नोएडा में 2000 करोड़ रुपए डकार गए 13 बिल्डर: 80 हजार लोगों को फ्लैट रजिस्ट्री का इंतजार, ED ने शुरू की जांच?
नोएडा में 2000 करोड़ रुपए डकार गए 13 बिल्डर

अपना भी एक घर होने का सपना संजोए रखने वाले करीब 80 हजार फ्लैट खरीदारों के साथ में नोएडा के 13 बिल्डरों तथा उनकी सहयोगी कंपनियों के द्वारा खेल कर दिया गया है। दरअसल फ्लैट देने के नाम पर बिल्डरों ने खरीदारों से लिए गए करीब 2 हजार करोड़ से अधिक रुपये डकार लिए हैं। 

फिलहाल अब इन बिल्डरों पर ED यानि प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा शिकंजा कसा जा रहा है। साथ ही यह पता लगाने का भी प्रयास ED कर रहा है कि बिल्डरों ने इतनी बड़ी राशि आखिर किन परियोजनाओं अथवा अन्य कंपनियों में ट्रांसफर की है? साथ ही वर्तमान में उनकी यह राशि कहां पर तथा किसके पास है?

आपको बता दें कि यह सभी वहीं 13 बिल्डर्स हैं, जिन्होंने फ्लैट खरीददारों को ठगने के बाद अपने आप को बचाने के लिए अब दिवालिया प्रक्रिया में शामिल होने का जुगाड़ लगा रहे हैं, जिनमे से कुछ सफल भी हो चुके हैं।

खरीदारों से ली थी 25 लाख रुपये पर बुकिंग:

खबर है कि इन्हीं 13 बिल्डरों ने साल 2007 से साल 2011 तक के बीच नोएडा प्राधिकरण से भूखंड आवंटन करा कर यह पूरा खेल किया है।

बता दें कि एक-एक फ्लैट पर बिल्डरों ने करीब 25 लाख रुपये की कीमत पर सभी खरीदारों से बुकिंग ली थी। लेकिन आज तक उनमें से तमाम खरीदारों को उनका आशियाना भी नहीं दिया गया है।

जबकि साल 2011 में पहली बार इसी भूखंड आवंटन में करीब 2 लाख करोड़ रुपये का घोटाला होने की आशंका जताते हुए नोएडा आयकर भवन में इसकी शिकायत भी की गई थी, जिस पर प्रशासन के द्वारा संज्ञान भी लिया गया था।

जांच में खुल सकती है अधिकारियों से सांठगांठ:

मामले की जांच शुरू होते ही बिल्डरों के द्वारा विभाग के शीर्ष अधिकारियों से सांठगांठ करके 4 आयकर अधिकारियों को रिश्वत के मामले में फंसा कर निलंबित करवा दिया गया। इससे जांच दोबारा ठंडे बस्ते में चली गई थी। 

हालांकि साल 2016 में एक बार फिर से इन्हीं सभी 13 बिल्डरों पर दोबारा कार्रवाई को लेकर दिल्ली आयकर विभाग की तरफ से एक फाइल नोएडा को भेजी गई। जिसके बाद कुछ बिल्डरों पर कार्रवाई करके इतिश्रि कर लिया गया। 

वहीं दूसरी ओर बिल्डरों ने फ्लैट खरीदारों का पैसा बड़े पैमाने पर दूसरी परियोजनाओं तथा कंपनियों में ट्रांसफर किया गया तथा बड़े पैमाने पर रकम देश के बाहर भी भेज दी गई। इस मामले की पुष्टि भी हुई लेकिन किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई।

फ्लैट खरीदारों ने जमकर खोला मोर्चा:

आम्रपाली समूह तथा थ्री सी समूह के खिलाफ भी फ्लैट खरीदारों ने जमकर मोर्चा भी खोला। जिसके बाद आम्रपाली पर शीर्ष अदालत के जरिए से कार्रवाई की गई, जिसमे अब फ्लैट खरीदारों का मामला सुलझता हुआ भी दिखाई दे रहा है।

वहीं, दूसरी ओर थ्री सी बिल्डर के निदेशकों को दिल्ली आर्थिक अपराध शाखा के द्वारा गिरफ्तार किया गया और बाद में उन्हें छोड़ दिया गया। अब यह पूरा मामला हाई कोर्ट ने कुछ दिन पहले ही ED सौंप कर कार्रवाई करने का आदेश दिया है। जिसके बाद ईडी ने बिल्डर से संबंधित पूरी जानकारी नोएडा प्राधिकरण से ली है। 

फिलहाल लखनऊ में बैठे ED के अधिकारियों की तरफ से 21 जून को नोएडा प्राधिकरण काे एक पत्र जारी करके ATS सहित उनकी सहयोगी कुल 63 कंपनियों की 6 बिंदुओं पर जानकारी भी मांगी गई है। जिसके बाद इन सभी 13 बिल्डरों की एक बाद फिर से कुंडली खंगाली जाएगी।

करोड़ों रुपयों की परतें खोलेगा ED

हाल ही में, नोएडा प्राधिकरण के द्वारा भी ATS ग्रुप सहित कुल 13 बिल्डरों को नोटिस जारी किया गया है। ये सभी बिल्डर परियोजनाएं NCLT में दिवालिया प्रक्रिया के अधीन हैं। प्राधिकरण के द्वारा इनको कुल 15 दिनों का समय दिया गया है, कि क्या वे सभी अपने मामलों को वापस लेना चाहते हैं?

