नोएडा: आजकल नोएडा-एनसीआर में रोजाना साइबर क्राइम के मामले सामने आ रहे हैं। साइबर क्रिमिनल अलग-अलग तरीके से लोगों को अपने झांसे में लेते हैं और फिर पैसे अपने अकाउंट में ट्रांसफर करवा लेते हैं, लेकिन जब पीड़ित को होश आता है तो उसको अपने साथ हुई ठगी के बारे में पता चलता है। ठगी के बारे में पता चलने के बाद पीड़ित पुलिस थाने जाता है और अपनी शिकायत दर्ज करवाता है। हर कोई चाहता है कि उसके साथ ठगे गए पैसे वापस आ जाएं। इसी को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई है।
गृह मंत्रालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बुधवार को राजेश कुमार ने एक बयान में यह कहा है कि 921.59 करोड़ रुपये को बैंक खातों में रोक दिया गया है, जिसके चलते अपराधी उसे निकाल नहीं सके। उन्होंने यह भी कहा कि यह कुल साइबर अपराधियों द्वारा की गई धोखाधड़ी का मात्र 12.32 फीसदी ही है, लेकिन पिछले तीन साल में पैसे ब्लॉक करने के मामलों की दर लगातार बढ़ रही है।
वर्ष 2022 में 7.32 फीसदी यानी 169.04 करोड़ तथा 2021 में 6.73 फीसदी यानी 36.38 करोड़ रुपये को बैंक खातों में ब्लाक किया गया था। इस केंद्र का गठन कुछ ही समय पहले किया गया है। गुजरात और कर्नाटक में अदालत के जरिए पैसा वापस दिया जा रहा है।
आपको बता दें कि पिछले 4 सालों में सैकड़ों लोगों के साथ साइबर क्राइम हुआ है। जिनमें से नोएडा पुलिस और यूपी साइबर सेल ने 146 लोगों के करीब 7 करोड़ रुपए वापस करवाए हैं। नोएडा पुलिस के द्वारा लगातार अभियान चलाकर लोगों को साइबर क्राइम के प्रति जागरूक किया जा रहा है। नोएडा में साइबर सेल की भी स्थापना हुई है।
गृह मंत्रालय और झारखंड पुलिस ने प्रतिबिंब योजना के तहत जामताड़ा, देवघर आदि साइबर अपराधियों के अड्डों में उन फोन कॉल को ट्रेस करना शुरू किया गया है जो वहां से देश के दूसरे हिस्सों में जा रहे हैं। पिछले महीने इसके जरिए वहां 450 साइबर अपराधी पकड़े हैं। इस प्रयोग को देश के अन्य हिस्सों में भी अपनाया जाएगा।
50 फीसदी मामले साइबर ठगी के ऐसे हैं जहां गिरोह देश के बाहर से संचालित हो रहे हैं। इनमें कंबोडिया, म्यांमार से सबसे ज्यादा हैं। जबकि लोन ऐप संचालन चीन से ज्यादा है। इस मामले को विदेश मंत्रालय के जरिए संबंधित देशों के समक्ष भी उठाया गयां है।
यदि किसी के साथ साइबर ठगी होती है। तो फिर उसे साइबर ठगी होने के एक घंटे के अंदर तक भारतीय साइबर अपराध केन्द्र पर शिकायत दर्ज करनी होगी, गोल्डन ऑवर को ठगी होने के बाद का पहला घंटा कहा जाता है। अगर ऐसा किया जाता है तो फिर अपराघी को अकाउंट से पैसे निकालने से रोका जा सकता है।
रिपोर्ट के मुताबिक साइबर क्राइम होने के बाद जो लोग गोल्डन टाइम में शिकायत दर्ज करवा देते हैं, उनके पैसे आने की संभावना करीब 90% होती है। गोल्डन टाइम का मतलब साइबर क्राइम होने के 24 घंटे के भीतर शिकायत दर्ज करवाना है। इसलिए अगर आपके या आपके किसी संबंधित व्यक्ति के साथ साइबर क्राइम होता है तो तत्काल स्थानीय साइबर सेल या कोतवाली में जाकर अपनी शिकायत दर्ज करवाएं।
