राजस्थान: राजस्थान में 13 नवंबर 2024 को होने वाले सात विधानसभा सीटों के उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने बुधवार रात अपने प्रत्याशियों की घोषणा की। इन सात सीटों में झुंझुनूं, रामगढ़, दौसा, देवली-उनियारा, खींवसर, सलूंबर और चौरासी शामिल हैं। कांग्रेस ने सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारते हुए किसी भी गठबंधन से दूरी बनाई है। पार्टी ने झुंझुनूं से अमित ओला, रामगढ़ से आर्यन जुबैर, दौसा से डीडी बैरवा, देवली-उनियारा से केसी मीणा, खींवसर से डॉ. रतन चौधरी, सलूंबर से रेशमा मीना और चौरासी से महेश रोत को टिकट दिया है।
उम्मीदवारों का परिचय
अमित ओला (झुंझुनूं): अमित ओला राजस्थान के झुंझुनूं से प्रत्याशी हैं। वे गहलोत सरकार के पूर्व मंत्री और झुंझुनूं लोकसभा सीट से सांसद बृजेंद्र ओला के बेटे हैं।
आर्यन जुबैर (रामगढ़): आर्यन जुबैर रामगढ़ सीट से उम्मीदवार हैं और उनके पिता जुबेर खान पहले इस सीट के विधायक रह चुके हैं।
डीडी बैरवा (दौसा): दौसा से डीडी बैरवा उम्मीदवार हैं, जो कांग्रेस जिला कमेटी के महासचिव हैं और उनकी पत्नी बीना बैरवा वर्तमान में लवाण पंचायत समिति की प्रधान हैं।
केसी मीणा (देवली-उनियारा): केसी मीणा देवली-उनियारा से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। हाल ही में वीआरएस लेने के बाद वे सक्रिय राजनीति में आए हैं और उनके टिकट के लिए सांसद हरीश मीणा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
डॉ. रतन चौधरी (खींवसर): खींवसर से कांग्रेस ने डॉ. रतन चौधरी को मैदान में उतारा है। वे पूर्व आईपीएस सवाई सिंह की पत्नी हैं और भाजपा में ज्योति मिर्धा के साथ शामिल हुई थीं।
रेशमा मीना (सलूंबर): रेशमा मीना को सलूंबर से उम्मीदवार बनाया गया है। वे जयसमंद पंचायत समिति की सदस्य हैं और पहले सराड़ा पंचायत समिति की प्रधान रह चुकी हैं।
महेश रोत (चौरासी): महेश रोत चौरासी सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं और वे यूथ कांग्रेस से जुड़े रहे हैं।
भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला
चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिलेगा। विशेष रूप से रामगढ़, देवली-उनियारा और दौसा में दोनों प्रमुख पार्टियों के बीच सीधा टकराव होगा। हालांकि, कुछ सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला भी होने की संभावना है। चौरासी, झुंझुनूं, सलूंबर और खींवसर में त्रिकोणीय संघर्ष देखने को मिलेगा। झुंझुनूं में पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा, खींवसर में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी), और चौरासी और सलूंबर में भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) के प्रत्याशी चुनावी लड़ाई को और दिलचस्प बना रहे हैं।
क्यूँ पड़ी उपचुनाव की आवश्यकता
इन सात सीटों पर उपचुनाव की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि दो सीटों पर मौजूदा विधायकों के निधन के कारण उपचुनाव हो रहे हैं। रामगढ़ के विधायक जुबेर खान और सलूंबर के विधायक अमृतलाल मीना के निधन के बाद इन सीटों पर चुनाव होना जरूरी हो गया था। बाकी पांच सीटों पर विधायक इस साल लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए थे, जिसके बाद इन सीटों पर उपचुनाव का आयोजन किया जा रहा है। इनमें झुंझुनूं से बृजेंद्र ओला, देवली-उनियारा से हरीश चंद्र मीणा, दौसा से मुरारी लाल मीणा, खींवसर से हनुमान बेनीवाल (आरएलपी), और चौरासी से राजकुमार रोत (बीएपी) लोकसभा सांसद चुने गए थे।
कांग्रेस बिना किसी गठबंधन के उतरी
कांग्रेस ने इस उपचुनाव में किसी क्षेत्रीय पार्टी के साथ गठबंधन नहीं किया है, जबकि भाजपा अभी भी चौरासी सीट पर अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं कर पाई है। हालांकि, कांग्रेस और भाजपा के अलावा कई अन्य छोटे दल भी चुनावी मैदान में हैं, जिससे कुछ सीटों पर मुकाबला बहुकोणीय हो सकता है। RLP और BAP की मौजूदगी कई सीटों पर परिणाम को प्रभावित कर सकती है।