दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले प्रमुख दलों के कुछ नेताओं का दल बदलने का सिलसिला फिलहाल जारी है। ताजा मामले में बात की जाए तो भारतीय जनता पार्टी को झटका देते हुए रमेश पहलवान और साथ ही उनकी पत्नी कुसुम लता ने रविवार को ही आम आदमी पार्टी (आप) का दामन थाम लिया है। बता दें कि कुसुम लता दिल्ली के कस्तूरबा नगर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा पार्टी से निगम पार्षद रही हैं।
अरविंद केजरीवाल ने ज्वाइन कराई पार्टी
बता दें कि आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और उनके साथ आप नेता दुर्गेश पाठक ने रमेश पहलवान और साथ ही उनकी पत्नी कुसुम लता को अपनी आम आदमी पार्टी की सदस्यता दिलाई है।
वहीं पर उल्लेखनीय है कि कस्तूरबा नगर से आम आदमी पार्टी के मदनलाल लगातार दो बार से विधायक हैं और ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि इस बार मदनलाल की जगह रमेश पहलवान को यहां से टिकट मिल सकती है।
रेवड़ी पर चर्चा के तहत संपर्क कार्य हुआ पहले से तेज
वहीं पर आम आदमी पार्टी ने रणनीति के तहत रेवड़ी पर हुई चर्चा के तहत दिल्ली में तमाम लोगों से संपर्क कार्य और तेज कर दिया है। इसके तहत आप के सभी वालंटियर्स पिछले 10 वर्ष में बिजली, पानी, स्वास्थ्य और साथ ही शिक्षा समेत सार्वजनिक परिवहन के क्षेत्र की तमाम सुविधाओं के बारे में आम जनता से बात कर रहे हैं। साथ ही मेट्रो और सड़क परिवहन के विस्तार के बारे में भी सभी को बता रहे हैं।
आम आदमी पार्टी का दावा है कि पिछले दस साल में उनकी सरकार ने मेट्रो लाइन को 200 किमी से बढ़ाकर लगभग 450 किमी किया है। साथ ही इसके 10 हजार किमी सड़कें और कुल 38 फ्लाईओवर भी बनवाएं है। आप के अनुसार इस दौरान सभी लोगों से उनका फीडबैक लेकर शीर्ष नेताओं तक पहुंचाया जा रहा है। इसके अलावा आप के दावे के अनुसार उनकी सरकार ने दिल्ली प्रदेश के ढांचागत विकास को बेहतर बनाने में और सुधारने में बड़ा काम किया है। आप के सभी कार्यकर्ता पूरी दिल्ली में हर रोज दो हजार बैठकें कर रेवड़ी पर चर्चा कर रहे हैं।
दिल्ली में कुल बसों की संख्या हो गई 7,700
वहीं पर इस चर्चा में दिल्ली की जनता को दी जा रहीं मुफ्त बसों की सुविधाओं के साथ-साथ इन्फ्रास्ट्रक्चर में हुए विकास के बारे में भी तमाम लोगों को बताया जा रहा है। लोगों को इसके बारे में भी बताया जा रहा है कि उनकी सरकार से पहले दिल्ली के अंदर बसों की बहुत भारी कमी थी। लोगों को काफी लंबे समय तक बसों का इंतजार करना पड़ता था और साथ ही बसों में भीड़ भी बेहद ज्यादा हुआ करती थी। इनमें से काफी बसें अपनी उम्र भी पूरी कर चुकी थीं, उन सभी बसों को बदला गया है। इसके साथ ही दिल्ली में बसों की संख्या 7,700 की गई है।