यदि साइबर ठगी हुई है तो इस कंडीशन में आपको तुरंत 1930 नंबर पर कॉल करनी चाहिए। यह नंबर गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम पोर्टल का सेंट्रलाइज नंबर है। शिकायत दर्ज करने के बाद आपके पैसे के दोबारा मिलने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। यह नंबर पूरे देशभर में लागू है। साथ ही गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम पोर्टल में cybercrime.gov.in पर कंप्लेंट भी करें।
निवेश के नाम पर सबसे ज्यादा साइबर ठगी के 1.59 लाख मामले दर्ज किए गए हैं। इसमें निवेश का भरोसा दिलाकर ठगी होती है। इसे ठग म्यांमार और कंबोडिया से भी आपरेट कर रहे हैं। दूसरे नंबर पर लोन ऐप के जरिए ठगी के 85 हजार मामले दर्ज हुए हैं। तीसरे नंबर पर कस्टमर केयर के नाम पर होने वाली ठगी है जिसके 43 हजार मामले हैं।
चौथे नंबर पर नकली पहचान दिखाकर यानी टेकओवर कर ठगी के मामले है, जिसमें किसी का फोटो इस्तेमाल करके ठगी की जाती है। इसके केस के 38 हजार मामले दर्ज हुए हैं। पांचवे नंबर पर सेक्साटार्सन के 19 हजार केस हैं। हालांकि ये केस ज्यादा हो सकते हैं क्योंकि हर मामले में लोग रिपोर्ट दर्ज नहीं कराते हैं।
यूपी साइबर सेल एसपी आईपीएस त्रिवेणी सिंह ने बताया है कि यदि आपके पास किसी अनजान व्यक्ति का कॉल आए तो उससे सावधानीपूर्वक बात करें। अगर कभी भी पैसों की बात आ जाए तो सोच समझकर ही फैसला लें। अधिकतर देखा जाता है कि साइबर क्रिमिनल अपने आपको आपका रिश्तेदार या दोस्त बताकर पैसे मांगते हैं, लेकिन आपको इस बात की सावधानी बरतनी है कि पैसों की बात आने पर आप अलर्ट हो जाएं।"
1. किसी भी अनजान व्यक्ति को अपना ओटीपी शेयर न करें।
2. किसी भी अनजान व्यक्ति से अपनी व्यक्ति जानकारी जैसे पहचान पत्र नंबर, पेन कार्ड नंबर शेयर न करें।
3. अनजान व्यक्ति को किसी भी परिस्थिति में अपनी बैंक डिटेल शेयर न करें।
4. व्हाटसऐप या अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से खुद को आपका रिश्तेदार या मित्र बताकर रुपयों की मांग करता है तो तुरंत कोई फैसला न ले। यदि वह स्वयं को आपका मित्र या रिश्तेदार बताकर रुपये मांगने वाला पैसा मांगता है तो ऐसे में रुपये न दें बल्कि पहले कन्फर्म करे।
5. वास्तव में यदि आपका कोई परिचित परेशान है तो उससे व्यक्तिगत मुलाकात करके ही मदद करें जिससे की आपको भी पता चला जाए कि सोशल मीडिया के माध्यम से रुपये मांगने वाला व्यक्ति आपका रिश्तेदार या परिचित है भी या नहीं।
यूपी साइबर सेल एसपी आईपीएस त्रिवेणी सिंह ने बताते हैं कि अगर आपके पास किसी अनजान व्यक्ति का कॉल आए तो उससे सावधानीपूर्वक बात करें। अगर कभी भी पैसों की बात आती है तो सोच समझकर ही फैसला लें। अधिकतर देखा जाता है कि साइबर क्रिमिनल अपने आपको आपका रिश्तेदार या दोस्त बताकर पैसे मांगते हैं, लेकिन आपको इस बात की सावधानी बरतनी है कि पैसों की बात आने पर आप अलर्ट हो जाएं।
आपको बता दें कि पिछले 4 सालों में सैकड़ों लोगों के साथ साइबर क्राइम हुआ है। जिनमें से नोएडा पुलिस और यूपी साइबर सेल ने 146 लोगों के करीब 7 करोड़ रुपए वापस करवाए हैं। नोएडा पुलिस के द्वारा लगातार अभियान चलाकर लोगों को साइबर क्राइम के प्रति जागरूक किया जा रहा है। नोएडा में साइबर सेल की भी स्थापना हुई है।