यूपी रेरा यानी उत्तर प्रदेश भूसंपदा विनियामक प्राधिकरण के द्वारा बीते दिन बिल्डर प्रोजेक्ट के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट के प्रारूप में बदलाव किया गया हैं। बता दें की अब इस पंजीकरण प्रमाण पत्र पर एक क्यूआर कोड लगाया जायेगा। जिसको स्कैन करके खरीदार फोन पर प्रोजेक्ट से जुड़ी समस्त जानकारी को हासिल कर सकेंगे। साथ ही इसमें पंजीकरण के अतिरिक्त कार्य शुरू होने तथा खत्म होने तक की सभी तारीख भी लिखी होगी। इसके लिए अब बिल्डर को प्रोजेक्ट साइट तथा अपने सभी कार्यालय में मौजूद नोटिस बोर्ड पर इस पंजीकरण प्रमाण पत्र की एक प्रतिलिपि चस्पा करनी पड़ेगी।
दरअसल यूपी रेरा की ओर से अब तक के सभी प्रोजेक्ट का सामान्य पंजीकरण प्रमाण पत्र ही जारी किया जाता रहा था। उन प्रमाण पत्र में सिर्फ प्रोजेक्ट पंजीकरण की ही जानकारी होती थी, किंतु अब यूपी रेरा के द्वारा महाराष्ट्र रेरा की तर्ज पर ही अपने यहां भी पंजीकरण प्रमाण पत्र के प्रारुप में काफी बदलाव किए गए है। यूपी रेरा के कई अधिकारियों ने यह बताया कि प्रमाण पत्र में अब एक क्यूआर कोड दिया जाएगा। जो सभी खरीदारों के लिए होगा। खरीदारों के द्वारा जैसे ही मोबाइल से इसे स्कैन किया जायेगा वैसे ही वो यूपी रेरा की वेबसाइट पर पहुंच जायेंगे और वहां बिल्डर के प्रोजेक्ट की पूरी जानकारी खुल भी जाएगी।
अधिकारियों ने बताया की अब जारी होने वाले प्रमाण-पत्र पर डिजिटल तरीके से सचिव के हस्ताक्षर किए जा रहे हैं। अब प्रमाण पत्र में प्रोजेक्ट से जुड़ी समस्त जानकारी भी होगी। अगर बात करे तो इसमें प्रोजेक्ट का नाम के साथ ही बिल्डर का नाम तथा पंजीकरण का समय एवं प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य शुरू तथा उसके खत्म होने की भी तारीख रहेगी। इसके साथ ही बिल्डर का पूरा पता तथा प्रोजेक्ट का पता आदि सब भी इस प्रमाण पत्र पर अंकित रहेगा। बता दें की प्रमाण पत्र पे पंजीकरण की सभी मुख्य शर्तें भी लिखी होंगी तथा साथ ही प्रोजेक्ट के तीन खातों की भी जानकारी पत्र में होगी।
यूपी रेरा के द्वारा प्रोमोटर्स को ये निर्देश दिए है कि वे क्यूआर कोड वाले मॉडर्न पंजीकरण प्रमाण-पत्र को थोड़ा बड़े आकार में प्रिन्ट करवाए तथा अपने हर कार्यालय एवं प्रोजेक्ट अथवा मार्केटिंग कार्यालय में किसी भी प्रमुख स्थान पर इसे चस्पा करें। ताकि आवंटियों द्वारा इसे दूर से ही देखा और पहचाना जा सके।
आवंटियों द्वारा इस प्रमाण-पत्र में मौजूद क्यूआर कोड को स्कैन किया जायेगा और यूपी रेरा के वेब पोर्टल पर जाकर परियोजना की भूमि तथा मानचित्र एवं अन्य सभी प्रकार की स्वीकृतियों एवं त्रैमासिक प्रगति रिपोर्ट जैसी समस्त जानकारी को भी देखा जा सकता हैं। बताते चलें कि इस प्रमाण-पत्र को फॉर्म-सी में जारी किया जाता है।
यूपी रेरा के अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी ने बताया की इस नई पहल से होम बायर्स का सशक्तीकरण करने तथा इस सेक्टर में काफी हद तक पारदर्शिता लाने की कोशिश की गई है। इसके द्वारा रेरा प्रमोटर्स की जिम्मेदारी तय करने के साथ ही उनके व्यापार पद्धति के अंदर भी पारदर्शिता सुनिश्चित करने एवं सेक्टर में मानकीकरण करने के साथ ही उपभोक्ताओं के हितों एवं उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए भी एकदम प्रतिबद्ध है। इस पहल के बाद हम बायर्स धोखाधड़ी से बच सकेंगे।
अधिकारियों ने बताया कि इस पहल के बाद जारी होने वाले पंजीकरण प्रमाण पत्र के क्यूआर कोड को बिल्डरों के द्वारा विज्ञापन में भी प्रकाशित करना होगा। साथ ही क्यूआर कोड की जानकारी वेबसाइट, ब्रोशर एवं होर्डिंग तथा सोशल मीडिया के पेज पर भी देनी होगी। अधिकारियों ने बताया की यदि पंजीकरण प्रमाण पत्र के नियमों का कोई पालन नहीं करेगा तो उन सभी बिल्डरों पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी।
यूपी रेरा के चेयरमैन संजय आर भूसरेड्डी ने बताया की फ्लैट खरीदारों के सभी हितों को ही ध्यान में रखते हुए पंजीकरण के प्रारूप में यह बदलाव किया गया है। एक स्कैन मात्र से ही खरीददारों को मोबाइल पर प्रोजेक्ट से जुड़ी सभी जानकारी मिल जाएगी।