नोएडा: नोएडा में फ्लैट खरीदारों के साथ धोखाधड़ी का मामला लगातार गंभीर होता जा रहा है। ताजा मामला लॉजिक्स इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ा है जिसमें कंपनी पर आरोप है कि उसने एक फ्लैट खरीदने वाले व्यक्ति से बड़ी रकम लेने के बावजूद उसे न तो फ्लैट का कब्जा दिया और न ही उसकी रकम वापस की। बल्कि खरीदा गया फ्लैट किसी और को बेचकर उसको कब्जा दे दिया गया। इस मामले में कंपनी के सात डायरेक्टर्स जिनमें शक्ति नाथ, विक्रम नाथ, देवेंद्र मोहन सक्सेना, हेमंत शर्मा, दिलीप कुमार सिंह, मीना नाथ और शिवम झा शामिल हैं पर पुलिस ने धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया है।
2013 में बुक किया था फ्लैट
गाजियाबाद के इंदिरापुरम निवासी मनीष कुमार शर्मा ने 17 नवंबर 2013 को सेक्टर-137 स्थित ब्लॉसम काउंटी प्रोजेक्ट के टावर-एल में फ्लैट नंबर 1401 बुक किया। इस फ्लैट की कुल कीमत 54.44 लाख रुपये तय की गई थी। दिसंबर 2013 में मनीष ने कंपनी के साथ फ्लैट बायर्स एग्रीमेंट साइन किया। बुकिंग के समय उन्होंने 3.61 लाख रुपये का भुगतान चेक के जरिए किया और फिर 16 दिसंबर 2013 को 12.39 लाख रुपये की रकम जमा की।
मनीष ने फ्लैट के कागजात के आधार पर बैंक से 16.91 लाख रुपये का होम लोन भी लिया था जिसकी मासिक किस्तें वह आज तक अदा कर रहे हैं। कुल मिलाकर उन्होंने फ्लैट की कीमत का लगभग आधा हिस्सा यानी 32.91 लाख रुपये का भुगतान कर दिया था। एग्रीमेंट के मुताबिक बिल्डर को तीन साल के भीतर फ्लैट का निर्माण पूरा कर मनीष को 2016 तक कब्जा देना था।
2016 तक बिल्डर को देना था कब्जा
एग्रीमेंट के तहत तीन साल के भीतर फ्लैट का निर्माण पूरा होना था। लेकिन 11 साल बीत जाने के बावजूद मनीष को फ्लैट का कब्जा नहीं मिला। मार्च 2023 में जब मनीष ने नोएडा प्राधिकरण में दस्तावेजों की जांच की तो उन्हें यह चौंकाने वाली जानकारी मिली कि उनका बुक किया गया फ्लैट बिल्डर ने किसी और को बेच दिया है और उसका कब्जा भी दे दिया है।
इससे आहत होकर मनीष ने बिल्डर के सेक्टर-16 स्थित कॉर्पोरेट कार्यालय का दौरा किया लेकिन वह भी बंद मिला। हर तरफ से निराश होकर मनीष ने न्यायालय की शरण ली। कोर्ट के आदेश पर थाना फेज-1 पुलिस ने कंपनी के सात डायरेक्टर्स के खिलाफ धोखाधड़ी और विश्वासघात का मामला दर्ज किया है।
हजारों फ्लैट खरीदारों के साथ हो रही धोखाधड़ी
मनीष जैसे हजारों फ्लैट खरीदार ऐसे बिल्डरों की धोखाधड़ी का शिकार हो रहे हैं जो बड़ी रकम लेकर न तो समय पर फ्लैट देते हैं और न ही उनके पैसे लौटाते हैं। इस मामले ने न केवल बिल्डिंग सेक्टर में पारदर्शिता की कमी को उजागर किया है बल्कि ग्राहकों की सुरक्षा के लिए सख्त नियमों की आवश्यकता को भी रेखांकित किया है।
सख्त कार्रवाई की जरूरत
इस प्रकार की धोखाधड़ी से निपटने के लिए सख्त कानूनी प्रावधानों, समय पर जांच और न्याय की आवश्यकता है। बायर्स को जागरूक होने के साथ-साथ यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे केवल प्रमाणिक और विश्वसनीय बिल्डरों से ही डील करें। इस घटना ने रियल एस्टेट सेक्टर में सुधार और नियमन की आवश्यकता पर एक बार फिर से ध्यान केंद्रित किया है