भारतीय जनता पार्टी पिछले 26 वर्षों से दिल्ली की सत्ता से बाहर है। वही चार महीने बाद ही फरवरी में दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है। अतः दिल्ली की सत्ता में वापसी के लिए रणनीति तैयार करने के लिए बीजेपी द्वारा एक चिंतन शिविर का आयोजन किया जा रहा है।
राजस्थान में होगा चिंतन शिविर
दिल्ली भाजपा का चिंतन शिविर आश्चर्यजनक रूप से दिल्ली में न हो कर दिल्ली के बाहर राजस्थान के सवाई माधोपुर में आयोजित किया जा रहा है। शनिवार से शुरू होने वाला ये शिविर डेढ़ दिन तक चलेगा।
दिल्ली की जगह राजस्थान में शिविर क्यों?
➡️ ऐसा माना जा रहा है कि दिल्ली से दूर होने की वजह से मीडिया की नजर से बचा जा सकेगा।
➡️ दिल्ली बीजेपी में शीर्ष स्तर पर जबरदस्त गुटबाजी मौजूद है। भाजपा के बड़े नेताओं का मानना है कि डेढ़ दिन साथ गुजारने के बाद इन नेताओ के बीच मतभेदों में कमी आयेगी।
➡️ राजस्थान में बीजेपी की सरकार है। अतः यहां व्यवस्था के स्तर पर किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
कौन-कौन होगा शामिल?
चिंतन शिविर की कमान पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा के हाथों ने है। इस शिविर में केवल कोर कमेटी के सदस्यों को ही बुलाया गया है। केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से प्रभारी एवं सह प्रभारी मौजूद होंगे। वही दिल्ली के सातों सांसद एवं विधायक आमंत्रित किए गए है। साथ ही उन पूर्व सांसदों को भी बुलाया गया है जिनका पिछले लोकसभा चुनावों में टिकट काटा गया था। इनके अतिरिक्त आरएसएस के क्षेत्रीय प्रभारी और प्रांत प्रभारी को भी बुलाया गया है, तो दिल्ली बीजेपी के कुछ अन्य प्रमुख नेताओं को भी आमंत्रित किया गया है।
किन-किन विषयों पर होगा चिंतन?
➡️ दिल्ली विधानसभा चुनाव चिंतन शिविर का प्रधान मुद्दा होगा।
➡️ शिविर में यह जवाब तलाशने का प्रयास किया जायेगा कि आने वाले चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया जाए या सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाए।
➡️ केजरीवाल के इस्तीफे के बाद बनी नई सरकार एवं उससे उपजी परिस्थिति पर विचार होगा।
➡️ आप सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की काउंटर रणनीति तलाशी जायेगी।
➡️ सोशल मीडिया और जमीन पर भाजपा के पक्ष में नेरेटिव तैयार करने की रणनीति पर चर्चा होगी।