नोएडा: नोएडा में सड़क किनारे टाइलें लगाने के विवाद में आज नोएडा प्राधिकरण के सीईओ और पूर्व डीजीएम को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के सामने उपस्थित होना होगा।
दरअसल, 17 सितंबर 2024 की सुनवाई में एनजीटी ने सड़क किनारे हो रहे अवैध टाइल बिछाने और 2022 में दाखिल झूठे हलफनामे को लेकर कड़ी नाराजगी जताई थी। यह मामला सड़क किनारे हरित क्षेत्रों में टाइल लगाने से जुड़ा है, जो उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार के फुटपाथ संबंधी दिशा-निर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन है।
झूठी रिपोर्ट देना का लगा है आरोप?
पर्यावरणविद् विक्रांत तोंगड़ ने जानकारी दी कि नोएडा प्राधिकरण के कर्मचारियों ने कुछ स्थानों से टाइलें हटाकर एनजीटी में फोटो प्रस्तुत किए थे। हालांकि, इन फोटो में केवल 5-10 टाइलें ही हटाई गई थीं और कार्य अधूरा छोड़ दिया गया। जबकि, इन जगहों से हजारों टाइलें हटाई जानी चाहिए थीं, क्योंकि इन्हें 2018 के नियमों का उल्लंघन करते हुए लगाया गया था। इसके बावजूद, नोएडा प्राधिकरण ने दावा किया कि उन्होंने आदेशों का पालन किया है।
याचिकाकर्ता ने पेश किए सबूत
याचिकाकर्ता के वकील आकाश वशिष्ठ ने नोएडा गोल्फ कोर्स, होजरी कॉम्प्लेक्स और नोएडा के विभिन्न सेक्टरों में टाइल बिछाने के फोटोग्राफिक सबूत एनजीटी के सामने पेश किए। इस पर एनजीटी की बेंच, जिसमें न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और डॉ. अफरोज अहमद शामिल हैं, ने इन झूठे बयानों को गंभीरता से लेते हुए कहा कि नोएडा प्राधिकरण ने न्यायिक आदेशों को धोखे से अपने पक्ष में किया है। एनजीटी ने इन गलत बयानों को न्यायिक प्रक्रिया का गंभीर उल्लंघन बताया।
कड़े निर्देशों के बावजूद हो रहा उल्लंघन
अगस्त 2024 में भी एनजीटी ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा के सीईओ को तलब करते हुए आदेशों का कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद, नोएडा प्राधिकरण ने 2018 के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हुए सड़क किनारे हरित क्षेत्रों में 5-6 मीटर तक टाइलें बिछाई हैं। इससे वर्षा जल के अवशोषण में बाधा उत्पन्न हो रही है और जलभराव की समस्या पैदा हो रही है।
पर्यावरण को हो है नुकसान
हरित क्षेत्रों में टाइलें लगाने से प्राकृतिक जल का अवशोषण रुक गया है, जिससे जलभराव की समस्या बढ़ रही है। याचिकाकर्ता ने इन उल्लंघनों के लगातार सबूत पेश किए हैं। इसके बावजूद, प्राधिकरण ने अदालत में झूठी जानकारी दी।
एनजीटी ने सीईओ और डीजीएम को किया तलब
एनजीटी ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए नोएडा प्राधिकरण के सीईओ और पूर्व डीजीएम को 8 नवंबर 2024 को व्यक्तिगत रूप से पेश होने और झूठे हलफनामे और दिशा-निर्देशों के उल्लंघन पर स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है।