डिजिटल अरेस्ट के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे है। पिछले कुछ ही महीनों में नोएडा जनपद में ऐसे 9 मामले दर्ज किए जा चुके है, जिसमें पीड़ित को डिजिटल अरेस्ट कर भारी मात्रा में पैसे वसूले गए है।
क्या है पूरा मामला?
नोएडा सेक्टर 49 की निवासी 73 वर्षीय शुचि अग्रवाल को 13 जून को एक फोन कॉल आया। इस कॉल के दौरान कॉलर ने बताया कि वह अंधेरी की फेडेक्स शाखा से बोल रहा है। कॉलर ने शुचि अग्रवाल को जानकारी दी की, कि उनका एक पार्सल पकड़ा गया है और पार्सल से एलएसडी ड्रग, एक्सपायरी पासपोर्ट, कपड़े और अन्य सामान बरामद हुए है।
9 बार में किया खाता खाली
कॉलर ने पीड़िता से मुंबई आने या ऑनलाइन माध्यम से नारकोटिक्स विभाग से बात करने की सलाह दी। तत्पश्चात कॉलर ने ही स्काइप के जरिए कॉल फर्जी अधिकारियों के पास ट्रांसफर कर दी। इन फर्जी अधिकारियों ने महिला को बताया कि महिला के आधार कार्ड पर 6 बैंक खाते चल रहे है, जिसके द्वारा मनी लांड्रिंग का कार्य किया जा रहा है। अधिकारियों ने महिला को जेल जाने का डर दिखाया और 9 बार पैसे ट्रांसफर कर मामला रफा दफा करने की बात कही। खाता खाली होते ही कॉलर ने कॉल डिस्कनेक्ट कर दी।
5 दिन तक रखा डिजिटल अरेस्ट
महिला को लगभग 5 दिनों तक आरोपियों ने डिजिटल अरेस्ट रखा था। शुरुआती दौर में लगातार 10 घंटे डिजिटल अरेस्ट रखने के बाद आरोपियों ने महिला को कहा कि आप बुजुर्ग है इसीलिए आप थोड़े समय के लिए वीडियो से दूर जा सकती है। इस दौरान आरोपियों ने महिला को धमकी भी दी और कहा कि यदि होशियारी दिखाई तो जेल जाना पड़ेगा।
पुलिस की वर्दी में थे सभी आरोपी
13 जून को महिला को जिस नंबर से फोन आया था, उस नंबर के व्हाट्सएप प्रोफाइल में मुंबई पुलिस का सिंबल लगा हुआ था। साथ ही महिला को जिस स्काइप कॉल के जरिए फर्जी अधिकारियों से जोड़ा गया था, उसमे भी सभी अधिकारी पुलिस की वर्दी पहने हुए थे और बैकग्राउंड में नारकोटिक्स विभाग का लोगों लगा हुआ था। इतना ही नही बात करने के पहले ठगों ने अपनी फेक आईडी दिखा कर महिला को विश्वास में लिया था।
पुलिस कर रही खातों की जांच
महिला ने पुलिस को उन खातों की जानकारी दी जिसमे रकम ट्रांसफर की गई है। पुलिस इन खातों की जांच कर रही है। पुलिस का दावा है कि उन्हे कुछ महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई है और जल्द ही जालसाजों को दबोच लिया जायेगा।
जिंदगी भर की कमाई 5 दिन में लूटी
पीड़िता ने जानकारी दी कि वह उन पांच दिनों को याद कर सिहर उठती है। वो पांच दिन बहुत ही डरावने थे। पीड़िता के अनुसार उसके जीवन भर की कमाई 5 दिनों में लूट ली गई। अपने भविष्य के बारे में सोच कर पीड़िता चिंता में है।
क्या है डिजिटल अरेस्ट?
डिजिटल अरेस्ट एक प्रक्रिया है जिसमें निम्न बाते शामिल होती है:-
➡️ सायबर चोर खुद को सीबीआई, आरबीआई या ईडी जैसी सरकारी संस्था से सम्बन्धित अधिकारी बताते है।
➡️ सायबर चोरों द्वारा लक्षित व्यक्ति पर किसी गैर कानूनी गतिविधि में संलिप्त होने का आरोप लगाया जाता है।
➡️ पीड़ित को एक लम्बे समय तक वीडियो कॉल पर स्वयं की निगरानी में रखा जाता है और उसे किसी से मिलने या बात करने की अनुमति नहीं दी जाती है।
➡️ मामले को निपटाने के बदले में पैसे को मांग की जाती है।
➡️ खाता खाली होते ही सायबर चोर कॉल डिस्कनेक्ट कर देते है।
सायबर ठगों से कैसे बचे?
➡️ अनजान नंबर से आए कॉल या मैसेज पर अधिक विश्वास न करे।
➡️ बिना जांच किए किसी भी कॉलर द्वारा किए दावों पर विश्वास न करे।
➡️ अनजान नंबर से आए कॉल या मैसेज पर निजी जानकारी साझा करने से बचे।
➡️ धमकियों से न डरें, डर का सायबर ठगों द्वारा लाभ उठाया जाता है।
➡️ सायबर ठगी में फसने पर तुरंत पुलिस या सायबर सेल को सूचित करे।