सांसद अफजाल अंसारी की सजा हुई रद्द: कृष्णानंद राय हत्याकांड से जुड़े गैंगस्टर मामले हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला, अंसारी की अपील को मिली हरी झंडी?
सांसद अफजाल अंसारी की सजा हुई रद्द

गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने कृष्णानंद राय हत्याकांड से जुड़े गैंगस्टर मामले में उन्हें मिली सजा को रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट ने उनकी अपील स्वीकार कर ली है, जिससे विशेष अदालत द्वारा दी गई चार साल की सजा अब समाप्त हो गई है। इसके परिणामस्वरूप, अफजाल अंसारी की संसद सदस्यता बरकरार रहेगी। यह महत्वपूर्ण निर्णय न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह की अदालत ने सुनाया।


गाजीपुर की एमपी एमएलए कोर्ट ने कृष्णानंद राय हत्याकांड के बाद शुरू हुए गैंगस्टर मामले में अफजाल अंसारी को चार साल की सजा सुनाई थी। इस सजा के खिलाफ अफजाल अंसारी ने इसे रद्द करने की अपील की थी, जबकि राज्य सरकार और कृष्णानंद राय के बेटे ने सजा बढ़ाने की अपील हाईकोर्ट में की थी। पहले, हाईकोर्ट ने अफजाल की अपील खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की थी सजा

सुप्रीम कोर्ट ने सजा को निलंबित करते हुए मामले को फिर से सुनवाई के लिए हाईकोर्ट को वापस भेज दिया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सुनवाई हुई और हाईकोर्ट ने चार जुलाई को ही अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अफजाल अंसारी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल स्वरूप चतुर्वेदी, दयाशंकर मिश्रा और उपेंद्र उपाध्याय ने तर्क दिया कि कृष्णानंद राय हत्याकांड के कारण शुरू की गई गैंगस्टर की कार्रवाई अवैध है, क्योंकि अफजाल अंसारी पहले ही इस हत्याकांड से बरी हो चुके हैं।

अनुच्छेद 20 के अनुसार सुनाया गया फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने सजा को निलंबित करते हुए मामले को पुनः सुनवाई के लिए हाईकोर्ट वापस भेज दिया था क्योंकि अफजाल अंसारी पहले ही इस हत्याकांड से बरी हो चुके हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 20(ब) के अनुसार "किसी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए एक से अधिक बार अभियोजित और दंडित नहीं किया जाएगा।" यह डबल जियोपार्डी (दोहरा खतरा) के खिलाफ संरक्षण है, जो सुनिश्चित करता है कि किसी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए एक से अधिक बार मुकदमा चलाकर और दंडित नहीं किया जा सकता।

इस फैसले से राजनीतिक मे अपनी स्थिति मजबूत करेंगे अंसारी

अफजाल अंसारी का मामला भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह एक प्रमुख राजनीतिक हस्ती हैं। उनका मामला न केवल कानूनी बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी व्यापक चर्चाओं का विषय बना हुआ है। गैंगस्टर मामले में सजा रद्द होने के बाद उनकी राजनीतिक स्थिति और मजबूत हो सकती है। इस फैसले का असर उनके समर्थकों और विरोधियों दोनों पर पड़ेगा और आने वाले चुनावों में भी इसकी गूंज सुनाई दे सकती है।

न्यायिक प्रक्रिया की जटिलताएँ

यह मामला कानूनी प्रक्रियाओं की जटिलताओं को भी उजागर करता है। जब एमपी एमएलए कोर्ट ने सजा सुनाई थी, तब यह माना जा रहा था कि अफजाल अंसारी की राजनीतिक करियर पर इसका गंभीर असर पड़ेगा। लेकिन हाईकोर्ट के इस फैसले ने नई दिशा प्रदान की है। इसके साथ ही, इस मामले ने यह भी दिखाया कि न्यायिक प्रणाली में उच्चतम न्यायालय का कितना महत्वपूर्ण स्थान है, जहां से मामलों को पुनः जांच और विचार के लिए भेजा जा सकता है। 

भविष्य मे इस फैसले से अन्य मामलों मे दिए जा सकते है निर्णय

इस मामले में न्यायिक प्रक्रिया और कानूनी तर्कों का विश्लेषण महत्वपूर्ण है। अफजाल अंसारी के अधिवक्ताओं ने यह तर्क दिया कि कृष्णानंद राय हत्याकांड से बरी होने के बाद गैंगस्टर के तहत की गई कार्रवाई अवैध थी। यह तर्क मान्य पाया गया और इसी के आधार पर सजा रद्द की गई। इस फैसले का असर न केवल अफजाल अंसारी पर बल्कि अन्य मामलों पर भी पड़ सकता है, जहां इसी तरह के कानूनी तर्क दिए जा सकते हैं।

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