पहलगाम टेररिस्ट अटैक को लेकर भारत की बड़ी कार्रवाई!: अटारी बॉर्डर बंद, दूतावास बंद, 48 घंटे में भारत छोड़े पाकिस्तानी, सिंधु जल समझौता स्थगित तो वही कई मुस्लिम देशों ने?
पहलगाम टेररिस्ट अटैक को लेकर भारत की बड़ी कार्रवाई!

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बीते मंगलवार को हुए आतंकवादी हमले में अब तक 27 लोगों की मौत की खबर। इन मृतकों में ज्यादातर पर्यटक हैं। यह साल 2019 में पुलवामा हमले के पश्चात घाटी में सबसे घातक हमला है। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान में स्थित प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा के सहयोगी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) के द्वारा ली गई है। 

इस हमले के पश्चात अमेरिका, रूस तथा चीन समेत दुनियाभर के कई देशों के द्वारा इस कायराना हमले की कड़ी निंदा की। वहीं अरब जगत के द्वारा भी कश्मीर में आतंकी हमले की कड़ी निंदा की गई है और कहा गया है कि वह भारत के साथ में मजबूती से खड़ा है।

करीब ढाई घंटे तक चली CCS की बैठक:

आपको बता दें कि पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के बाद आज शाम को प्रधानमंत्री आवास पर पीएम मोदी के नेतृत्व में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी (CCS) की बैठक हुई। जोकि करीबन ढाई घंटे तक चली।

जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत विदेश मंत्री एस जयशंकर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तथा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल सहित कई अन्य शीर्ष अधिकारी भी शामिल हुए। 

विदेश सचिव विक्रम मिस्री के द्वारा की गई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस:

वहीं बैठक के बाद विदेश सचिव विक्रम मिस्री के द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए यह जानकारी दी गई कि पाकिस्तानी राजनयिकों को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने के लिए कहा गया है। 

साथ ही सार्क वीजा वाले सभी पाकिस्तानी नागरिकों का तत्काल रूप से वीजारद्द करने का फैसला लिया गया है। इसके साथ ही सिंधु नदी जल समझौते पर भी रोक लगाई गई है। वहीं अटारी-वाघा बॉर्डर को भी बंद कर दिया गया है। 

कुवैत के क्राउन प्रिंस सबा खालिद अल-हमद अल-सबाह ने जताई संवेदना:

आपको बता दें कि कुवैत के क्राउन प्रिंस सबा खालिद अल-हमद अल-सबाह के द्वारा बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को "पहलगाम में पर्यटकों को निशाना बनाकर किए गए आतंकी हमले में हुई दुखद मौत को लेकर" संवेदना व्यक्त की गई है। बयान में यह भी कहा गया है कि क्राउन प्रिंस के द्वारा पीड़ितों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की गई है।

इसके साथ ही हमले में घायलों के शीघ्र ही स्वस्थ होने की कामना भी की गई है। वहीं कुवैत के अतिरिक्त सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय के द्वारा भी पहलगाम हमले पर एक बयान जारी किया गया है तथा कहा गया है कि वह दुख की घड़ी में भारत के साथ में खड़ा है।

सऊदी अरब भी खड़ा है भारत के साथ:

वहीं सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय के द्वारा जारी किए गए बयान में कहा गया है कि "हम हिंसा, उग्रवाद तथा नागरिकों को निशाना बनाने के सभी कायराना हरकतों को अस्वीकार करते हैं तथा भारत के साथ में दृढता के साथ खड़े हुए हैं। सऊदी अरब पीड़ित परिवारों तथा भारत सरकार के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना एवं सहानुभूति व्यक्त करता है।" 

इसके अतिरिक्त बयान में यह भी कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सऊदी अरब यात्रा में भारत तथा सऊदी पक्षों के द्वारा पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निंदा की गई है। दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत हुए हैं कि आतंकवाद को किसी भी प्रकार से उचित नहीं ठहराया जा सकता है।

संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने भी की कड़ी निंदा:

संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के विदेश मंत्रालय के द्वारा भी बीते मंगलवार को एक बयान में हमले की "कड़ी निंदा" की गई है। वहां के विदेश मंत्रालय के द्वारा एक बयान में कहा गया है कि "यूएई इन आपराधिक कृत्यों की कड़ी निंदा करता है तथा अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन में सुरक्षा एवं स्थिरता को कमजोर करने वाले उद्देश्य से हिंसा एवं आतंकवाद के सभी रूपों को स्थायी रूप से अस्वीकार करता है।" 