यदि वे सभी मामले वापस लेते है तो उनको राज्य सरकार की तरफ से पुनर्वास पैकेज का लाभ भी मिल सकता है। बता दें कि नोएडा प्राधिकरण पर सिर्फ इन 13 बिल्डर परियोजनाओं के ही तकरीबन 8 हजार करोड़ बकाया है। यह पूरा पैसा जमीन आवंटन का है। इसी जमीन पर फ्लैट देने के नाम पर बायर्स से करोड़ों रुपए लिए गए हैं।

ED ने कुल 63 कंपनियों की मांगी है डिटेल:

मामले पर मिली शिकायतों के बाद ED यानि प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा अब प्राधिकरण से इन सभी बिल्डर कंपनियों की जानकारी मांगी जा रही है। ताकि इन सभी पर जल्द ही शिकंजा कसा जा सके। साथ ही सभी बायर्स को उनका आशियाना भी जल्द से जल्द दिलाया जा सके।

आपको बता दे की ED ने ATS तथा उससे किसी न किसी रूप में जुड़ी कुल 63 कंपनियों की डिटेल मांगी है।
ED के जांच के दायरें में इससे पहले भी आम्रपाली, यूनिटेक तथा सुपरटेक के अलावा थ्री सी बिल्डर की परियोजनाएं शामिल है। 

दरअसल पिछले ही महीने ED के द्वारा थ्री सी की लोटस 300 तथा लोटस बुलेवर्ड को लेकर जानकारी मांगी गई थी। फिलहाल जिसका संकलन ED के द्वारा किया जा रहा है।

कुल 6 बिन्दुओं पर ED ने मांगी है जानकारी:

  • समूह की किसी भी कंपनी को उनके प्लाट आवंटन का ब्योरा। जिसमे यह देखा जाएगा कि यह आवंटन बोली दाता के रूप में ही एकमात्र क्षमता से हुआ अथवा कंसोर्टियम के हिस्से के रूप में।
  • समूह कंपनी के द्वारा किए गए सभी भुगतान तथा बकाया एवं उसमें देरी का पूरा विवरण।
  • आवंटन की सभी शर्तों के अंतर्गत परियोजना के काम में यदि किसी प्रकार की लापरवाही पाई गई हो तो उसकी भी जानकारी दी जाए।
  • यदि कोई FIR पंजीकृत की गई है तो उसकी भी पूरी रिपोर्ट सौंपी जाए।
  • क्या कंपनी का आवंटन कभी रद्द किया गया है?
  • क्या कंपनी के खिलाफ किसी प्रकार का कोई और एक्शन लिया गया है, यदि हां तो उसकी भी जानकारी दें।

प्राधिकरण पर बिल्डर्स का बकाया है कुल 21 हजार करोड़:

जैसा कि प्राधिकरण ने बताया है कि उस पर बिल्डर का कुल फिलहाल बकाया 21 हजार करोड़ के आसपास में है। और यह पैसा अभी तक प्राधिकरण को नहीं मिला है। इसलिए ED के द्वारा प्राधिकरण से बिल्डरों की कंपनियों की भी जानकारी मांगी जा रही है।

बता दें कि इसमें ATS होम्स के 640.46 करोड़ रुपए, ATS इंफ्रा टेक के 697.76 करोड़ रुपए, ATS हाइट्स के 2,129.88 करोड़ रुपए, सुपरटेक रियलटर्स के 2,245.81 करोड़ रुपए, सुपरटेक लिमिटेड के 815.73 करोड़ रुपए बाकी हैं।

वहीं इसके अतिरिक्त लॉजिक्स इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के करीब 446.44 करोड़ रुपए तथा लॉजिक्स सिटी डेवलपर्स के कुल 666.80 करोड़ रुपए एवं थ्री सी समूह के करीब 572.51 करोड़ रुपए प्राधिकरण के बकाया है।

आवंटन के 14 साल बाद भी नहीं मिले फ्लैट:

दमदरसल ईडी के द्वारा जिन कंपनियों की जानकारी मांगी गई है। उनमें से अधिकांश को जमीन का आवंटन साल 2009-10 के बीच में किया गया था। नियमानुसार प्राधिकरण के द्वारा बिल्डर को कुल प्लाट की लागत का करीब 10 प्रतिशत रकम लेकर आवंटन किए गए था। जिसके बाद में बिल्डरो ने फ्लैट बुकिंग की थी।

जिसमे यह वायदा किया गया था कि 3 से 5 वर्षों के भीतर ही बायर्स को उनका फ्लैट भी मिल जाएगा। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ, बल्कि बिल्डर को जो भी पैसा बायर्स ने दिया था उसे भी डायवर्ट किया गया। 

बता दें कि बायर्स का यह पैसा अन्य कंपनियों में लगाया गया। जिस पर बिल्डरों के द्वारा जमकर मुनाफा भी कमाया गया। पूरे 14 साल ही जाने के बाद बाद भी आज तक बायर्स को उनके फ्लैट नहीं मिले हैं। जिस वजह से अब वे रोजाना प्रदर्शन कर रहे हैं।

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