नोएडा: उत्तर प्रदेश के नोएडा में हर वर्ष ग्राउंड वाटर लेवल 1 से डेढ़ मीटर तक गिर रहा है। अगर यही हाल रहा तो आने वाले कुछ वर्षों में ही यहां पर जल की समस्या हो जाएगी। इसकी बड़ी वजह बेसमेंट की खुदाई है। दरअसल नोएडा प्राधिकरण में नियमानुसार अधिकतम 12 मीटर तक ही बेसमेंट खोद सकते है।
अब खुदाई से पहले नापा जायेगा वाटर लेवल:
लेकिन अब से खुदाई के लिए पहले तो उसका वाटर लेवल मापा जाएगा, जिसके बाद ही इसकी अनुमति मिलेगी कि बेसमेंट कितने फ्लोर का बनेगा। DM की तरफ से इसका एक पत्र जिले के तीनों प्राधिकरण, जिसमे नोएडा प्राधिकरण, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण तथा यमुना विकास प्राधिकरण शामिल हैं, को दे दिया गया है।
वहीं सीईओ के आदेश के बाद अब नोएडा प्राधिकरण के नियोजन विभाग के द्वारा इसे प्रत्येक श्रेणी की प्रॉपर्टी पर लागू किया जा रहा है।
रूफ वाटर हार्वेस्टिंग भी लगाने का आदेश:
DM के द्वारा प्राधिकरण को एक पत्र लिखकर बेसमेंट की अनुमति जारी करने से पूर्व नियमों में बदलाव करने का सुझाव दिया गया है। उन्होंने इसमें कहा है कि किसी भी प्रोजेक्ट में बेसमेंट बनाने की अनुमति देने से पहले वहां पर अच्छी तरफ से ग्राउंड वाटर लेवल का अध्ययन कराना जरूरी होगा।
वहीं ग्राउंड वाटर लेवल की रिपोर्ट को आधार बना कर ही बेसमेंट की गहराई की भी अनुमति दी जाएगी। यदि किसी को प्रोजेक्ट हेतु अनुमति मिल गई है तो वहां पर अध्ययन के बाद अनुमति में बदलाव भी किया जाए। फिलहाल नोएडा प्राधिकरण इसको अपने बिल्डिंग बॉयलाज में भी शामिल करने जा रहा है।
भूजल आयोग की रिपोर्ट का करना होगा अध्ययन:
दरअसल इसके लिए प्राधिकरण के द्वारा मिनट्स भी बनाए जा रहे है, जिसे बोर्ड की अगली बैठक में प्रस्ताव के रूप में भी रखा जाएगा। वहीं प्राधिकरण किसी भी निर्माण तथा बेसमेंट निर्माण की अनुमति से पूर्व अब भूजल आयोग की रिपोर्ट का भी अध्ययन कराएगा।
आपको बता दें के नोएडा में कई सेक्टरों तथा गांवों में लगातार भूजल का स्तर नीचे गिर रहा है। इसलिए इसको बढ़ाने के लिए रेन वाटर तथा रूफ वाटर हार्वेस्टिंग लगाने का भी आदेश दिया गया है।
कॉमर्शियल तथा ग्रुप हाउसिंग में होगी दिक्कत:
नोएडा नियोजन विभाग के अधिकारी के द्वारा यह बताया गया है कि DM की तरफ से जो भी सुझाव दिए गए हैं, उसको अमल में लाने हेतु नोएडा प्राधिकरण की तरफ से एक पत्र जारी कर दिया गया है। हालांकि इसमें अधिकतर दिक्कत कॉमर्शियल तथा ग्रुप हाउसिंग प्रॉपर्टी में आएगी।
क्योंकि इनको ही पार्किंग के लिए 2 अथवा 3 बेसमेंट बनाने पड़ते है। वहीं किसी मॉल में ग्राउंड फ्लोर ही आर्थिक दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में वहां पर 3 बेसमेंट तक बनाया जाता है। उन्होंने बताया कि नोएडा में ऐसे कई मॉल है जहां पर 3 बेसमेंट तक पार्किंग है।
आइए जानते है नोएडा का जल स्तर:
दरअसल नोएडा हाइराइज इमारतों का एक शहर है। यहां पर वाटर लेवल लगातार तेजी के साथ गिर रहा है। इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि आगामी 10 वर्षों में ग्राउंड वाटर लेवल की स्थिति और भी खराब हो सकती है। बता दें कि औसतन सालाना डेढ़ से 2 मीटर तक वाटर लेवल गिर रहा है। जिससे यहां पर पीने योग्य पानी भी नहीं बचेगा।
अतः इसे कंट्रोल करने के लिए भवन नियमावली के अंतर्गत 300 वर्गमीटर तथा बड़े प्लाट में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अब बेहद अनिवार्य है। वहीं यह सिस्टम यहां पर बने कॉमर्शियल मॉल, होटल, रिहाइशी इमारतें, स्कूल तथा सरकारी इमारतों में एक्टिव है अथवा नहीं, इसकी भी पड़ताल की जा रही है।
AOA और RWA स्वयं करे जांच:
नोएडा प्राधिकरण के पर्यावरण सेल के सलाहकार गुंजन मिश्रा ने यह बताया है कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग की भी जांच के लिए हमें आदेश मिल गया है और इसकी प्रति भी प्राधिकरण के सभी वर्क सर्किल तथा सभी RWA एवं AOA को जारी कर दी गई है।
साथ ही एओए तथा सेक्टर के सभी आरडब्ल्यूए पदाधिकारियों से भी यह कहा गया है कि वे सभी अपने यहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग की जांच स्वयं कराकर जल्द ही इसकी रिपोर्ट भी सब्मिट करे।
देखते हैं नोएडा का ग्राउंड वाटर लेवल:
वर्ष नोएडा
2017 19.56
2018 18.88
2019 18.96
2020 20.15
2021 23.54
2022 23.68