चंडीगढ़: हरियाणा में संपत्ति खरीदने की लागत को बढ़ाने वाले कलेक्टर दरों में वर्ष 2025-26 के लिए प्रस्तावित परिवर्तन को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने फिलहाल टाल दिया है। वर्तमान में जो दरें लागू हैं वही इस वित्तीय वर्ष में भी प्रभावी रहेंगी। इस संबंध में राजस्व विभाग द्वारा आदेश जारी कर दिए गए हैं। राज्य में संपत्ति लेन-देन और स्टांप शुल्क संग्रह को प्रभावित करने वाली वर्तमान दरें अगली सूचना तक वैसी की वैसी रहेंगी।
वित्त आयुक्त और अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) सुमिता मिश्रा ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि प्रदेश में कलेक्टर रेट को दिसंबर 2024 में संशोधित किया गया था। हमारे द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि जब तक नया आदेश जारी नहीं होता तब तक वर्तमान दरें ही लागू रहेंगी। अभी तक हमने जिलों से कोई नई रिपोर्ट नहीं मांगी है।
हरियाणा में प्रॉपर्टी पंजीकरण शुल्क 2025
प्रॉपर्टी रेट रजिस्ट्रेशन फीस
25 से 40 लाख रुपए 20,000 रुपए
40 से 50 लाख रुपए 25,000 रुपए
50 से 60 लाख रुपए 30,000 रुपए
60 से 70 लाख रुपए 35,000 रुपए
चार महीने पहले ही हुआ था बदलाव
राज्य सरकार द्वारा सभी जिलों को भेजे गए एक बेहद महत्वपूर्ण आदेश में कहा गया है, “जनहित को ध्यान में रखते हुए वित्त वर्ष 2025-26 के लिए अचल संपत्ति पंजीकरण पुरानी कलेक्टर दरों पर ही किया जाएगा जब तक कि कोई नया निर्देश जारी नहीं होता।”
आमतौर पर हर वर्ष अप्रैल में नए वित्तीय सत्र की शुरुआत के साथ कलेक्टर दरों में संशोधन होता है इसी को लेकर सूत्रों का कहना है कि जिलों ने मार्च तक रेट में बदलाव के लिए तैयारी शुरू कर दी थी। लेकिन चूंकि पिछला संशोधन हाल ही में दिसंबर 2024 में हुआ था इसलिए सरकार ने बदलाव की प्रक्रिया फिलहाल टाल दी।
कुछ जिलों ने खुद ही बना डाले संशोधन प्रस्ताव
कुछ जिलों ने अपने स्तर पर ही कलेक्टर रेट में 10 से 25 प्रतिशत तक वृद्धि के प्रस्ताव तैयार कर लिए थे। कुछ स्थानों पर तो इन प्रस्तावों को सार्वजनिक मंचों पर अपलोड करके आपत्तियां आमंत्रित करने की भी योजना बना ली गई थी। जबकि शासन स्तर से इस बारे में किसी प्रकार की रिपोर्ट की मांग नहीं की गई थी। विश्वसनीय सूत्रों ने बताया कि चूंकि पिछला संशोधन हाल में ही हुआ था इसलिए दरों में फिर से बदलाव रोकने का फैसला किया गया।
चुनावों की वजह से लटक गया संशोधन
राजस्व विभाग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक वर्ष 2024 में लोकसभा चुनाव के चलते अप्रैल में वार्षिक संशोधन की प्रक्रिया स्थगित करनी पड़ी थी। चुनावों के बाद भी रेट में बदलाव नहीं हो सका क्योंकि अगस्त में राज्य विधानसभा चुनावों की घोषणा कर दी गई थी। नई सरकार ने अक्टूबर में कार्यभार संभाला और उसके बाद दिसंबर 2024 में ही कलेक्टर दरों में संशोधन किया गया।