बोर्ड ने साल के अंत में अपने चुनिंदा स्कूलों में ओपन बुक टेस्ट का परीक्षण आयोजित करने की योजना बनाई है। साथ ही 9वीं से 12वीं के विद्यार्थियों के लिए नवंबर माह में प्रयोग के तौर पर लाने वाली है। इससे स्टूडेंट्स एग्जाम के समय अपनी किताबें, नोट्स या अन्य स्वीकृत सामग्री साथ में रखकर और उसमें से देखकर परीक्षा दे सकेंगे।
ओपन बुक परीक्षा का मतलब है कि छात्रों को अपने नोट्स और अन्य पढ़ने और अध्ययन सामग्री का हवाला देते हुए ये परीक्षा देने की अनुमति होगी। यानी एग्जाम दे रहे स्टूडेंट्स बुक और नोट्स से आंसर खोजकर लिख सकते हैं। ओपन बुक एग्जाम दो तरीके से आयोजित किया जाता है। पहला ये कि छात्र विश्वविद्यालय कैंपस में ही बैठकर परीक्षा देते हैं। उन्हें पेपर और आंसर शीट दे दी जाती है। छात्र परीक्षा देते समय अपनी टेक्स्ट बुक व अन्य स्वीकृत सामग्री की मदद ले सकते हैं।
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) 2020 के तहत भारतीय शिक्षा क्षेत्र में कई बड़े बदलाव हो आने वाले हैं। एनईपी लागू करने के लिए लाए गए नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (NCF) की सिफारिशों के मद्देनजर सीबीएसई शिक्षा मूल्यांकन विभाग ने कक्षा 9-12 के लिए कुछ सीबीएसई स्कूलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में ओपन बुक एग्जाम (ओबीई) आयोजित करने का प्रस्ताव दिया है। सीबीएसई के एक अधिकारी ने कहा कि यह निर्णय 2023 में हुई गवर्निंग बॉडी मीटिंग में लिया गया है और पायलट प्रोजेक्ट जल्द ही आयोजित किया जाएगा।
बोर्ड ने साल के अंत में अपने चुनिंदा स्कूलों में ओपन बुक टेस्ट का परीक्षण आयोजित करने की योजना बनाई है। साथ ही 9वीं से 12वीं के विद्यार्थियों के लिए नवंबर माह में प्रयोग के तौर पर लाने वाली है। इससे स्टूडेंट्स एग्जाम के समय अपनी किताबें, नोट्स या अन्य स्वीकृत सामग्री साथ में रखकर और उसमें से देखकर परीक्षा दे सकेंगे।
उनके मुताबिक इस तरह की परीक्षा में अधिकतम शोध आधारित प्रश्न होते हैं। इसमें परीक्षार्थी को परीक्षा के दौरान किताबें खोलने और उन्हें देखने की अनुमति होती है। परीक्षा में परीक्षार्थी को अपनी वैचारिक क्षमता और आलोचनात्मक सोच का प्रदर्शन करना होता है।
इस योजना को लेकर आयोजित सीबीएसई की गवर्निंग बॉडी की एक मीटिंग में प्रो. ज्योति शर्मा ने दिल्ली विश्वविद्यालय के ओपन बुक परीक्षण के अनुभव को दोहराया और छात्रों के बीच ओपन-बुक मूल्यांकन का समर्थन करने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की सीबीएसई की रणनीति पर सवाल उठाए।
उन्होंने इस पायलट प्रोजेक्ट को लागू करने के दौरान सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए सीबीएसई की तैयारियों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने इस बारे में स्पष्टीकरण मांगा कि सीबीएसई इस परीक्षा के लिए किस प्रकार की सामग्री विकसित करने की योजना बना रहा है।
सीबीएसई के निदेशक (शैक्षणिक मूल्यांकन) ने एनसीएफएसई-2023 में बताई गई योग्यताओं के अनुरूप सामग्री तैयार करने की सीबीएसई की योजना की रूपरेखा तैयार की। जिसमें विशेष रूप से उच्च-स्तरीय सोच कौशल, अनुप्रयोग, विश्लेषण, महत्वपूर्ण और रचनात्मक सोच और समस्या-समाधान पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
इसमें पाठ्यक्रम से जुड़े केस-आधारित प्रश्नों से हटकर पाठ्यक्रम से परे सामग्री का पता लगाने के लिए दृश्य सहायता शामिल होगी। पायलट स्कूल इस पहल का नेतृत्व करेंगे। उन्होंने कहा कि उच्च गुणवत्ता वाली पाठ्य सामग्री विकसित
करने, छात्रों की इस नई मूल्यांकन पद्धति की समझ और स्वीकृति सुनिश्चित करने में चुनौतियां बनी हुई हैं। वहीं, प्रो. राधे श्याम ने कहा कि ओपन बुक परीक्षा में प्रश्नों में एकाधिक उत्तरों की क्षमता को समझने के लिए शिक्षकों को पहले ओपन-बुक परीक्षा देनी होगी।
सीबीएसई ने इससे पहले 2014 से 2017 तक भी ओपन बुक परीक्षा कराई गई थी लेकिन नकारात्मक फीडबैक के बाद इसे वापस ले लिया था। इस दौरान स्कूलों को पहले ही पाठ्य सामग्री, आर्टिकल, केस स्टडी, मैप, कॉर्टून, पिक्चर की शक्ल में भेजे गए थे। अब बोर्ड ने नौवीं से 12वीं तक के लिए ओपन बुक परीक्षा का प्रस्ताव रखा है। बोर्ड की बीते साल हुई गर्वनिंग बॉडी की बैठक में इस तरह से परीक्षा कराने का निर्णय किया गया है।
इस तरह की परीक्षा में छात्रों को नोट्स, पाठ्य पुस्तकें व अध्ययन सामग्री लेकर जाने और उन्हें देखने की इजाजत होती है। नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क की सिफारिशों के आधार पर ही बोर्ड ने ओपन बुक परीक्षा का प्रस्ताव तैयार किया है। इसके तहत बोर्ड ने नौवीं व दसवीं के लिए अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और कक्षा 11 वीं और 12वीं के लिए अंग्रेजी, गणित और जीव विज्ञान के लिए कुछ स्कूलों में ओपन बुक परीक्षा प्रायोगिक तौर पर कराने की तैयारी शुरु की है।
इस परीक्षा से मिले फीडबैक के आधार पर यह देखा जाएगा कि इसे सभी स्कूलों में अपनाया जाए या नहीं। साथ ही बोर्ड यह भी देखेगा कि बच्चों के लिए मूल्यांकन का यह तरीका बेहतर है या नहीं। बोर्ड की ओर से इस तरह की परीक्षा का खाका जून तक बनाए जाने की उम्मीद है।
इसके लिए बोर्ड दिल्ली विश्वविद्यालय का परामर्श भी लेगा। दरअसल कोरोना महामारी के दौरान डीयू ने भी ओपन बुक परीक्षा आयोजित की थी और छात्रों को अपनी पाठ्य पुस्तकें व नोट्स को ले जाने की अनुमति दी थी। शुरुआत में डीयू को भी इस तरह से परीक्षा कराए जाने को लेकर नकारात्मक फीडबैक मिला था।