नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे पर 131 करोड़ की लागत से 16.400 किलोमीटर की दूरी पर एक अंडरपास बनाया जाएगा। आपको बता दें कि इसकी सैद्धांतिक मंजूरी के बाद इस अंडरपास का एक एस्टीमेट वैरीफिकेशन के लिए IIT दिल्ली भेजा गया है। वहां से वेरिफिकेशन होने के बाद टेंडर जारी करके निर्माण कार्य शुरू कराया जाएगा।
पिछले 1 वर्ष में बन चुके हैं कई अंडरपास:
दरअसल अंडरपास के एक ओर सेक्टर-145, 146 हैं तथा इसके दूसरी तरफ सेक्टर-155 एवं 159 सेक्टर मौजूद हैं। इसके सामने एक झट्टा गांव भी है। यहां पर भी एक छोटा अंडरपास बना हुआ है।
आपको बता दें कि पिछले एक साल में एक्सप्रेसवे पर सेक्टर-96, सेक्टर 142 तथा सेक्टर 152 के सामने नए अंडरपास शुरू किए गए हैं।
749 मीटर की होगी अंडरपास की कुल लंबाई:
उपमहाप्रबंधक (सिविल) विजय कुमार रावल ने यह बताया है कि अंडरपास की कुल लंबाई 749 मीटर होगी। यह 4 लेन का होगा। अतः इसमें आने जाने के लिए 2-2 लेन शामिल होगी। इसके साथ 75 मीटर की टनल अथवा बाक्स लेंथ रहेगी।
सीधे ग्रेटर नोएडा को जोड़ेगा यह अंडरपास:
दरअसल यह अंडरपास एक्सप्रेस वे के नीचे ही बनाया जाएगा। जिससे सेक्टर-145 से लेकर सेक्टर 154 तक सभी को काफी फायदा होगा। बता दें कि यह सभी सेक्टर आवासीय तथा औद्योगिक सेक्टर है। ऐसे में अंडरपास बनने से एक्सप्रेस वे तक इनकी सीधी कनेक्टिविटी हो जायेगी। साथ ही यह अंडरपास ग्रेटर नोएडा को भी सीधे जोड़ेगा।
प्राधिकरण डायाफ्राम तकनीक का करेगा उपयोग:
नोएडा प्राधिकरण के द्वारा अंडरपास बनाने के लिए तकनीक में भी बदलाव करने की योजना बनाई गई है। दरअसल वर्ष 2020 के बाद नोएडा ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे पर एडवंट, कोंडली तथा सेक्टर-96 में अंडरपास बाक्स पुशिंग तकनीक पर बनवाए गए थे।
जिस वजह से यह पर एक्सप्रेसवे की सड़क लागत धंसने की समस्याएं भी सामने आई थीं। इसलिए इस बार झट्टा तथा सुल्तानपुर अंडरपास के लिए प्राधिकरण के द्वारा डायाफ्राम तकनीक का चयन किया गया है।
जानते हैं कि क्या है डायाफ्राम तकनीक:
दरअसल इस तकनीक में बगैर खुदाई किए डायाफ्राम वाल कास्ट की जाएगी। जिसके बाद 2 तरफ से जमीन के अंदर ही यह दीवार बनाकर उसके ऊपर अंडरपास वाली छत ढाल दी जाएगी।
वहीं नीचे दोनों दीवारों तथा छत के बीच की मिट्टी को खोदाई के द्वारा निकाल दिया जायेगा। तत्पश्चात नीचे की सड़क का काम शुरू कर दिया जाएगा। इसी प्रकार से प्राधिकरण दोनों लेन का काम करवाएगी। हालांकि इसके कारण कुछ दिनों तक वहां पर यातायात का संचालन प्रभावित रह सकता है।