गौतमबुद्ध नगर में शुरू हुआ “नो रजिस्ट्री नो वोट” कैंपेन: सोसाइटी के बाहर लगाए गए बैनर पोस्टर
गौतमबुद्ध नगर में शुरू हुआ “नो रजिस्ट्री नो वोट” कैंपेन

नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा एवं ग्रेनो वेस्ट की लगभग 60 प्रतिशत तक आबादी फ्लैटों में रहती है। यह वही मतदाता है जिसकी हमेशा से ही चुनाव में निर्णायक भूमिका मानी जाती रही है। इन सभी निर्णायक मतदाताओ की एक डिमांड हर चुनाव का मुद्दा तो बनती ही है लेकिन उनकी इस समस्या का हल अभी तक नहीं हुआ है।

चुनावी समर के अंत में उनको " नो रजिस्ट्री नो वोट " के नाम का कैंपेन हर बार शुरू करना पड़ता है। इस साल भी होने वाले लोकसभा चुनाव 2024 में भी ऐसा ही कुछ अब देखने को मिल रहा है। नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा वेस्ट की कुछ सोसाइटी के लोगों ने अपने फ्लैट तथा अपने गेट पर इस तरह के कई बैनर एवं पोस्टर लगा दिए है।

लेकिन इनमें देखें तो अभी भी एक राय नहीं बन पाई है। सोसाइटी के अधिकांश लोग तो इस कैंपेन के पक्ष में उतरे हैं। वहीं सोसाइटी का एक धड़ वोट के माध्यम अपनी ताकत दिखाने का अपना मन बना चुका है। ऐसे में इन सभी 60 प्रतिशत मतदाता का रुख आगे क्या होगा यह आने वाला समय ही बताएगा।

वहीं भाजपा तथा बसपा एवं सपा इन तीनों के प्रत्याशी इन सोसाइटी में जाने से पूर्व ही बूथ स्तर पर काम करते हुए अपनी पकड़ बनाने का दावा कर रहे है। माना जा रहा है कि नामांकन के बाद ही अब इन सोसाइटी में प्रत्याशी अपने चुनाव प्रचार की रफ्तार को और बढ़ाएंगे। तब तक देखने वाला होगा कि इस कैंपेन के साथ और कितनी सोसाइटी जुड़ पाती हैं।

खुद ही चुनाव लड़ने का बनाया है विचार:

ग्रेनो वेस्ट में हिमालयन प्राइड सोसाइटी के एक निवासी नरेश नोटियाल ने मीडिया को बताया कि उनकी सोसाइटी में कुल 1176 फ्लैट है। जिसमें से करीब 250 से अधिक लोगों को पजेशन मिले हुए 1 दशक से भी ज्यादा का समय हो गया। उनकी रजिस्ट्री अभी तक नहीं हो सकी है। यहां पर बने डी टावर में देखें तो 1 भी ऐसा फ्लैट नहीं है जिसकी रजिस्ट्री हुई हो। इसलिए अब खुद ही इस बार चुनाव में प्रत्याशी के तौर पर खड़े होने जा रहे है।

हालांकि चुनाव में पार्टी का सिंबल क्या होगा अभी तक इस पर उन्होंने चुप्पी साध रखी है। बता दे कि विधानसभा चुनाव में नेफोमा के अध्यक्ष अन्नू खान पहले भी चुनाव लड़ चुके है। उन्होंने चुनावी शुरुआत भी इसी कैंपेन के साथ ही की थी। नोएडा के देखें तो सेक्टर 46 की गार्डेनिया ग्लोरिया सोसायटी के निवासियों का भी यह कहना है कि चुनाव में नेता वोट लेते वक्त यह वादा करते हैं कि चुनाव के बाद रजिस्ट्री करवा देंगे। लेकिन जब वह चुनाव जीत जाते हैं तो उसके बाद कोई नेता झांकने तक नहीं आते हैं। 

बिल्डरों का बकाया है, जिसे अभी तक अथॉरिटी भी नहीं ले पाई है और अब उनकी रजिस्ट्री को रोक कर उन्हें भी परेशान किया जा रहा है। करीब 2 दिन पहले ही इस सोसाइटी में ऐसा एक बैनर लगाया गया था। जिसे वहीं के रहने वालों ने हटा दिया। जिसके बाद यहां का खेमा 2 धड़ों में बट गया है।

महज 2000 की ही हो सकी है रजिस्ट्री:

जिला गौतमबुद्ध नगर में तकरीबन 2.4 लाख फ्लैट ऐसे हैं जो इस समस्या से प्रभावित हैं। इनमें से करीब 1.2 लाख फ्लैट सालों से लटके पड़े हैं। वहीं करीब 1.2 लाख फ्लैट खरीददारों को मिल तो गए हैं, किंतु उनकी रजिस्ट्री अभी तक नहीं हुई है। इस समस्या पर ही सुझाव देने के लिए अमिताभ कांत की अध्यक्षता में कमेटी भी बनी थी। कमेटी की कई सिफारिशों को उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा मंज़ूरी भी दी गई। इसे कई स्तरों पे लागू भी किया गया है। इसके अंतर्गत बिल्डरों को कुल 60 दिन के अंदर 25% राशि जमा कराने के लिए कहा गया था। जहां पर बिल्डर यह पैसा जमा करेंगे वहां पर उनकी रजिस्ट्री शुरू कर दी जाएगी।

इस प्रकार से नोएडा में करीब 35 तथा ग्रेनो में करीब 30 बिल्डरों ने इसपर अपनी सहमति दी है। 1 मार्च से इसकी रजिस्ट्री प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। 25 प्रतिशत के हिसाब से देखें तो नोएडा में करीब 200 करोड़ तथा ग्रेटनोएडा में करीब 100 करोड़ रुपए बिल्डरों ने जमा कराए हैं। दोनों को मिलाकर देखें तो अब तक कुल 2000 फ्लैट बायर्स की रजिस्ट्री की जा चुकी है। दरअसल, अमिताभ कांत ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि कोर्ट केस अब एनसीएलटी में लंबित बिल्डरों पर लागू नहीं की जाएगी। जबकि देखें तो अधिकतर होम बायर्स इन्हीं बिल्डरों के ही है।

देरी होने से नाराज़ हैं बायर्स:

बायर्स ने अपना दुख जाहिर करते हुए बताया कि करीब 1 दशक पहले ही उनको पजेशन yo मिल गया। उन्होंने बिल्डर को भी पूरा 100 प्रतिशत पैसा दे दिया है। लेकिन प्राधिकरण की गलती है कि उनके द्वारा बिल्डर से पैसा वसूल क्यों नही किया जा सका है। इसका खामियाजा हम सभी बयर्श और कितने सालों तक भुगतते रहेंगे। चुनाव के कुछ समय पहले ही सरकार के द्वारा अमिताभ कांत की सिफारिश लाई जाती है और इस प्रक्रिया में भी अब देरी हो रही है। ऐसे में प्राधिकरण बताए की वह बिल्डर पर एक्शन क्यो नहीं लेते हैं?

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