इसके साथ ही यूएई के द्वारा भारत सरकार एवं लोगों तथा इस जघन्य हमले के पीड़ितों के सभी परिवारों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना एवं सहानुभूति व्यक्त की गई है तथा हमले के सभी घायलों के शीघ्र ही स्वस्थ होने की कामना की गई है।

आइए जानते हैं बैठक में लिए गए प्रमुख फैसले:

विदेश सचिव विक्रम मिस्री के द्वारा कहा गया कि इस आतंकवादी हमले की गंभीरता को समझते हुए सीसीएस बैठक निम्नलिखित उपायों पर निर्णय लिया गया है- 

1) साल 1960 की सिंधु जल संधि को अब तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया जाएगा, जब तक कि पाकिस्तान विश्वसनीय तथा अपरिवर्तनीय रूप से सीमा पार आतंकवाद के लिए अपने समर्थन को नहीं त्याग देता है।
 
2) एकीकृत चेक पोस्ट अटारी को भी घटन के बाद तत्काल प्रभाव से बंद करने का फैसला लिया गया है। हालांकि जो लोग वैध तरीके के साथ सीमा पार कर चुके हैं वह सभी 1 मई 2025 से पहले उस मार्ग से वापस आ सकते हैं।
 
3) इसी क्रम में पाकिस्तानी नागरिकों को सार्क वीजा छूट योजना के अंतर्गत भारत की यात्रा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। वहीं पाकिस्तानी नागरिकों को अतीत में जारी किए गए किसी भी प्रकार के SPES वीजा को रद्द माना जाएगा। SPES वीजा के अंतर्गत वर्तमान में भारत में मौजूद किसी भी पाकिस्तानी नागरिक के पास में भारत छोड़ने के लिए मात्र 48 घंटे हैं।
 
4) वहीं नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग में रक्षा, सैन्य, नौसेना तथा वायु सलाहकारों को अवांछित व्यक्ति घोषित किया गया है। उनके पास में भारत छोड़ने के लिए मात्र एक सप्ताह का समय है।

5) इसी प्रकार अब इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग से भी भारत अपने रक्षा, नौसेना तथा वायु सलाहकारों को वापस बुला लेगा। संबंधित उच्चायोगों में भी यह पद निरस्त माने जाएंगे।

जाति और धर्म में बांटने वाले आतंक का हर रूप है नामंजूर:

सऊदी अरब के द्वारा यह भी कहा गया है कि "दोनों पक्षों के द्वारा 22 अप्रैल 2025 को जम्मू तथा कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले की कड़ी निंदा की गई है, जिसमें निर्दोष नागरिकों की जान चली गई है। इस संदर्भ में, दोनों पक्षों के द्वारा आतंकवाद एवं हिंसक उग्रवाद की सभी रूपों तथा अभिव्यक्तियों में निंदा की गई तथा इस बात पर जोर दिया गया कि यह मानवता के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है।" 

साथ ही बयान में यह भी कहा गया है कि "वह इस बात पर भी सहमत हुए हैं कि किसी भी कारण से किसी भी आतंकवादी कृत्य को बिल्कुल भी उचित नहीं ठहराया जा सकता है। उन्होंने आतंकवाद को किसी विशेष जाति, धर्म अथवा संस्कृति से जोड़ने के किसी भी प्रयास को भी जड़ से अस्वीकार कर दिया।”

लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ बताया जा रहा यह हमला?

दरअसल सूत्रों के अनुसार यह हमला आदिल ठाकुर लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है। वहीं आदिल गुरी, बिजबेहड़ा का रहने वाला बताया जा रहा है। बता दें कि आशिफ शेख का कनेक्शन जैश-ए-मोहम्मद से रहा है। 

वहीं आशिफ मोंघामा, मीर मोहल्ला (त्राल) का रहने वाला बताया गया है। जानकारी यह भी मिली है कि हमले के कुछ आतंकियों के द्वारा बॉडी कैमरा लगाया गया था। हमले की पूरी घटना को आतंकियों ने रिकॉर्ड भी किया था।

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