ गए कि हिंसा भड़क उठी। इस घटना में पांच लोगों की मौत हो गई, जबकि दर्जनों घायल हो गए। घायलों में संभल के एसपी, डीएम और डीआईजी समेत कई वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं। हिंसा के दौरान डिप्टी कलेक्टर का पैर टूट गया और एसपी के पीआरओ को गोली लग गई।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
यह मामला तब शुरू हुआ जब हिंदू पक्ष ने दावा किया कि संभल की जामा मस्जिद एक प्राचीन हरिहर मंदिर को तोड़कर बनाई गई है। इस दावे पर अदालत ने संज्ञान लेते हुए 19 नवंबर को मस्जिद का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया। कोर्ट कमिश्नर चंदौसी के वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश सिंह राघव के नेतृत्व में टीम ने सर्वे शुरू किया। रविवार सुबह टीम जब दोबारा मस्जिद पहुंची तो भीड़ ने इसका विरोध किया।
मस्जिद के पास भारी भीड़ इकट्ठा हो गई जिसने सर्वे को रोकने का प्रयास किया। पुलिस ने जब भीड़ को रोकने की कोशिश की तो पथराव शुरू हो गया। स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई और हिंसा फैल गई। भीड़ ने सीओ की गाड़ी समेत कई वाहनों को नुकसान पहुंचाया और उन्हें आग के हवाले कर दिया।
पुलिस ने आंसू गैस का लिया सहारा
पुलिस ने हिंसक भीड़ को काबू में करने के लिए आंसू गैस और लाठीचार्ज का सहारा लिया। करीब डेढ़ घंटे तक हालात बेकाबू रहे। इस दौरान फायरिंग भी हुई जिसमें तीन लोगों को गोली लगी। पुलिस ने बड़ी मशक्कत के बाद कोर्ट कमिश्नर और सर्वे टीम को मस्जिद से सुरक्षित बाहर निकाला।
पूरे शहर में है कर्फ्यू जैसा माहौल
हिंसा के बाद पूरे शहर में तनाव फैल गया। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने अन्य जिलों से पुलिस बल और पीएसी को बुलाया। इलाके की घेराबंदी कर दी गई और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं। शाम तक और सख्ती बढ़ा दी गई जिससे पूरे शहर में अघोषित कर्फ्यू जैसा माहौल बन गया।
5 लोगों की गई जान
हिंसा में पांच लोगों की जान चली गई। मृतकों में मोहल्ला कोट तवेला निवासी नईम (35), फतेहऊनला सराय निवासी बिलाल (22), हयातनगर के रोमान (40), तुर्तीपुर के कैफ (19) और कोट गर्दी के अयान (19) शामिल हैं। घायलों में डीआईजी, डीएम, एसपी और डिप्टी कलेक्टर के अलावा कई पुलिसकर्मी शामिल हैं।
कमिश्नर आंजनेय कुमार सिंह ने कहा कि तीन युवकों को गोली लगी, जिसमें से दो की मौत गोली लगने से हुई है। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि पुलिस ने फायरिंग नहीं की। पुलिस ने सिर्फ आंसू गैस और लाठीचार्ज का इस्तेमाल किया।
क्या है विवाद की असली वजह?
हिंदू पक्ष ने कोर्ट में दावा किया कि मस्जिद एक प्राचीन हरिहर मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। उनका कहना है कि यह मंदिर पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल से भी पहले का है। वहीं मुस्लिम पक्ष का कहना है कि मस्जिद किसी भी मंदिर को तोड़कर नहीं बनाई गई बल्कि यह एक टीले पर बनी है।
19 नवंबर को अदालत ने मस्जिद का सर्वे करने के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया था। सर्वे का पहला चरण उसी दिन पूरा हुआ। रविवार को टीम सर्वे को आगे बढ़ाने पहुंची थी जब हिंसा भड़क गई। कोर्ट कमिश्नर 29 नवंबर को रिपोर्ट पेश करेंगे।
घटनाक्रम की विस्तृत टाइमलाइन
सुबह 7 बजे: कोर्ट कमिश्नर कोतवाली पहुंचे।
सुबह 7:30 बजे: कोर्ट कमिश्नर पुलिस के साथ जामा मस्जिद पहुंचे।
सुबह 8 बजे: मस्जिद के पास भीड़ इकट्ठा हुई।
सुबह 8:30 बजे: भीड़ और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की के बाद पथराव शुरू।
सुबह 10 बजे: पुलिस ने मस्जिद के पास से भीड़ को खदेड़ा।
सुबह 10:10 बजे: कोर्ट कमिश्नर और उनकी टीम मस्जिद से बाहर निकली।
सुबह 10:30 बजे: फायरिंग के दौरान तीन लोगों को गोली लगी।
सुबह 11 बजे: हिंसा में बिलाल और रोमान की मौत।
सुबह 11:30 बजे: नईम की मौत की खबर आई।
दोपहर 12 बजे: नखासा तिराहे पर भीड़ ने दोबारा हंगामा शुरू किया।
दोपहर 12:30 बजे: नखासा तिराहे पर पथराव और झड़प।
दोपहर 1 बजे: कमिश्नर और डीआईजी पुलिस बल के साथ पहुंचे।
शाम 6 बजे: इंटरनेट सेवाएं बंद करने के आदेश जारी किए गए।
रात 6 बजे: एडीजी रमित शर्मा ने संभल का दौरा किया।
छावनी में बदल दिया गया शहर
संभल को छावनी में बदल दिया गया है। पुलिस ने हिंसा में शामिल लोगों की पहचान के लिए जांच शुरू कर दी है। दो महिलाओं समेत 10 लोगों को हिरासत में लिया गया है। कई और लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा रही है।
प्रशासन का बयान
कमिश्नर आंजनेय कुमार सिंह ने कहा कि हिंसा के लिए कुछ लोग पहले से ही तैयार थे। सुबह सर्वे का समय इसलिए तय किया गया था ताकि नमाज के समय कोई परेशानी न हो। बावजूद इसके भीड़ ने पथराव और हिंसा शुरू कर दी।
प्रशासन ने आम जनता से शांति बनाए रखने की अपील की है। 29 नवंबर को कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होगी