गौतमबुद्ध नगर को उत्तर प्रदेश की औद्योगिक नगरी भी कहा जाता है। प्रदेश में योगी सरकार की मंशा के मुताबिक नोएडा प्राधिकरण, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण तथा यमुना विकास प्राधिकरण के द्वारा किसानों की जमीन पर कई औद्योगिक शहर बसाए जा रहे हैं। आपको बता दें कि एक जिला होने बाद भी यहां तीन तीन प्राधिकरण हैं। जिनके नियम भी अलग अलग हैं। इसलिए तीनों प्राधिकरण में किसानों की जमीन अधिग्रहण के मामले के लिए भी अलग-अलग नीति और नियम हैं।
लेकिन अब तीनो प्राधिकरणों के नियम एक समान होंगे। जिससे न केवल आवंटियों और किसानों की समस्याएं दूर होंगी बल्कि आवासीय, बिल्डर खरीदारों और टेंडर में भी एकरूपता आ जायेगी।
समझते हैं तीनो प्राधिकरण के नियम :
गौतम बुद्ध जनपद में तीन प्राधिकरण होने के कारण वहां के तीनो प्राधिकरणों के नियमों में भी कई अंतर देखने को मिलता हैं। यदि आपको यह बताया जाए की एक ही जिले में नियमो के अलग होने के कारण वहां मुआवजा मिलने के प्रतिशत भी काफी अलग-अलग हैं, नियम और नीतियां भी अलग-अलग हैं तो आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी?
जी हां, इसी प्रकार एक ही जिले में मकान की ऊंचाइयों को लेकर भी वहां अलग-अलग नियम बरकरार हैं। हालांकि अब इस ओर सरकार की तरफ से एक सकारात्मक पहल देखने को मिल रही है। लेकिन इस सकारात्मक पहल के लिए किसान भी काफी समय से संघर्ष कर रहे हैं।
अगर हम समझे तो, पहली रिपोर्ट के अनुसार नोएडा प्राधिकरण किसानों को मुआवजा तथा 5% आबादी भूखंड देता है। वहीं दूसरी ओर ग्रेटर नोएडा में मुआवजा कम है किंतु वहां किसानों को 6% आबादी भूखंड दिया जाता है। इसी प्रकार यमुना विकास प्राधिकरण में मुआवजा नोएडा और ग्रेटर नोएडा से भी कम है लेकिन वहां पर किसानों को करीबन 7% आबादी भूखंड दिया जाता है। इसलिए कुल मिलकर एक जिले में तीनों प्राधिकरण के वहां अलग-अलग नियम और नीति हैं।
दूसरी रिपोर्ट के अनुसार नोएडा प्राधिकरण किसानों को तकरीबन 15 मीटर ऊंचाई तक भवन निर्माण करने की मंजूरी देता है। तो वहीं ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा किसानों को सिर्फ 11 मीटर तक ऊंचाई के भवन बनाने की ही मंजूरी देता है। अतः दोनों प्राधिकरण के नियम इसमें भी काफी अलग-अलग है। इसके अलावा देखें तो शिफ्टिंग पॉलिसी में तो काफी ज्यादा अंतर पाया गया है। जिस वजह से गौतमबुद्ध नगर के ज्यादातर किसान आंदोलन करते रहते हैं। लेकिन इस फैसले के बाद अब इस समस्या का भी समाधान हो जाएगा।
एकरूपता न होने से प्रभावित होती थी विकास परियोजनाएं:
गौतम बुद्ध नगर जिला औद्योगिक दृष्टि से सिर्फ उत्तर प्रदेश का ही नहीं बल्कि अब भारत का भी काफी अहम शहर बनने जा रहा है। हालांकि यह बात भी सभी को ज्ञात है कि गौतम बुद्ध नगर की बसावट यहां के किसानों की जमीनों पर ही हुई है। जिले में तीन-तीन प्राधिकरण काम कर रहे हैं। जिस वजह से यह के नियमो एवं परियोजनाओं में काफी दिक्कतों का समन करना पड़ता है।
आपको बता दें कि प्राधिकरण की नीति एक होने के आदेश के बाद अब तीनो प्राधिकरण के लिए एक मोबिलिटी प्लान तैयार किया जायेगा। जिसके अंतर्गत यहां की यातायात समस्या को भी दूर किया जायेगा। अब तक यहां एक प्राधिकरण दूसरे प्राधिकरण के नियमो एवं परियोजनाओं को अपनाने से परहेज करता था। जिस वजह से यहां की विकास परियोजनाओं में काफी देरी भी होती थी।
तीनो प्राधिकरण के उच्च अधिकारी बनाएंगे नीति:
नोएडा प्राधिकरण, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण तथा यमुना विकास प्राधिकरण की नीतियां अब एक समान होगी। इसको देखते हुए स्थापना तथा औद्योगिक विकास आयुक्त श्री मनोज कुमार सिंह ने यह आदेश भी जारी किया है कि नीति बनाने के लिए तीनों प्राधिकरणों के उच्च अधिकारी भी इसमें शामिल किए जाएंगे।
तीनों प्राधिकरणों के उच्च अधिकारियों के साथ सामंजस्य बैठा कर नियम और नीति बनाने से जिले ने होने वाले कार्यों में समन्वय तथा एकरूपता देखने को मिलेगी। इस एकरूपता से एक ओर जहां प्रशासन के लिए कार्य करना सहज होगा तो वहीं यहां के निवासियों के लिए भी अब कार्य करना सरल और सुगम हो जायेगा।