नोएडा: नोएडा के फोर्टिस अस्पताल में डॉक्टरों ने उज्बेकिस्तान की 14 साल की परिजात का सफल किडनी ट्रांसप्लांट किया। परिजात क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) से पीड़ित थीं और उनकी हार्ट पंपिंग क्षमता भी केवल 10-15% थी जो कि सामान्य स्तर (60-65%) से काफी कम थी। इस वजह से उनकी दिनचर्या और खान-पान पर सख्त पाबंदियां थीं। कई चुनौतियों के बावजूद डॉक्टरों की टीम ने परिजात की स्थिति को संभालते हुए यह जटिल सर्जरी सफलतापूर्वक पूरी की।
10 साल की उम्र से ही डायलिसिस पर थी निर्भर
परिजात 10 साल की उम्र से ही डायलिसिस पर निर्भर थीं। उन्हें हर सप्ताह तीन बार डायलिसिस करवानी पड़ती थी। डायलिसिस की प्रक्रिया काफी थकाने वाली थी और यह केवल अस्थायी समाधान था। कुछ समय बाद परिजात के माता-पिता ने महसूस किया कि उनकी बेटी की स्थिति में सुधार के लिए किडनी ट्रांसप्लांट जरूरी है। लेकिन परिजात की कमजोर हार्ट पंपिंग और लगातार गिरते ब्लड प्रेशर ने स्थिति को और जटिल बना दिया।
कई अस्पतालों ने इलाज से किया मना
परिजात की हालत इतनी गंभीर थी कि उज्बेकिस्तान के कई अस्पतालों ने किडनी ट्रांसप्लांट करने से इनकार कर दिया। उनकी खराब किडनी की वजह से शरीर में अतिरिक्त तरल पदार्थ जमा हो गया था जिससे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। साथ ही उनका ब्लड प्रेशर भी बेहद कम (90/60) था। यह स्थिति सर्जरी के लिए बहुत जोखिमभरी थी।
फोर्टिस अस्पताल में मिली उम्मीद
परिजात और उनके परिवार ने फोर्टिस अस्पताल नोएडा का रुख किया। डॉक्टरों ने परिजात की स्थिति को ध्यान से जांचा और सर्जरी से पहले उनकी हालत को स्थिर करने के लिए कई उपाय किए। उनकी कमजोर हार्ट पंपिंग और ब्लड प्रेशर को सुधारने के लिए विशेष दवाएं दी गईं। इसके अलावा उनके शरीर और फेफड़ों से अतिरिक्त तरल पदार्थ निकाला गया। कई दिनों की तैयारी और प्लानिंग के बाद उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट के लिए फिट घोषित किया गया।
सर्जरी की प्रक्रिया
डॉक्टरों ने परिजात का एबीओ-कॉम्पेटिबल किडनी ट्रांसप्लांट किया। इस प्रक्रिया में यह सुनिश्चित किया गया कि डोनर और मरीज का ब्लड ग्रुप मेल खाए ताकि ट्रांसप्लांट के बाद किडनी को शरीर अस्वीकार न करे। परिजात की मां ने उन्हें किडनी दान की। करीब साढ़े तीन घंटे तक चली सर्जरी पूरी सावधानी से की गई और यह सफल रही।
परिजात को मिला नया जीवन
सर्जरी के बाद परिजात की स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि अब वह सामान्य जीवन जी पाएंगी। यह पूरी प्रक्रिया न केवल एक मेडिकल चमत्कार है बल्कि यह दिखाती है कि सही इलाज और प्लानिंग से जटिल से जटिल केस को भी सफलतापूर्वक हल किया जा सकता है।